जातिगत जनगणना को लेकर कांग्रेस की राह पर भाजपा, दोनों दल “पीडीए” की ताकत से वाकिफ : अखिलेश यादव

टीकमगढ. समाजवादी पार्टी (सपा) के प्रमुख अखिलेश यादव ने रविवार को दावा किया कि कांग्रेस ने अतीत में जातिगत जनगणना और मंडल आयोग की सिफारिशों का कार्यान्वयन रोक दिया था और सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) भी आज इसी तरह का रुख अपना रही है.

मध्य प्रदेश के टीकमगढ. जिले के जतारा विधानसभा क्षेत्र में एक चुनावी सभा के दौरान अखिलेश ने कहा कि कांग्रेस और भाजपा चुनावों में ”पीडीए” यानी “पिछड़ा वर्ग, दलितों और आदिवासियों” को लुभाने के लिए जातिगत जनगणना और आरक्षण की बात कर रहे हैं, क्योंकि दोनों दलों को इन तबकों की ताकत का अहसास हो चुका है.

उन्होंने कहा, “देश में जातिगत जनगणना और मंडल आयोग की सिफारिशों को (कार्यान्वयन से) किसी पार्टी ने रोका, तो वह कांग्रेस है. अब उसी रास्ते पर भाजपा भी चल रही है.” अखिलेश ने कहा, “जातिगत जनगणना का जो सवाल उठा है, उसका चमत्कार देखिए कि अब कांग्रेस कह रही है कि जातिगत जनगणना होनी चाहिए. वहीं, भाजपा जो पिछड़ों के आरक्षण के खिलाफ रही है, वह भी आज जातिगत जनगणना की बात कर रही है. चुनाव आ गया है, इसलिए पीडीए की ताकत को दोनों दल समझ गए हैं.”

सपा प्रमुख ने मध्य प्रदेश विधानसभा चुनावों के लिए जारी पार्टी के घोषणापत्र के हवाले से कहा कि उनकी पार्टी जातिगत जनगणना, अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के लिए 27 प्रतिशत आरक्षण और महिलाओं के लिए मध्य प्रदेश सरकार की ”लाड़ली बहना” योजना से बेहतर ”समाजवादी पेंशन” योजना का संकल्प व्यक्त करती है.

उन्होंने कहा कि ”समाजवादी पेंशन” योजना के तहत हितग्राहियों को हर माह 3,000 रुपये की सहायता राशि प्रदान की जाएगी.
केंद्र की नरेन्द्र मोदी सरकार की आलोचना करते हुए अखिलेश ने दावा किया कि ”अग्निवीर” योजना के तहत सशस्त्र बलों में भर्ती होने वाले युवाओं को कर्तव्य के दौरान सर्वोच्च बलिदान पर शहीद का दर्जा और वित्तीय सहायता नहीं मिलेगी.

उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री ने सवाल किया कि क्या वह सरकार जो सैनिकों के लिए ऐसे आधे-अधूरे प्रावधान करती है, उसे ”राष्ट्रवादी” कहा जा सकता है? उन्होंने आरोप लगाया कि मध्य प्रदेश में महिलाओं पर देशभर में सबसे ज्यादा अत्याचार होते हैं, वहीं दलितों और आदिवासियों के उत्पीड़न की स्थिति भी गंभीर है.

सपा प्रमुख ने यह भी कहा कि लोगों को उस कथित प्रलोभन के बारे में पता ही नहीं है, जो मार्च 2020 में कमलनाथ की अगुवाई वाली कांग्रेस सरकार के पतन और शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में भाजपा सरकार की वापसी का कारण बना. सपा और कांग्रेस विपक्ष गठबंधन ”इंडिया” (इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इंक्लूसिव अलायंस) का हिस्सा हैं, लेकिन दोनों दल मध्य प्रदेश की 230 सीटों पर 17 नवंबर को होने वाला चुनाव अलग-अलग लड़ रहे हैं.

इस चुनाव के लिए दोनों दलों में तालमेल नहीं होने को लेकर अखिलेश और कमलनाथ के बीच तनातनी पहले ही सामने आ चुकी है.
मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में कांग्रेस द्वारा सपा के लिए एक भी सीट नहीं छोड़ने से नाराज अखिलेश ने संकेत दिया था कि उनकी पार्टी उत्तर प्रदेश में कांग्रेस के साथ ऐसा ही व्यवहार कर सकती है.

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