तमिलों की एकता को नष्ट करने के लिए जातिगत और धार्मिक मतभेद पैदा किए गए: स्टालिन

मदुरै. तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम के स्टालिन ने बुधवार को कहा कि तमिलों की एकता को नष्ट करने के लिए जाति और धार्मिक मतभेद पैदा किए गए. मुख्यमंत्री ने लोगों से सांडों को काबू में करने के पारंपरिक खेल जल्लीकट्टू तथा अन्य सांस्कृतिक पर्व तमिलों के तौर पर एकजुट होकर मनाने का आग्रह किया.

स्टालिन ने अपने पिता और द्रविड़ मुनेत्र कषगम (द्रमुक) प्रमुख दिवंगत एम करुणानिधि के नाम पर बनाई गई विशाल मल्लभूमि का उद्घाटन करने के बाद अपने संबोधन में यह भी आरोप लगाया कि केन्द्र में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी राज्य में जल्लीकट्टू के आयोजन की अनुमति देने को लेकर ”नाटक कर रही थी”. बाद में उच्चतम न्यायालय ने इस मामले में आयोजन के पक्ष में फैसला दिया.

उन्होंने याद किया कि द्रमुक के संस्थापक दिवंगत सीएन अन्नादुराई ने राज्य को तमिलनाडु नाम दिया था (इसे पहले मद्रास प्रेसीडेंसी के नाम से जाना जाता था) वहीं करुणानिधि ने यह सुनिश्चित किया कि तमिल को शास्त्रीय भाषा का दर्जा मिले. मुख्यमंत्री ने कहा कि उनकी ”सरकार के द्रविड़ मॉडल” ने तमिलों की संस्कृति के प्रतीक ‘एरुताजवहुथल’ को रेखांकित करने के लिए इस जिले में भव्य मल्लभूमि का निर्माण किया है. जल्लीकट्टू को एरुताजवहुथल भी कहा जाता है, जिसका अर्थ है सांडों को गले लगाना.

स्टालिन ने कहा कि 2014 में ऐसे हालात थे कि राज्य में जल्लीकट्टू आयोजित नहीं किया जा सकता था, तीन वर्ष बाद खेल आयोजित करने की मांग को लेकर चेन्नई के मरीन इलाके में बड़ा विरोध प्रदर्शन किया गया. उन्होंने तत्कालीन अन्नाद्रमुक सरकार पर शांतिपूर्ण प्रदर्शन कर रहे लोगों पर ”हिंसा” का आरोप लगाया.

मुख्यमंत्री ने कहा, ” कोई स्थाई समाधान नहीं निकला. प्रत्येक वर्ष भाजपा नीत केन्द्र सरकार जल्लीकट्टू को मंजूरी देने के नाम पर कोई न कोई नाटक करती थी. ” मुख्यमंत्री ने कहा कि शीर्ष अदालत में भी भाजपा सरकार ने कहा कि वह जल्लीकट्टू और बैलगाड़ी दौड़ को मान्यता नहीं देती. हालांकि बाद में द्रमुक सरकार ने अदालत में कहा कि जल्लीकट्टू केवल मनोरंजन के जुड़ा खेल भर नहीं है बल्कि यह किसानों के जीवन और उनकी संस्कृति से जुड़ा है,साथ ही उसने भरोसा दिलाया कि इसे पूरे सुरक्षा उपायों के साथ आयोजित किया जाएगा.

मुख्यमंत्री ने कहा कि इसके बाद न्यायालय ने जल्लीकट्टू आयोजित करने का पिछले वर्ष ”ऐतिहासिक’ फैसला सुनाया. करुणानिधि के नाम पर बना ”कलैग्नार नूत्रांदू एरुताजवहुथल अरंगम’ मदुरै के अलंगनल्लूर में कीलाकेराई गांव में 66.80 एकड़ में फैला हुआ है और इसे 62.78 करोड़ रुपए की लागत से बनाया गया है. मुख्यमंत्री ने पहले राज्य विधानसभा में घोषणा की थी कि यहां जल्लीकट्टू के लिए एक अलग मल्लभूमि तैयार की जाएगी.

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