अमित शाह का आश्वासन CAA का मतलब किसी की नागरिकता छीनना नहीं, केरल और असम में प्रदर्शन

सीएए से किसी भारतीय की नागरिकता नहीं जाएगी, राहुल, खरगे, ओवैसी झूठ बोल रहे : शाह

हैदराबाद/गुवाहाटी/नयी दिल्ली. केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने मंगलवार को आश्वासन दिया कि नागरिकता (संशोधन) अधिनियम (सीएए) में किसी की भी नागरिकता छीनने का कोई प्रावधान नहीं है. शाह ने कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों पर नये कानून को लेकर भ्रम फैलना का आरोप लगाया, जिसकी वजह से केरल और असम में प्रदर्शन शुरू हो गये.

शाह ने विवादास्पद सीएए को लेकर फैली आशंकाओं को दूर करने की कोशिश की और कहा कि नये कानून के कारण किसी भी भारतीय की नागरिकता नहीं जाएगी. वहीं तमिलनाडु के मुख्यमंत्री और द्रविड़ मुनेत्र कषगम (द्रमुक) के प्रमुख एमके स्टालिन ने कहा कि सीएए विभाजनकारी है और उनके राज्य में इसे लागू नहीं किया जाएगा. सोमवार को स्टालिन के समकक्ष और मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) नेता पिनरायी विजयन ने कहा कि केरल में सीएए लागू नहीं किया जाएगा.

शाह ने सीएए लागू करने को जायज ठहराते हुए ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहाद उल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी, कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे और पार्टी नेता राहुल गांधी पर झूठ बोलने का आरोप लगाया कि सीएए लागू होने से देश में अल्पसंख्यकों की नागरिकता छीन ली जाएगी. शाह ने विपक्षी दलों पर वोटबैंक की राजनीति करने का आरोप लगाया.

केंद्रीय गृह मंत्रालय ने एक बयान जारी कर कहा कि भारतीय मुसलमानों को चिंता करने की कोई जरूरत नहीं है क्योंकि सीएए उनकी नागरिकता को प्रभावित नहीं करेगा और इसका उस समुदाय से कोई लेना-देना नहीं है, जिसे अपने हिंदू समकक्षों के समान अधिकार प्राप्त हैं. ओडिशा में सत्तारूढ. बीजू जनता दल (बीजद) ने सीएए को लाग किये जाने का समर्थन किया.

बीजद विधायक परशुराम ढाडा ने कहा, ”बीजद सीएए का स्वागत करती है क्योंकि यह लोगों को नागरिकता प्रदान कर रहा है न कि देश में रहने वाले नागरिकों का अधिकार छीन रहा है.” हैदराबाद में भाजपा के बूथ कार्यकर्ताओं की सभा को संबोधित करते हुए शाह ने सीएए को लेकर ‘अफवाह’ फैला रहे लोगों पर निशाना साधते हुए कहा कि यह कानून नागरिकता प्रदान करता है, छीनता नहीं है.

शाह ने कहा, ”मैं इस देश के अल्पसंख्यकों को बताना चाहता हूं कि सीएए के कारण देश के किसी भी नागरिक की नागरिकता नहीं जाएगी. सीएए एक ऐसा कानून है, जो नागरिकता प्रदान करता है, न कि नागरिकता छीनता है. मैं आपको विश्वास दिलाता हूं कि सीएए में ऐसा कोई प्रावधान नहीं है, जो किसी की भी नागरिकता छीनता हो.” भाजपा सोशल मीडिया स्वयंसेवकों की एक बैठक को संबोधित करते हुए शाह ने आरोप लगाया कि कांग्रेस पार्टी ने तुष्टिकरण और वोट-बैंक की राजनीति के कारण सीएए का विरोध किया.

शाह ने सीएए लागू करने को जायज ठहराते हुए कहा, ”हमने कहा था कि हम सीएए लाएंगे. कांग्रेस पार्टी ने सीएए का विरोध किया.” उन्होंने कहा, ”आजादी के बाद कांग्रेस और हमारे संविधान निर्माताओं का यह वादा था कि बांग्लादेश, अफगानिस्तान और पाकिस्तान में धार्मिक आधार पर सताये गए लोगों को भारत आने पर नागरिकता प्रदान की जाएगी, लेकिन तुष्टिकरण और वोट-बैंक की राजनीति के कारण कांग्रेस पार्टी ने सीएए का विरोध किया.”

उन्होंने कहा कि पाकिस्तान और बांग्लादेश से लाखों-करोड़ों लोग अपनी आस्था और सम्मान को बचाने के लिए भारत आए, लेकिन उन्हें नागरिकता नहीं दी गई. शाह ने कहा, ”नागरिकता नहीं मिलने से उन्होंने अपने देश में खुद को अपमानित महसूस किया.” शाह ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने सीएए के जरिए हिंदू, बौद्ध, जैन और सिख शरणार्थियों को नागरिकता देकर उनका सम्मान किया है. सीएए को संविधान के खिलाफ बताते हुए ओवैसी ने कहा कि वह इस कानून को उच्चतम न्यायालय में चुनौती देंगे.

एआईएमआईएम नेता ने कहा कि धर्म के आधार पर कोई कानून नहीं बनाया जा सकता है और पूर्व में इस मसले पर शीर्ष अदालत ने कई फैसले सुनाए हैं. उन्होंने संवाददाताओं से कहा, ”(यह) समानता के अधिकार के खिलाफ है. आप हर धर्म को अनुमति (नागरिकता) दे रहे हैं लेकिन आप उन लोगों को नहीं दे रहे हैं, जिनका धर्म इस्लाम है. ”

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने दावा किया कि सीएए ‘अस्पष्ट, असंवैधानिक और भेदभावपूर्ण’ है. उत्तर 24 परगना जिले के हावड़ा में एक आधिकारिक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए बनर्जी ने दावा किया कि सीएए पूरे देश में राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) को लागू करने का एक शुरुआती चरण मात्र है.

मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) ने सीएए को लागू किये जाने का विरोध किया और दावा किया कि यह नागरिकता को धार्मिक पहचान से जोड़कर संविधान के धर्मनिरपेक्ष सिद्धांत का उल्लंघन करता है. वाम दल ने एक बयान में आरोप लगाया कि सीएए को लागू किया जाना एनआरसी से जुड़ा हुआ है. पार्टी ने आशंका जताई कि मुस्लिम नागरिकों को निशाना बनाया जाएगा. सीएए को लागू किये जाने के खिलाफ पूरे असम में विरोध प्रदर्शन शुरू हो गये और मोदी, शाह के पुतले और कानून की प्रतियां जलाई गईं.

असम के मुख्यमंत्री हिमंत विश्व शर्मा ने कहा कि अगर राष्ट्रीय नागरिक पंजी (एनआरसी) के लिए आवेदन नहीं करने वाले किसी व्यक्ति को नागरिकता मिल जाती है तो वह इस्तीफा देने वाले पहले व्यक्ति होंगे. मुख्यमंत्री ने कहा, ”मैं असम का बेटा हूं और अगर एनआरसी के लिए आवेदन नहीं करने वाले एक भी व्यक्ति को नागरिकता मिलती है, तो मैं इस्तीफा देने वाला पहला व्यक्ति होऊंगा.” असम में प्रदर्शनकारी दावा कर रहे हैं कि सीएए लागू होने के बाद लाखों लोग राज्य में प्रवेश करेंगे.

मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) नीत वाम लोकतांत्रिक मोर्चा (एलडीएफ) और कांग्रेस नीत संयुक्त लोकतांत्रिक मोर्चा (यूडीएफ) ने इसके खिलाफ कई जगह विरोध प्रदर्शन किया है, वहीं भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने इसका पुरजोर बचाव करते हुए कहा है कि यह कानून मुस्लिमों को निशाना नहीं बनाता है. भाजपा की प्रदेश इकाई के अध्यक्ष के सुरेंद्रन ने आरोप लगाया कि माकपा के नेतृत्व वाला एलडीएफ और कांग्रेस के नेतृत्व वाला यूडीएफ सीएए की आड़ में लोगों को बांट रहा है.

भाजपा के वरिष्ठ नेता जावडेकर ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, ”श्री पिनराई, लोगों को मूर्ख मत बनाएं. कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने कहा कि वह ‘धर्म-आधारित नागरिकता’ के विरोध में हैं. मुख्यमंत्री ने भाजपा पर चुनाव को ध्यान में रखकर सीएए लागू करने का आरोप लगाया.

सिद्धरमैया ने यहां संवाददाताओं से कहा, ”जब चुनाव नजदीक थे तो उन्होंने ऐसा क्यों किया? उन्होंने चुनाव के लिए ऐसा किया. हम धर्म आधारित नागरिकता का विरोध करते हैं.” मेघालय के मुख्यमंत्री कोनराड संगमा ने कहा कि सीएए का राज्य में कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा क्योंकि छठी अनुसूची के क्षेत्रों को इसके दायरे से बाहर रखा गया है. राज्य में पूर्वोत्तर छात्र संगठन सहित कई संगठनों ने सीएए की प्रतियां जलाईं और इसको लागू किये जाने का विरोध किया.

सीएए से किसी भारतीय की नागरिकता नहीं जाएगी, राहुल, खरगे, ओवैसी झूठ बोल रहे : शाह

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने मंगलवार को कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने नागरिकता (संशोधन) अधिनियम (सीएए) के जरिये हिंदू, बौद्ध, सिख और जैन शरणार्थियों को नागरिकता देकर सम्मानित किया है. शाह ने दोहराया कि नये कानून में किसी की भी नागरिकता छीनने का कोई प्रावधान नहीं है.

कांग्रेस और ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहाद उल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) पर निशाना साधते हुए शाह ने यहां एक जनसभा में कहा कि कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे और हैदराबाद से लोकसभा सदस्य असदुद्दीन ओवैसी झूठ बोल रहे हैं कि सीएए लागू होने से देश में अल्पसंख्यकों की नागरिकता छीन ली जाएगी. यहां भाजपा सोशल मीडिया स्वयंसेवकों की एक बैठक को संबोधित करते हुए शाह ने आरोप लगाया कि कांग्रेस पार्टी ने तुष्टिकरण और वोट-बैंक की राजनीति के कारण सीएए का विरोध किया.

शाह ने सीएए लागू करने को जायज ठहराते हुए कहा, ”हमने कहा था कि हम सीएए लाएंगे. कांग्रेस पार्टी ने सीएए का विरोध किया.” उन्होंने कहा, ”आजादी के बाद कांग्रेस और हमारे संविधान निर्माताओं का यह वादा था कि बांग्लादेश, अफगानिस्तान और पाकिस्तान में धार्मिक आधार पर सताये गए लोगों को भारत आने पर नागरिकता प्रदान की जाएगी, लेकिन तुष्टिकरण और वोट-बैंक की राजनीति के कारण कांग्रेस पार्टी ने सीएए का विरोध किया.” उन्होंने कहा कि पाकिस्तान और बांग्लादेश से लाखों-करोड़ों लोग अपनी आस्था और सम्मान को बचाने के लिए भारत आए, लेकिन उन्हें नागरिकता नहीं दी गई. शाह ने कहा, ” नागरिकता नहीं मिलने से उन्होंने अपने देश में खुद को अपमानित महसूस किया.” शाह ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने सीएए के जरिए हिंदू, बौद्ध, जैन और सिख शरणार्थियों को नागरिकता देकर उनका सम्मान किया है.

लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित करने को आतंकवादी ताकतों को उखाड़ फेंकने के लिए सरकार प्रतिबद्ध: शाह

जम्मू-कश्मीर नेशनल फ्रंट (जेकेएनएफ) पर सरकार द्वारा गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम के तहत प्रतिबंध लगाए जाने के बाद गृह मंत्री अमित शाह ने मंगलवार को कहा कि सरकार देश के लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए आतंकवादी ताकतों को उखाड़ फेंकने के लिए प्रतिबद्ध है.

शाह ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, “संगठन को जम्मू कश्मीर को भारत से अलग करने और आतंकवाद का समर्थन करने, राष्ट्र की संप्रभुता, सुरक्षा और अखंडता को चुनौती देने के लिए अलगाववादी गतिविधियों को अंजाम देते हुए पाया गया.” शाह ने अपनी पोस्ट में कहा, ”हम भारत के लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए आतंकी ताकतों को उखाड़ फेंकने के लिए प्रतिबद्ध हैं.” सरकार ने नईम अहमद खान के नेतृत्व वाले जम्मू कश्मीर नेशनल फ्रंट (जेकेएनएफ) पर गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) के तहत प्रतिबंध लगा दिया. गृह मंत्रालय ने एक आदेश में कट्टरपंथी हुर्रियत कॉन्फ्रेंस के घटक जेकेएनएफ को तत्काल प्रभाव से एक “गैरकानूनी संगठन” घोषित किया.

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