हिमाचल में सारे विकल्प खुले, कठोर निर्णय लेने से पीछे नहीं हटेंगे: कांग्रेस

नयी दिल्ली. कांग्रेस ने हिमाचल प्रदेश में अपनी सरकार पर मंडराए संकट के बीच बुधवार को कहा कि जनादेश को बरकरार रखने के लिए सारे विकल्प खुले हुए हैं तथा जरूरत पड़ने पर वह कठोर निर्णय लेने से पीछे नहीं हटेगी. पार्टी महासचिव प्रियंका गांधी वाद्रा ने आरोप लगाया कि हिमाचल प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी लोगों के अधिकार को कुचलना और प्रदेश को ‘राजनीतिक आपदा’ में धकेलना चाहती है.

हिमाचल प्रदेश में राज्यसभा की एक सीट पर हुए मतदान में कांग्रेस के छह विधायकों द्वारा ‘क्रॉस वोटिंग’ किये जाने के बाद भाजपा ने सीट पर जीत हासिल की थी और उसके बाद से राज्य में राजनीतिक संकट पैदा हो गया है. पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने बताया कि कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने पर्यवेक्षकों से बात की है और उनसे कहा है कि वे विधायकों से बात करके जल्द रिपोर्ट सौंपें.
उनका कहना है कि पर्यवेक्षकों की रिपोर्ट के बाद ही कोई कदम उठाया जाएगा.

कांग्रेस ने छतीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल, हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र हुड्डा और कर्नाटक के उप मुख्यमंत्री डीके शिवकुमार को बतौर पर्यवेक्षक शिमला भेजा है. पार्टी के हिमाचल प्रदेश प्रभारी राजीव शुक्ला भी शिमला में मौजूद हैं. कांग्रेस सूत्रों का कहना है कि पर्यवेक्षक बृहस्पतिवार शाम तक अपनी रिपोर्ट खरगे को भेज सकते हैं और उसके बाद तत्काल निर्णय लिया जाएगा.

समझा जाता है कि कांग्रेस के कुछ असंतुष्ट विधायक मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू की कार्यशैली से नाराज हैं और वह इस पक्ष में हैं कि सुक्खू के स्थान पर किसी और को मुख्यमंत्री बनाया जाए. हिमाचल प्रदेश के घटनाक्रम को लेकर प्रियंका गांधी ने ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, ”लोकतंत्र में आम जनता को अपनी पसंद की सरकार चुनने का अधिकार है. हिमाचल की जनता ने अपने इसी अधिकार का इस्तेमाल किया और स्पष्ट बहुमत से कांग्रेस की सरकार बनाई. लेकिन भाजपा धनबल, एजेंसियों की ताकत और केंद्र की सत्ता का दुरुपयोग करके हिमाचल वासियों के इस अधिकार को कुचलना चाहती है.”

उन्होंने दावा किया कि इस मक.सद के लिए जिस तरह भाजपा सरकारी सुरक्षा और मशीनरी का इस्तेमाल कर रही है, वह देश के इतिहास में अभूतपूर्व है. प्रियंका गांधी ने कहा, ”25 विधायकों वाली पार्टी यदि 43 विधायकों के बहुमत को चुनौती दे रही है, तो इसका मतलब साफ है कि वो प्रतिनिधियों के खरीद-फरोख्त पर निर्भर है.”

उन्होंने आरोप लगाया, ”इनका यह रवैया अनैतिक और असंवैधानिक है. हिमाचल और देश की जनता सब देख रही है. जो भाजपा प्राकृतिक आपदा के समय प्रदेशवासियों के साथ खड़ी नहीं हुई, अब प्रदेश को राजनीतिक आपदा में धकेलना चाहती है.” जयराम रमेश ने आरोप लगाया कि भाजपा हिमाचल प्रदेश में पिछले दरवाजे से सत्ता पर काबिज होना चाहती है.

उन्होंने संवाददाताओं से कहा, ”हम सरकार अस्थिर नहीं होने देंगे…. जरूरत पड़ी तो कठोर निर्णय लेने से पीछे नहीं हटेंगे.” कांग्रेस महासचिव ने कहा, ”कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने पर्यवेक्षकों से सभी विधायकों से बात कर जल्द रिपोर्ट सौंपने के लिए कहा है.”

रमेश का कहना था, ”हिमाचल की जनता ने प्रधानमंत्री मोदी को नकार कर कांग्रेस पार्टी को स्पष्ट बहुमत दिया था. जहां हम अपनी गारंटी लागू करने में लगे थे, वहीं मोदी जी अपनी गारंटी पूरी करने में लगे थे. मोदी जी की गारंटी है- कांग्रेस की सरकारों को गिराओ. लेकिन जनता ने कांग्रेस को जो जनादेश दिया है, हम उसके साथ विश्वासघात नहीं होने देंगे.” उन्होंने कहा, ”हमें जनादेश जनता ने दिया है और यह जनादेश जनता ही वापस ले सकती है. ऑपरेशन लोटस से जनादेश वापस नहीं लिया जा सकता.” रमेश ने कहा कि अफसोस की बात है कि क्रॉस-वोटिंग हुई और राज्यसभा चुनाव में पार्टी के उम्मीदवार अभिषेक सिंघवी हार गए.

यह पूछे जाने पर कि क्या सुक्खू के स्थान पर किसी और मुख्यमंत्री बनाने का विकल्प खुला हुआ है, तो रमेश ने कहा, ” यह सब हमारे पर्यवेक्षकों की रिपोर्ट पर निर्भर है. अभी कुछ नहीं कह सकता कि कौन से रास्ते बंद हैं, कौन से रास्ते खुले हैं. सारे विकल्प खुले हुए हैं. कांग्रेस को जनादेश मिला था उसका हमें सम्मान करना चाहिए. पार्टी सर्वोपरि है.” कांग्रेस के पर्यवेक्षक और कर्नाटक के उपमुख्यमंत्री शिवकुमार ने भाजपा की निंदा की और उसकी रणनीति को लोकतंत्र के लिए ”चिंताजनक” करार दिया.

बाद में रमेश ने ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, ”जब हिमाचल प्रदेश में पिछले वर्ष भयानक आपदा आई थी तब प्रधानमंत्री ने वहां के लोगों को उनके हाल पर छोड़ दिया था. राज्य सरकार द्वारा बार-बार मदद मांगने के बावजूद प्रधानमंत्री ने मदद का हाथ नहीं बढ़ाया. उन्होंने उस त्रासदी को राष्ट्रीय आपदा घोषित करने की मांग को भी ठुकरा दिया था.” उन्होंने आरोप लगाया कि अब प्रधानमंत्री राज्य की जनता द्वारा चुनी हुई सरकार को अस्थिर करने की कोशिश कर रहे हैं.

रमेश ने कहा, ”राज्य की जनता हमारे साथ है. आगामी लोकसभा चुनाव में हिमाचल प्रदेश के लोग इस अपमान का मुंह तोड़ जवाब देंगे.” भाजपा के उम्मीदवार हर्ष महाजन ने कांग्रेस नेता अभिषेक मनु सिंघवी को हराकर राज्यसभा सीट पर जीत हासिल की. इसके बाद से ही हिमाचल प्रदेश में यह राजनीतिक घटनाक्रम देखा जा रहा है. राज्य विधानसभा की 68 सीटों में से कांग्रेस के पास 40 और भाजपा के पास 25 सीटें हैं. प्रदेश में तीन निर्दलीय विधायक हैं.

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