बीसीआई ने तोड़फोड़ के आरोपी ओडिशा के 43 वकीलों को किया निलंबित
नयी दिल्ली/संबलपुर. ‘बार काउंसिल आॅफ इंडिया’ (बीसीआई) ने ओडिशा में संबलपुर के जिला अदालत परिसर में तोड़फोड़ के आरोपी 43 वकीलों को निलंबित कर दिया है. उड़ीसा उच्च न्यायालय की एक खंडपीठ की स्थापना की मांग को लेकर सोमवार को जिले में हुए विरोध-प्रदर्शन के दौरान यह घटना हुई. शीर्ष बार काउंसिल ने मंगलवार को एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा कि निलंबन तत्काल प्रभाव से 18 महीने की अवधि के लिए है.
इसमें कहा गया है कि बीसीआई के अध्यक्ष मनन कुमार मिश्रा ने ‘संबलपुर डिस्ट्रिक्ट बार एसोसिएशन’ के सभी सदस्यों को यह कहते हुए अगले आदेश तक निलंबित कर दिया है कि उनका व्यवहार ‘‘पेशेवर आचरण और शिष्टाचार के खिलाफ है.’’ मनन ने निर्देश पारित करते हुए कहा कि उपलब्ध वीडियो और ‘ओडिशा स्टेट बार काउंसिल’ द्वारा भेजे गए ई-मेल से पता चलता है कि वहां वकालत करने वाले लगभग सभी वकील (पुरुष और महिलाएं) नारे लगाने, न्यायाधीशों और पदाधिकारियों के पुतले फूंकने और अदालत कक्ष में घुसकर तोड़फोड़ में शामिल थे.
इससे पूर्व, दिन में संबलपुर से प्राप्त रिपोर्टों में बताया गया था कि ओडिशा के संबलपुर में जिला अदालत परिसर में तोड़फोड़ में कथित संलिप्तता के आरोप में 14 वकीलों को गिरफ्तार किया गया. संबलपुर के पुलिस अधीक्षक (एसपी) बी गंगाधर ने कहा कि सोमवार को जिले में उड़ीसा उच्च न्यायालय की एक खंडपीठ की स्थापना की मांग को लेकर विरोध प्रदर्शन के दौरान हुई घटना के संबंध में टाउन पुलिस थाने में तीन मामले दर्ज किए गए.
उन्होंने कहा, ‘‘अब तक, हमने जिला न्यायाधीश के कक्ष में तोड़फोड़ करने के आरोप में 14 वकीलों को गिरफ्तार किया है. उनमें से नौ को अदालत में पेश किया गया और बाद में न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया.’’ गंगाधर ने कहा कि घटना में शामिल अन्य लोगों को न्यायाधीश के कक्ष के पास लगे सीसीटीवी से फुटेज का विश्लेषण करने के बाद गिरफ्तार किया जाएगा.
एसपी ने यह भी कहा कि कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए कचेरी छक में धरना स्थल पर सीआरपीसी की धारा 144 लगा दी गई है और निषिद्ध क्षेत्र के 200 मीटर के दायरे में प्रवेश करने पर कार्रवाई की जाएगी. उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को ओडिशा सरकार से कहा था कि वह बताए कि राज्य में अदालतों के कामकाज में व्यवधान रोकने के लिए वह क्या कदम उठा रही है, जहां कुछ जिलों में वकील आंदोलन कर रहे हैं.
न्यायमूर्ति एस के कौल और न्यायमूर्ति ए एस ओका की पीठ ने प्रदर्शनकारियों के खिलाफ कार्रवाई न करने को लेकर राज्य पुलिस को फटकार लगाई थी. भारतीय बार परिषद (बीसीआई) ने इससे पहले 18 महीने की अवधि के लिए 29 आंदोलनकारी वकीलों के ‘प्रैक्टिस के लाइसेंस’ को निलंबित कर दिया था.