आजादी के समय राम मंदिर हिंदू-मुसलमानों के बीच विवाद का मुद्दा नहीं था: राजनाथ

नयी दिल्ली. रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने बृहस्पतिवार को कहा कि आजादी के समय राम मंदिर हिंदुओं और मुसलमानों के बीच संघर्ष का मुद्दा नहीं था और हर समुदाय ने किसी न किसी तरह से ‘राम जन्मभूमि आंदोलन’ का समर्थन किया है. सिंह ने कहा कि कोई राम के बिना भारत की कल्पना नहीं कर सकता और अयोध्या में बनाया जा रहा भव्य मंदिर भारतीय संस्कृति की “पुनस्र्थापना” का प्रतीक है.

मंत्री एक पुस्तक “रोम रोम में राम” के विमोचन के अवसर पर बोल रहे थे. यह पुस्तक दिवंगत वरिष्ठ पत्रकार और सांसद अश्विनी चोपड़ा और अन्य द्वारा लिखे गए निबंधों का संकलन है. सिंह ने कहा कि 500 साल के इंतजार के बाद राम मंदिर का निर्माण हो रहा है. उन्होंने कहा, “अयोध्या में बन रहा नया राम मंदिर भारतीय संस्कृति की पुनस्र्थापना का प्रतीक है. राम के बिना भारत की कल्पना नहीं की जा सकती.” उन्होंने कहा, “अयोध्या नए भारत का प्रतीक बनेगी जो भारत को एक बार फिर दुनिया का नेतृत्व करने की क्षमता देगी. अयोध्या बाकी दुनिया के लिए प्रेरणा बनेगी.” सिंह ने कहा कि राम मंदिर आजादी के समय हिंदुओं और मुसलमानों के बीच संघर्ष का मुद्दा नहीं था.

उन्होंने कहा, “उस समय 12 मुसलमानों ने हलफनामा देकर राम मंदिर का समर्थन किया था… यह हिंदुओं और मुसलमानों के बीच संघर्ष का मामला नहीं था, यह हिंदुओं की आस्था से जुड़ा मामला था.” उन्होंने कहा, राम मंदिर से संबंधित पहली प्राथमिकी सिखों के एक समूह के खिलाफ दर्ज की गई थी.

उन्होंने कहा, “प्रत्येक समुदाय ने किसी न किसी तरह से राम जन्मभूमि आंदोलन का समर्थन किया है. 80 और 90 के दशक में, कुछ दलों ने वोट बैंक की राजनीति के लिए इसका विरोध किया था और यह जारी है.” रक्षा मंत्री ने कहा, जब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ‘गरीब कल्याण’ की बात करते हैं, तो यह विचार भगवान राम से प्रेरित होता है.

उन्होंने राम मंदिर में 22 जनवरी के प्राण प्रतिष्ठा समारोह से पहले 11 दिवसीय विशेष धार्मिक नियम पालन शुरू करने के लिए भी मोदी की प्रशंसा की. उन्होंने कहा, “मोदी जी 11 दिन की लंबी साधना कर रहे हैं… मैं कभी सोच भी नहीं सकता था कि राजनीति में भी कोई ‘साधक’ हो सकता है.”

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