न्यायालय ने ईवीएम में डाले गए सभी वोट का वीवीपैट पर्चियों से मिलान करने संबंधी याचिकाएं खारिज कीं

केवल अटकल के आधार पर चुनावी प्रक्रिया पर सवाल उठाने की अनुमति नहीं दे सकते: न्यायमूर्ति दत्ता

नयी दिल्ली. लोकसभा चुनाव के दूसरे चरण के मतदान के बीच, उच्चतम न्यायालय ने ‘ईवीएम’ के जरिये डाले गए वोट का ‘वोटर वेरिफाएबल पेपर ऑडिट ट्रेल’ (वीवीपैट) के साथ शत-प्रतिशत मिलान कराने संबंधी याचिकाएं शुक्रवार को खारिज कर दी और कहा कि तंत्र के किसी भी पहलू पर ”आंख मूंद कर अविश्वास करना” अवांछित संशय पैदा कर सकता है.

न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता की पीठ ने मामले में सहमति वाले दो फैसले सुनाये और इस मामले से जुड़ी वे सभी याचिकाएं खारिज कर दीं. इन याचिकाओं में मतपत्रों से चुनाव कराने की प्रकिया को फिर से उपयोग में लाने संबंधी याचिका भी शामिल थी.

शीर्ष अदालत के इस बहु-प्रतीक्षित फैसले का स्वागत करते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बिहार के अररिया में एक चुनावी रैली में कहा कि यह कांग्रेस-नीत ‘इंडिया’ गठबंधन को करारा तमाचा है और उसे ‘इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन’ (ईवीएम) के खिलाफ अविश्वास पैदा करने के लिए जनता से माफी मांगनी चाहिए. वहीं, कांग्रेस ने कहा कि वह चुनावी प्रक्रिया में जनता का विश्वास बढ.ाने के लिए वीवीपैट के अधिक से अधिक उपयोग पर राजनीतिक अभियान जारी रखेगी.

न्यायमूर्ति संजीव खन्ना ने अपना फैसला सुनाते हुए निर्वाचन आयोग को ईवीएम में चिह्ल ‘लोड’ किये जाने के बाद, इसके लिए उपयोग में लाई गई यूनिट को सील करने और 45 दिनों के लिए ‘स्ट्रॉंग रूम’ में सुरक्षित रखने का निर्देश दिया. शीर्ष अदालत ने ईवीएम विनिर्माताओं के इंजीनियर को चुनाव नतीजों की घोषणा के बाद, दूसरे या तीसरे स्थान पर रहे उम्मीदवारों के अनुरोध पर मशीनों के ‘माइक्रोकंट्रोलर’ का सत्यापन करने की अनुमति भी दे दी.

न्यायालय ने कहा कि ‘माइक्रोकंट्रोलर’ के सत्यापन का अनुरोध चुनाव परिणामों की घोषणा के बाद, शुल्क अदा किये जाने पर सात दिनों के अंदर किया जा सकता है. इसने कहा, ”यदि सत्यापन के दौरान यह पाया गया कि ईवीएम में छेड़छाड़ की गई है तो उम्मीदवारों द्वारा अदा किया गया शुल्क लौटा दिया जाएगा.” ईवीएम में तीन यूनिट होती है–बैलेट यूनिट, कंट्रोल यूनिट और वीवीपैट. ये तीनों ‘माइक्रोकंट्रोलर’ से जुड़े होते हैं. वर्तमान में, निर्वाचन आयोग प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र में पांच मतदान केंद्रों के ईवीएम में पड़े मतों का मिलान वीवीपैट र्पिचयों के साथ करता है.

न्यायमूर्ति दत्ता ने कहा, ”प्रणालियों या संस्थाओं का मूल्यांकन करते समय संतुलित दृष्टिकोण रखना जरूरी है, जबकि तंत्र के किसी भी पहलू पर आंख मूंदकर अविश्वास करना अवांछित संशयवाद को उत्पन्न कर सकता है.” पीठ ने सुझाव दिया कि निर्वाचन आयोग इसकी पड़ताल कर सकता है कि क्या वीवीपैट र्पिचयों की गिनती के लिए इलेक्ट्रॉनिक मशीनों का इस्तेमाल किया जा सकता है और क्या पार्टियों के लिए उनके चिह्न के साथ ‘बार कोड’ का उपयोग किया जा सकता है.

पीठ ने कहा कि मतपत्रों से चुनाव कराने की प्रणाली का फिर से उपयोग करने का अनुरोध करने के अलावा, तीन याचिकाकर्ताओं ने न्यायालय से यह अनुरोध किया था कि वीवीपैट र्पिचयां मतदाता को दी जानी चाहिए, ताकि वे सत्यापन कर सकें और उसके बाद इसे गिनती के लिए मतपेटी में डाल दें. न्यायालय ने कहा कि यह भी अनुरोध किया गया था कि सभी वीवीपैट र्पिचयों की गिनती की जाए.
न्यायमूर्ति खन्ना ने कहा, ”हम इन सभी याचिकाओं को खारिज करते हैं.” इस विषय पर न्यायालय का फैसला आने के कुछ ही घंटों बाद, प्रधानमंत्री मोदी ने अररिया रैली में इसका जिक्र किया.

उन्होंने कहा, ”राजद-कांग्रेस और ‘इंडिया’ गठबंधन को न देश के संविधान और न ही लोकतंत्र की परवाह है. ये वे लोग हैं जिन्होंने 10 साल तक मतपत्रों के बहाने गरीबों का अधिकार छीना… बिहार के लोग साक्षी हैं कि कैसे राजद-कांग्रेस के शासन में चुनाव में बूथ और मतपत्र लूट लिये जाते थे. इतना ही नहीं, गरीबों को वोट डालने के लिए घर से बाहर भी निकलने नहीं दिया जाता था.” उन्होंने कहा, ”आज उच्चतम न्यायालय ने साफ-साफ कह दिया है मतपत्र वाला पुराना दौर वापस नहीं आएगा.” केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने दिल्ली में कहा कि न्यायालय के इस फैसले ने निर्वाचन आयोग को बदनाम करने के लिए प्रयासरत कांग्रेस सहित अन्य विपक्षी दलों को बेनकाब कर दिया है.

मेघवाल ने संवाददाता सम्मेलन में कहा कि उच्चतम न्यायालय ने अपने फैसले में कहा कि ईवीएम प्रणाली विश्वसनीय है और इसके साथ कोई छेड़छाड़ नहीं की जा सकती. उन्होंने कहा, ”हम भाजपा की तरफ से इस फैसले का स्वागत करते हैं.” निर्वाचन आयोग के अधिकारियों ने उल्लेख किया कि उच्चतम न्यायालय और उच्च न्यायालयों ने ईवीएम की विश्ववसनीयता को चुनौती देने वाली याचिकाओं को कम से कम 40 बार खारिज किया है.

उन्होंने मुख्य निर्वाचन आयुक्त राजीव कुमार की इस हालिया टिप्पणी का भी जिक्र किया कि ईवीएम ”शत-प्रतिशत सुरक्षित हैं” और राजनीतिक दल जानते हैं कि ये मशीनें निष्पक्ष हैं. शीर्ष अदालत की पीठ ने 24 अप्रैल को इस मामले में सुनवाई करते हुए था कि महज ईवीएम की विश्वसनीयता पर संदेह जताये जाने के कारण यह ”चुनावों में हस्तक्षेप” नहीं कर सकती, न ही निर्देश जारी कर सकती है.

चुनाव प्रक्रिया में पारर्दिशता और विश्वसनीयता बढ.ाने के लिए, निर्वाचन संचालन नियम,1961 में 2013 में संशोधन किया गया था, ताकि वीवीपैट मशीनों का इस्तेमाल किया जा सके. नगालैंड में नोकसेन विधानसभा सीट पर उपचुनाव (2013) में इनका पहली बार इस्तेमाल किया गया था. देश में सात चरणों में हो रहे लोकसभा चुनाव के दूसरे चरण में, शुक्रवार को 13 राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों के 88 निर्वाचन क्षेत्रों में वोट डाले गए. मतगणना चार जून को होगी.

केवल अटकल के आधार पर चुनावी प्रक्रिया पर सवाल उठाने की अनुमति नहीं दे सकते: न्यायमूर्ति दत्ता

उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता ने शुक्रवार को कहा कि शीर्ष अदालत इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) की प्रभावशीलता के बारे में याचिकाकर्ताओं की आशंकाओं और अटकलों के आधार पर आम चुनावों की पूरी प्रक्रिया पर सवाल उठाने और उसे प्रभावित करने की अनुमति नहीं दे सकती.

न्यायमूर्ति दत्ता इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) से डाले गए मतों का ‘वोटर वेरिफिएबिल पेपर ऑडिट ट्रेल’ (वीवीपैट) से पूरी तरह मिलान करने के अनुरोध वाली याचिकाओं को खारिज करने वाली शीर्ष अदालत की पीठ में शामिल रहे. न्यायमूर्ति दत्ता ने पीठ की अध्यक्षता कर रहे न्यायमूर्ति संजीव खन्ना की राय से सहमति जताते हुए एक अलग फैसले में अपने विचार लिखे और कहा कि समय के साथ ईवीएम खरी उतरी हैं और मतदान प्रतिशत में वृद्धि इस बात को मानने का पर्याप्त कारण है कि मतदाताओं ने मौजूदा प्रणाली में विश्वास व्यक्त किया है.

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