कांग्रेस कर्नाटक में ‘पांच गारंटी’ लागू करेगी या ‘शर्तें लागू’ वाली बात जोड़ेगी

बेंगलुरु. कांग्रेस की नयी सरकार कर्नाटक में क्या उन ‘पांच गारंटी’ को लागू करेगी, जिनकी मदद से उसने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को मात देकर सत्ता हासिल की या अब वह इसमें ‘शर्तें लागू’ वाली बात जोड़ देगी? सिद्धरमैया के नेतृत्व वाली सरकार के शनिवार को कार्यभार संभालने के बाद सभी की निगाहें इस पर टिकी होंगी.

दस मई को हुए विधानसभा चुनाव के लिए प्रचार के दौरान राहुल गांधी सहित कांग्रेस नेताओं ने मतदाताओं को बार-बार आश्वासन दिया कि सत्ता में आने के पहले दिन कैबिनेट की पहली बैठक में इन ‘पांच गारंटी’ को मंजूरी दी जाएगी. राजनीतिक विश्लेषकों ने कहा है कि ‘गारंटी’ को मतदाताओं, विशेष रूप से महिलाओं का पूरा समर्थन मिला और इसने पार्टी की शानदार जीत में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. राज्य की 224 सदस्यीय विधानसभा में 135 सीटें हासिल करने वाली कांग्रेस ने भाजपा को सत्ता से बेदखल कर दिया. भाजपा ने 66 निर्वाचन क्षेत्रों में जीत हासिल की जबकि जनता दल (सेक्युलर) केवल 19 सीटें जीतने में सफल रही.

कुछ भाजपा नेताओं ने आरोप लगाया है कि ‘गारंटी’ को लागू करने से राज्य दिवालिया हो जाएगा, और यह भी दावा किया कि कांग्रेस अपने चुनाव-पूर्व वादों को नहीं निभाएगी. इन वादों में सभी घरों (गृह ज्योति) को 200 यूनिट मुफ्त बिजली, हर परिवार की महिला मुखिया (गृह लक्ष्मी) को 2,000 रुपये मासिक सहायता, गरीबी रेखा से नीचे (बीपीएल) के परिवार (अन्न भाग्य) के प्रत्येक सदस्य को 10 किलोग्राम मुफ्त चावल, बेरोजगार स्नातक युवाओं के लिए हर महीने 3,000 रुपये और बेरोजगार डिप्लोमा धारकों (दोनों 18-25 आयु वर्ग में) को दो साल के लिए 1,500 रुपये (युवा निधि) और सार्वजनिक परिवहन बसों (शक्ति) में महिलाओं के लिए मुफ्त यात्रा शामिल हैं.

कांग्रेस के प्रमुख नेताओं ने इस हफ्ते की शुरुआत में कहा था कि ‘पांच गारंटी’ को लागू करने से सरकारी खजाने पर सालाना 50,000 करोड़ रुपये का बोझ पड़ सकता है. भाजपा और जद (एस) के नेताओं ने भी कहा है कि वे उत्सुकता से देख रहे हैं कि क्या कांग्रेस अपने वादों को पूरा करेगी.

शुक्रवार को दिल्ली के लिए उड़ान भरने से पहले पत्रकारों से बातचीत में कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष डी के शिवकुमार ने कहा, ”पहले ही दिन पहली कैबिनेट बैठक में हम अपनी सभी गारंटी योजनाओं को लागू करने जा रहे हैं. हम अपने वादों को पूरा करेंगे. आपको इस महान ऐतिहासिक पल का साक्षी बनना चाहिए.” यह पूछे जाने पर कि क्या कोई शर्तें जुड़ी होंगी, शिवकुमार ने कहा कि वह अभी नहीं बोलेंगे, लेकिन फैसला लागू होने के बाद लोगों को इसकी जानकारी दी जाएगी.

उन्होंने जोर दिया, ”यह डी के शिवकुमार या सिद्धरमैया की गारंटी नहीं है. यह कांग्रेस पार्टी की गारंटी है…हमने जो कहा है, हम उसे करेंगे.” पूर्व केंद्रीय मंत्री एम वीरप्पा मोइली ने ‘पीटीआई-भाषा’ से बातचीत में कहा, ”हम एक जिम्मेदार पार्टी हैं. जिम्मेदार कांग्रेस नेताओं ने उन्हें (गारंटी) तैयार किया है, उनके प्रभाव से वे पूरी तरह वाकिफ होंगे. हम उन्हें लागू करने की स्थिति में होंगे.” कांग्रेस के घोषणापत्र मसौदा कमेटी के उपाध्यक्ष प्रोफेसर के ई राधाकृष्ण के मुताबिक, जिस राज्य का सालाना बजट करीब तीन लाख करोड़ रुपये है, वहां इन योजनाओं पर सालाना 50,000 करोड़ रुपये से ज्यादा खर्च नहीं होगा.

उन्होंने कहा कि परिवार की प्रत्येक महिला मुखिया को 2,000 रुपये देने वाली ‘गृह लक्ष्मी’ योजना केवल बीपीएल परिवारों के लिए लागू होगी, सभी के लिए नहीं. कांग्रेस के कुछ नेताओं के अनुसार, ‘गृह ज्योति’, ‘युवा निधि’ और ‘शक्ति’ योजनाएं भी बीपीएल परिवारों तक ही सीमित रहने की संभावना है.

एक वरिष्ठ नौकरशाह ने कहा कि अगर इन योजनाओं को बिना किसी शर्त के अपने वास्तविक स्वरूप में लागू किया जाता है, तो इससे राज्य की अर्थव्यवस्था पर ”दबाव” पड़ेगा. उन्होंने कहा, ”अगर शर्तें भी लागू होती हैं, तो इससे राज्य के खजाने पर बोझ पड़ेगा.” नगर निकाय ‘बृहत बेंगलुरु महानगर पालिके’ का नेतृत्व कर चुके एक सेवानिवृत्त नौकरशाह ने कहा कि इन योजनाओं को तभी लागू किया जा सकता है, जब कठोर मितव्ययिता के उपाय हों.

उन्होंने कहा, ”कठोर मितव्ययिता होनी चाहिए, अनावश्यक व्यय पर नियंत्रण, लीकेज की रोकथाम के उपाय, फर्जी बिल पर अंकुश, हर सार्वजनिक कार्य का पूर्व-लेखापरीक्षा और ’40 प्रतिशत कमीशन’ पर जांच होनी चाहिए. इसके अलावा, लोकायुक्त को गड़बड़ी में शामिल अधिकारियों के खिलाफ छापे मारने के लिए और अधिक अधिकार दिए जाने चाहिए.” सामाजिक कार्यकर्ता कात्यायिनी चामराज ने कहा कि मुफ्त में पैसे देने के बजाय लोगों को कौशल और प्रशिक्षण देकर उन्हें सशक्त बनाया जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना शुरू करने वाली कांग्रेस शहरी रोजगार गारंटी योजना शुरू कर सकती है और परिवारों की महिला मुखियाओं के साथ-साथ बेरोजगार स्नातकों और डिप्लोमा धारकों को धन का भुगतान कर सकती है.

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