भाजपा नेताओं ने ‘राम दरबार’ वाला प्रवेश द्वार ढहाए जाने का किया विरोध

जयपुर. राजस्थान में भाजपा के नेताओं व कुछ धार्मिक संगठनों ने सुजानगढ़ कस्बे में ‘राम दरबार’ वाले प्रवेश द्वार को ढहाए जाने पर आपत्ति जताई है. लोक निर्माण विभाग ने प्रसिद्ध सालासर मंदिर की ओर जाने वाले राजमार्ग को चौड़ा करने के लिए इस प्रवेश द्वार को ढहाया जिसका वीडियो सोशल मीडिया पर काफी प्रसारित हो रहा है.

मुख्य विपक्षी दल भाजपा ने राज्य की कांग्रेस सरकार की इस कार्रवाई की ंिनदा की है जबकि कांग्रेस नेताओं का कहना है कि भाजपा एक गैर-मुद्दे को मुद्दा बना रही है. पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने भी इस मामले में रविवार को ट्वीट किया. उन्होंने लिखा, ‘‘विकास के बहाने सालासर बालाजी के तोरण द्वार को तोड़ना और राम दरबार को ध्वस्त करना बेहद दुर्भाग्यपूर्ण और ंिनदनीय है. क्या कांग्रेस सरकार का ये ही विकास है?’’

भाजपा राजस्थान संगठन ने शनिवार को द्वार को ढहाए जाने का वीडियो साझा करते हुए ट्वीट किया, ‘‘सुजानगढ़ में गहलोत सरकार की “निशाचरी करतूत”! अंधेरी रात में भगवान राम और उनके दरबार की मूर्तियों पर गहलोत सरकार ने चलाया बुलडोजर. गहलोत जी, नहीं भूलेंगे हम….’’ चुरू से भाजपा के विधायक राजेंद्र राठौड़ ने इस मामले में दोषी अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग करते हुए कहा कि वह इस मामले को विधानसभा में उठाएंगे. भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनियां व केंद्रीय मंत्री गजेंद्र ंिसह शेखावत ने भी सोशल मीडिया के जरिए इस मुद्दे को उठाते हुए कांग्रेस सरकार पर निशाना साधा है.

वहीं कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष गोंिवद ंिसह डोटासरा ने इस मुद्दे पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि भाजपा एक मामले को मुद्दा बनाना चाहती है जो कोई मुद्दा ही नहीं है. उन्होंने संवाददाताओं से कहा, ‘‘भाजपा धर्म के नाम पर राजनीति करना चाहती है. सड़क चौड़ीकरण के रास्ते में आने के कारण गेट को हटा दिया गया था. वे तो गैर-मुद्दे को मुद्दा बनाना चाहते हैं. ये वही लोग हैं जिन्होंने अपने शासन काल में जयपुर शहर में ही 370 मंदिरों को ध्वस्त कर दिया था.’’ डोटासरा ने कहा कि भगवान राम सभी के हैं और वे हमेशा आराध्य रहे हैं. कांग्रेस ने हमेशा देवी-देवताओं का सम्मान किया है जबकि चुनाव नजदीक आने पर भाजपा पाखंड में लिप्त है. लोक निर्माण विभाग के ठेकेदार ने 15 मार्च को बड़ी मशीनों के जरिए गेट को तोड़ा था.

विभाग के सहायक अभियंता बाबू लाल वर्मा ने कहा, ‘‘द्वार का निर्माण सालासर मंदिर प्रबंधन द्वारा किया गया था. सड़क को चौड़ा करने के लिए 18 मीटर जगह चाहिए होती है जबकि मौजूदा जगह 12 मीटर थी. तकनीकी पहलुओं के कारण गेट को ढहाने की आवश्यकता थी. ठेकेदार ने पहले ही नया द्वार बनाने का आश्वासन दिया है.’’ उन्होंने कहा कि विभाग की ओर से इस बारे में सालासर मंदिर प्रबंधन को नोटिस दिया गया था. वहीं कुछ हिंदू संगठनों ने द्वार गिराए जाने का विरोध करते हुए 16 मार्च को सड़क जाम कर प्रदर्शन किया हालांकि द्वार के पुर्निनर्माण का आश्वासन मिलने के बाद उन्होंने धरना समाप्त कर दिया.

 

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