
रायपुर/नयी दिल्ली. छत्तीसगढ़ के उपमुख्यमंत्री विजय शर्मा ने दिल्ली में एक विरोध प्रदर्शन के दौरान कुछ लोगों द्वारा माओवादी कमांडर माडवी हिडमा के समर्थन में की गई नारेबाजी की सोमवार को आलोचना की और कहा कि बस्तर के बारे में गलत बातें फैलाकर किसी को गुमराह नहीं किया जा सकता.
सुकमा जिले के पूवर्ती गांव का निवासी हिडमा 18 नवंबर को पड़ोसी राज्य आंध्र प्रदेश में मुठभेड़ के दौरान मारा गया था. छत्तीसगढ़ पुलिस ने इस कार्रवाई को दंडकारण्य क्षेत्र में नक्सलवाद के ‘ताबूत में आखिरी कील’ बताया. रविवार को राष्ट्रीय राजधानी में बढ़ते वायु प्रदूषण को लेकर इंडिया गेट पर प्रदर्शन के दौरान कुछ प्रदर्शनकारियों ने कथित तौर पर हिडमा के समर्थन में नारे लगाए.
गृह विभाग संभाल रहे शर्मा ने संवाददाताओं से कहा, ”मैंने वीडियो देखा है. वे छोटे बच्चे हैं (प्रदर्शनकारियों की ओर इशारा करते हुए). उनमें ऐसी भावनाएं भरी हुई हैं जो अच्छी नहीं हैं. वे कह रहे थे कि सतत कृषि ‘जनताना सरकार’ के जरिए की जाती है और पर्यावरण सुरक्षित है. उन्होंने न तो इसे (बस्तर) को देखा है और न ही इसे समझा है.” उन्होंने कहा कि दिल्ली में बैठकर मनगढ़ंत कहानियां गढ़कर बस्तर के बारे में गलत धारणा नहीं बनाई जा सकती.
शर्मा ने कहा, ”यदि वे असलियत जानना चाहते हैं तो बस्तर आ सकते हैं. मुझे बताएं, मैं सारी व्यवस्था कर दूंगा. बस्तर के उस 25 साल के नौजवान से मिलें जिसने पहली बार टीवी देखा है. वे बस्तर में कैसी ‘जनताना सरकार’ की बात कर रहे हैं. वहां (नक्सलवाद की वजह से) न स्कूल थे, न अस्पताल, न आंगनबाड़ी, न बिजली, न सड़कें. दूर-दराज के गांवों में ये सुविधाएं हाल में पहुंचना शुरू हुई हैं और अब आगे बढ़ रही हैं.” उन्होंने कहा कि सरकार पर सवाल उठाना गलत नहीं है, लेकिन ”बोलने से पहले चीजों को समझना जरूरी है. सुनी-सुनाई बातों के आधार पर बोलना सही नहीं है.” उपमुख्यमंत्री ने कहा कि जब वीडियो में दिख रहे ये बच्चे वास्तविकता देखेंगे, तो वे स्वयं समझ जाएंगे.
उन्होंने दोहराया कि माओवाद को किसी भी तरह सही नहीं ठहराया जा सकता. उन्होंने कहा, ”यदि कोई सरकार बंदूक की नली पर बनी है तो वह बंदूक की नली से ही बात करती है. ऐसी सरकार कभी नहीं होनी चाहिए. लोकतंत्र की रक्षा करना और देश को संविधान के अनुसार चलाना हमारा कर्तव्य है.” शर्मा ने कहा कि इन बच्चों (प्रदर्शनकारियों) को चीन के तियानमेन चौक और माओ की सांस्कृतिक क्रांति के दौरान हुई घटनाओं को देखना चाहिए.
उन्होंने कहा, ”देखिए, माओ की सांस्कृतिक क्रांति के नाम पर कितना खून बहाया गया, लॉन्ग मार्च के दौरान कितनी जानें गईं. लेनिन और माओ दोनों ने सरकारें बनाईं, लेकिन नतीजा तानाशाही था. ऐसी सरकारें सबकुछ दबाकर चलना चाहती हैं, जहां लोकतंत्र समाप्त हो जाता है.” शर्मा ने कहा, ”ऐसी मंशा पालने वाले बच्चों से मैं कहता हूं कि आप विषय को समझें. समझने में हम आपकी पूरी मदद करने को तैयार हैं.”
कपिल मिश्रा ने प्रदूषण विरोधी प्रदर्शन में ‘नक्सल समर्थक’ नारे लगाने की आलोचना की
दिल्ली के कानून मंत्री कपिल मिश्रा ने सोमवार को आरोप लगाया कि बढ़ते वायु प्रदूषण के खिलाफ यहां आयोजित विरोध प्रदर्शन का इस्तेमाल मारे गए माओवादी नेता माडवी हिडमा के समर्थन में नारे लगाने के लिए किया गया. रविवार को इंडिया गेट पर विरोध प्रदर्शन हुआ था. ”दिल्ली अगेंस्ट क्लीन एयर” नाम से आयोजित विरोध प्रदर्शन में शामिल संगठनों में से एक, साइंटिस्ट्स फॉर सोसाइटी (एसएफएस) ने दावा किया कि दो संगठनों – हिमखंड और बीएससीईएम – ने हिडमा की कथित न्यायेतर हत्या से संबंधित नारे लगाने शुरू कर दिए.
मिश्रा ने ‘एक्स’ पर एक वीडियो साझा किया जिसमें कथित तौर पर प्रदर्शनकारी नारे लगा रहे हैं. उन्होंने कहा, “दिल्ली में कल हुए विरोध प्रदर्शन की सच्चाई देखिए. हाथों में प्रदूषण के खिलाफ पोस्टर, होठों पर ‘लाल सलाम’ के नारे. जिहादियों और नक्सलियों का नया मुखौटा है – सामाजिक कार्यकर्ता बनना. दिल्ली ने ऐसी विचारधारा को करारा जवाब दिया है.” सोशल मीडिया पर प्रसारित कई वीडियो में कुछ प्रदर्शनकारियों को कथित तौर पर मारे गए माओवादी नेता माडवी हिडमा के समर्थन में नारे लगाते हुए दिखाया गया, जिसके बाद ऑनलाइन तीखी प्रतिक्रियाएं हुईं.
कथित नारों के बारे में पूछे गए सवाल के जवाब में दिल्ली पुलिस के एक अधिकारी ने कहा कि वे सभी कोणों से मामले की जांच कर रहे हैं. दूसरी ओर, एसएफएस ने कहा कि वह “केवल प्रदूषण के मुद्दे पर” विरोध प्रदर्शन में शामिल हुआ था तथा उसने कहा कि यह मंच असंबंधित राजनीतिक मांगों के लिए “उपयुक्त नहीं” है. समूह ने कहा कि उसने नारेबाजी रोकने का प्रयास किया और फिर अलग से प्रदर्शन जारी रखा.



