भाजपा ने बिहार के सरकारी स्कूलों में हिंदू त्योहारों पर ”छुट्टियों में कटौती” का आरोप लगाया

पटना. बिहार की नीतीश कुमार सरकार को आने वाले साल में सरकारी स्कूलों के लिए प्रस्तावित ”हिंदू छुट्टियों” में कथित कटौती को लेकर मंगलवार को विपक्ष की भारी आलोचना का सामना करना पड़ा. वैसे राज्य के शिक्षा विभाग ने एक प्रेस विज्ञप्ति जारी कर स्पष्ट किया कि 27 नवंबर को निकाली गई दो अधिसूचनाओं के कारण भ्रम पैदा हुआ है. ये दोनों अधिसूचनाएं हिंदी और उर्दू माध्यम के स्कूलों के लिए अलग-अलग अवकाश कैलेंडर से संबंधित हैं.

उसने स्पष्ट किया कि 2024 के लिए प्रस्तावित छुट्टियों की कुल संख्या पिछले वर्षों के समान 60 है जो स्कूलों में न्यूनतम 220 कार्य दिवसों का निर्धारण करने वाले ‘शिक्षा के अधिकार’ अधिनियम के अनुसार है . उसने यह भी स्पष्ट किया कि कैलेंडर में साल 2024 में सम्राट अशोक, भगवान महावीर और वीर कुंवर सिंह की जयंती का भी उल्लेख नहीं है क्योंकि ये गर्मी की छुट्टियों के दौरान आती हैं.

शिक्षा विभाग के बयान में यह भी कहा गया कि लोकसभा चुनाव के मद्देनजर गर्मी की छुट्टियां पहले की भांति नहीं, बल्कि उससे पहले 15 अप्रैल से 15 मई तक हो रही हैं. हालांकि राज्य की मुख्य विपक्षी पार्टी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने आरोप लगाया कि मुस्लिम त्योहारों की छुट्टियां बढ.ा दी गई हैं, जबकि हिंदुओं के लिए जन्माष्टमी, रामनवमी और महाशिवरात्रि पर छुट्टियां खत्म कर दी गयी हैं .

केंद्रीय मंत्री और भाजपा नेता गिरिराज सिंह ने बिहार सरकार पर इस्लामिक शासन का पालन करने का आरोप लगाते हुए कहा कि यही कारण है कि अररिया, किशनगंज और पूर्णिया जैसे मुस्लिम बहुल जिलों में शुक्रवार को साप्ताहिक छुट्टी की अनुमति दी गई है, इसके अलावा ईद और बकरीद की छुट्टियां बढा दी गयी हैं .

हालांकि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी जनता दल यूनाइटेड (जदयू) के मुख्य प्रवक्ता और विधानपरिषद सदस्य नीरज कुमार ने कहा, ”यह कहना कि मुस्लिम छुट्टियों में वृद्धि की गई है, एक दुष्प्रचार है. शबे-बारात के दौरान जितने दिन स्कूल बंद रहेंगे उसकी संख्या कम कर दी गई है. मुस्लिम बहुल इलाकों में शुक्रवार को साप्ताहिक छुट्टी एक परंपरा है जिसका पालन कई राज्यों में किया जाता है.”

जदयू प्रवक्ता ने यह भी कहा, ”अगर हम हिंदी माध्यम स्कूलों के कैलेंडर को देखें तो हिंदुओं को छुट्टियों से वंचित नहीं किया गया है. छुट्टियों की सूची में होली, दिवाली, छठ सब कुछ है और इसी तरह जन्माष्टमी, महाशिवरात्रि और रामनवमी भी हैं.” भाजपा नेता सिंह ने छुट्टियों में यह बदलाव ”बिहार का इस्लामीकरण करने के लिए” लाए जाने का आरोप लगाते हुए कहा कि अगर नया कैलेंडर वापस नहीं लिए गया तो मुख्यमंत्री और उनके सहयोगी राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद के नाम के आगे ”मोहम्मद” जोड़ा जाएगा.

हालांकि राजद प्रवक्ता शक्ति यादव ने माना कि रक्षा बंधन पर छुट्टी खत्म किया जाना सही नहीं है और उम्मीद जताई कि शिक्षा विभाग इस पर ध्यान देंगे. इस विभाग के प्रभारी राजद नेता चंद्रशेखर हैं. जेदयू नेता और अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री ज.मा खान ने भी कहा, ”अगर नए कैलेंडर से बड़ी संख्या में लोगों को असुविधा होती है तो शिक्षा विभाग इस मामले को देखेगा और आवश्यक बदलाव करेगा. भाजपा को चाहिए कि जिन मुद्दों से सांप्रदायिक तनाव पैदा हो, वह उन्हें उठाने से बचे .” बहरहाल गिरिराज सिंह के अलावा भाजपा के कई नेताओं ने बिहार में सरकार पर ”इस्लामीकरण” और ”तुष्टिकरण” का आरोप लगाते हुए बयान दिये हैं.

भाजपा को अपने वर्तमान सहयोगियों से पर्याप्त समर्थन मिला. पिछले साल नीतीश कुमार द्वारा नाता तोड़ने के बाद भाजपा बिहार में सत्ता से बाहर हो गयी थी. जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के प्रमुख चिराग पासवान ने आरोप लगाया, ”हिंदी और उर्दू माध्यम के स्कूलों के लिए अलग-अलग कैलेंडर से पता चलता है कि नीतीश कुमार लोगों को धर्म के नाम पर विभाजित करने में विश्वास करते हैं.”

इस साल की शुरुआत में जदयू छोड़कर राष्ट्रीय लोक जनता दल बनाने वाले पूर्व केंद्रीय मंत्री उपेन्द्र कुशवाह ने आरोप लगाया, ”संशोधित कैलेंडर के पीछे इरादा शिक्षा में सुधार करना नहीं है. नीतीश और लालू ने मिलकर 33 वर्षों तक बिहार पर शासन किया है और वे जनता का सामना करने से डरते हैं क्योंकि जनता उनसे पूछेगी कि उनकी स्थिति में सुधार क्यों नहीं हुआ है. उन्हें लगता है कि अलग-अलग कैलेंडर के जरिए वे अल्पसंख्यक समुदाय को संतुष्ट कर पाएंगे जो कृतज्ञतापूर्वक उनके पक्ष में मतदान करेगा. लेकिन अल्पसंख्यक इस तरह के हथकंडों से प्रभावित होने वाले नहीं है और वे संसद में नागरिकता विधेयक का समर्थन करने में जदयू द्वारा दिखाए गए दोहरेपन को नहीं भूलेंगे.”

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