पन्नू की धमकी के बाद मान ने कहा- ‘पंजाब विरोधी’ ताकतों को सफल नहीं होने देंगे

चंडीगढ़. भारत द्वारा आतंकवादी घोषित किये गये गुरपतवंत सिंह पन्नू की ओर पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान और डीजीपी को धमकी दिये जाने के एक दिन बाद बुधवार को मान ने कहा कि वह राज्य की शांति और समृद्धि के संरक्षक हैं और इस तरह की धमकी के हथकंडे उन्हें काम करने से नहीं रोक सकते.

युवाओं को नियुक्ति पत्र देने के लिए आयोजित कार्यक्रम से इतर संवाददाताओं से बातचीत में मुख्यमंत्री मान ने यह बात कही. उन्होंने कहा कि उनकी सरकार द्वारा पंजाब विरोधी ताकतों के प्रति लागू की गई कतई बर्दाश्त नहीं करने की नीति और विदेश में सुरक्षित पनाहगाहों से देश विरोधी गतिविधियों में संलिप्त अपराधियों को वापस लाकर दंडित करने के प्रयासों की वजह से ऐसी धमकी मिलना स्वभाविक है.

उन्होंने कहा कि ये लोग राज्य में कड़े प्रयासों से स्थापित शांति को भंग करना चाहते हैं लेकिन उनकी सरकार ऐसी ताकतों को उनके नापाक मंसूबों को अंजाम नहीं देने देगी. मान ने कहा, ”ऐसे पंजाब विरोधी रुख के साजिशकर्ताओं ने विदेशों में शरण ले रखी है, लेकिन हम उन्हें वापस लाने और उनके पापों की सजा देने की कोशिश कर रहे हैं.” मुख्यमंत्री ने कहा कि सीमावर्ती राज्य होने के कारण पंजाब को भीतर और बाहर दोनों तरफ से चुनौतियों का सामना करना पड़ता है लेकिन वे ऐसी धमकियों के आगे न झुककर उनका बहादुरी से सामना करेंगे.

उन्होंने कहा कि ऐसे खूंखार अपराधियों को सुरक्षित पनाहगाह देने वाले देशों को भी विश्व शांति के व्यापक हित में इन अपराधियों को वापस भेज देना चाहिए. मुख्यमंत्री ने कहा कि भारत सरकार को भी ऐसे खूंखार राष्ट्र-विरोधी अपराधियों को देश में वापस लाकर उन्हें देश के कानून के अनुसार दंडित करने के लिए कदम उठाना चाहिए.

खालिस्तानी आंतकवादी पन्नू ने पंजाब के अपराधी सरगनाओं को प्रतिबंधित संगठन ‘सिख फॉर जस्टिस’ से जुड़ने और गणतंत्र दिवस परेड में शीर्ष नेताओं को शामिल होने से रोकने की अपील की थी. पन्नू को केंद्रीय गृह मंत्रालय ने 2020 में गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम के तहत आतंकवादी घोषित किया गया था और सिख फॉर जस्टिस पर प्रतिबंध लगा दिया गया था. मान ने राज्य के कर्ज को लेकर उनकी सरकार को निशाना बनाए जाने पर कांग्रेस नेता नवजोत सिंह सिद्धू पर भी कटाक्ष किया. उन्होंने पूर्व क्रिकेटर को ‘भगोड़ा’ करार देते हुए कहा कि जब उन्हें बिजली मंत्री का प्रभार दिया गया तो वह अपना कर्तव्य निभाने से भाग गए.

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