भाजपा नेताओं की टिप्पणी पर विवाद : कार्यकर्ताओं के एक वर्ग का सवाल, चीन पर चुप क्यों हैं मुस्लिम देश
नयी दिल्ली. विशेषज्ञों और कार्यकर्ताओं के एक तबके ने अल्पसंख्यकों के साथ चीन के व्यवहार और वहां मानवाधिकारों के कथित उल्लंघन को लेकर मुस्लिम देशों की “चुप्पी” पर सोमवार को सवाल उठाया. इन देशों में से कुछ ने पैगंबर मोहम्मद के संबंध में भारतीय जनता पार्टी के दो नेताओं की टिप्पणी को लेकर भारत के समक्ष विरोध दर्ज कराया था.
पैगंबर मोहम्मद के खिलाफ कथित अपमानजनक टिप्पणी पर विवाद रविवार को बढ़ गया जब सऊदी अरब, कुवैत, कतर और ईरान जैसे देशों ने विरोध जताया. इसके बाद भाजपा ने अपने नेताओं के खिलाफ कार्रवाई की और दावा किया कि वह सभी धर्मों का सम्मान करती है. इस्लामी देशों की प्रतिक्रिया के बाद, कुछ तबकों में सवाल पूछे जा रहे हैं कि क्या ये देश चीन के खिलाफ भी इसी तरह की आपत्तियां उठाएंगे, जिसके खिलाफ कई मानवाधिकार समूहों ने मुसलमानों और अन्य अल्पसंख्यकों को निशाना बनाने का आरोप लगाया है. हालांकि चीन इन आरोपों से इनकार करता रहा है.
सेंटर फॉर पॉलिसी रिसर्च (सीपीआर) से जुड़े प्रोफेसर एमेरिटस ब्रह्म चेलानी ने कहा, “कुछ मुस्लिम देश इस्लाम पर चीन के हमले पर चुप रहे हैं, जिनमें दस लाख से अधिक मुसलमानों को कैद करना और ‘कुरान को जब्त करना’ शामिल हैं… उन्होंने अब सत्तारुढ़ दल से निकाल दिए गए दो भारतीयों की मुस्लिम विरोधी टिप्पणियों को हवा दी है.’’
उन्होंने कहा, “क्या ऐसा इसलिए है कि वे भारत को एक नरम देश के रूप में देखते हैं?” कार्यकर्ता और वकील कस्तूरी शंकर ने भी ट्विटर पर ऐसी ही राय रखी. उन्होंने कहा, “दुनिया के दो अरब मुसलमानों की भावनाओं के लिए खड़े होने का दावा करने वाले देश अफगानिस्तान, सीरिया, चीन या बर्मा में मुसलमानों के लिए कुछ नहीं करते हैं.’’
शंकर ने कहा, “हम आईएसआईएस या चीन या तालिबान के खिलाफ कुछ नहीं कर सकते हैं, इसलिए टीवी बहस में एक अकेली महिला को चुन लें.” पूर्व राज्यसभा सदस्य और भाजपा नेता बलबीर पुंज ने ट्वीट किया, “दुनिया जानती है कि चीन अपने अल्पसंख्यकों- खासकर मुसलमानों और तिब्बती बौद्धों के साथ किस प्रकार व्यवहार करता है. चीन शिनजियांग में इस्लाम और मुसलमानों के साथ सभी मानवाधिकारों, अंतर्राष्ट्रीय संधियों का उल्लंघन करता है. दुनिया में इसके बारे में कोई भी नहीं बोलता है. क्यों?’’
उन्होंने आरोप लगाया कि कांग्रेस, कम्युनिस्ट और “जिहादी” जश्न मना रहे हैं क्योंकि “मोदी (प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी) और भारत के खिलाफ बनावटी असहिष्णुता पर उनका अथक अभियान अभी सफल हो गया है.” उन्होंने कहा, “हमें इसके वास्तविक चरित्र को उजागर करने तथा बहुल भारत को बचाने के लिए इसे बेअसर बनाने के लिए कड़ी मेहनत करनी होगी.”