अवमानना मामला: न्यायालय ने माल्या को चार महीने की सजा सुनाई

नयी दिल्ली. उच्चतम न्यायालय ने भगोड़े कारोबारी विजय माल्या को अदालत की अवमानना के मामले में सोमवार को चार महीने की सजा सुनाई. न्यायमूर्ति यू. यू. ललित की अध्यक्षता वाली एक पीठ ने कहा कि ‘‘कानून का शासन’’ बनाए रखने के लिए अवमानना करने वाले को उचित सजा दिया जाना जरूरी है. पीठ ने मामले में माल्या पर 2000 रुपये का जुर्माना भी लगाया. माल्या 9,000 करोड़ रुपये से अधिक के बैंक ऋण धोखाधड़ी मामले में आरोपी हैं.

पीठ ने कहा, ‘‘ रिकॉर्ड में दर्ज तथ्यों एवं परिस्थितियों और इस बात पर गौर करने के बाद कि अवमानना करने वाले ने अपने किए पर ना कोई पछतावा जताया और ना ही उसके लिए माफी मांगी, हम उसे चार महीने की सजा सुनाते हैं और उस पर दो हजार रुपये का जुर्माना भी लगाते हैं. ’’ पीठ ने कहा कि माल्या पर लगाया गया दो हजार रुपये का जुर्माना चार सप्ताह के भीतर शीर्ष अदालत की ‘रजिस्ट्री’ में जमा किया जाए और राशि जमा होने के बाद उसे उच्चतम न्यायालय कानूनी सेवा समिति को हस्तांतरित कर दिया जाए.

पीठ ने कहा, ‘‘ जुर्माना राशि निर्धारित समय में जमा न करवाने पर, अवमानना करने वाले को अतिरिक्त दो महीने जेल में बिताने होंगे.’’ अदालत ने इस मामले में सजा की अवधि तय करने संबंधी अपना फैसला 10 मार्च को सुरक्षित रख लिया था और टिप्पणी की थी कि माल्या के खिलाफ सुनवाई में अब कोई प्रगति नहीं हो सकती.

माल्या को अवमानना के लिए 2017 में दोषी ठहराया गया था. शीर्ष अदालत ने 2017 के फैसले पर पुर्निवचार के लिए माल्या की ओर से दायर पुर्निवचार याचिका 2020 में खारिज कर दी थी. न्यायालय ने अदालती आदेशों को धता बताकर अपने बच्चों के खातों में चार करोड़ डॉलर भेजने को लेकर उन्हें अवमानना का दोषी ठहराया था. माल्या मार्च 2016 से ब्रिटेन में रह रहे हैं. 18 अप्रैल 2017 को स्कॉटलैंड यार्ड ने प्रत्यर्पण वारंट पर उन्हें जमानत दी थी.

इससे पहले, सुनवाई के दौरान माल्या के वकील ने दस मार्च को उच्चतम न्यायालय में कहा था कि ब्रिटेन में रह रहे उनके मुवक्किल की ओर से कोई निर्देश न मिल पाने की वजह से वह अवमानना मामले में सजा की अवधि के बारे में कोई तर्क नहीं दे सकते. न्यायालय ने दस फरवरी को कहा था कि इंतजार की अवधि बहुत लंबी हो गई. साथ ही न्यायालय ने माल्या को अंतिम अवसर देते हुए कहा था कि या तो वह स्वयं पेश हों या अपने वकील के माध्यम से अपना पक्ष रखें. पिछले साल 30 नवंबर को शीर्ष अदालत ने कहा था कि और इंतजार नहीं किया जा सकता और माल्या के खिलाफ अवमानना मामले में सजा पर जल्द ही अंतिम व्यवस्था दी जाएगी .

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