डीपीआर तैयार करने में आती हैं मुश्किलें, कंपनियां नई प्रौद्योगिकी अपनाने को तैयार नहीं : गडकरी
नयी दिल्ली. केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने मंगलवार को कहा कि भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) को विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) तैयार करने में कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है, क्योंकि संबंधित कंपनियां नई प्रौद्योगिकी अपनाने को तैयार नहीं हैं.
गडकरी ने कहा कि सरकार नई प्रौद्योगिकियों के इस्तेमाल को प्रोत्साहित कर रही है. ‘क्रिसिल इंडिया इन्फ्रास्ट्रक्चर कॉन्क्लेव 2023’ को संबोधित करते हुए गडकरी ने कहा कि इस्पात और सीमेंट उद्योग की बड़ी कंपनियां कीमतें बढ.ाने के लिए गुटबंदी कर रही हैं. उन्होंने कहा, ” ..इस्पात उद्योग और सीमेंट उद्योग…जब भी उन्हें मौका मिलता है वे गुट बनाते हैं और कीमतें बढ.ा देते हैं.” अपने विचारों को स्पष्ट रूप से व्यक्त करने के लिए पहचाने जाने वाले गडकरी ने कहा, ” एनएचएआई के लिए डीपीआर तैयार करना एक बड़ी समस्या है… किसी भी परियोजना में कहीं भी कोई सटीक डीपीआर नहीं है.”
उन्होंने कहा, ” डीपीआर बनाते समय वे (डीपीआर बनाने वाली कंपनियां) नई प्रौद्योगिकी, नवाचार, नए शोध को अपनाने को तैयार नहीं हैं और यहां तक ??कि डीपीआर का मानक इतना कम है कि हर जगह सुधार की गुंजाइश है.” मंत्री ने कहा कि एक समय 50 बड़े ठेकेदार थे जिन्हें सड़क निर्माण का ठेका मिलता था.
उन्होंने कहा, ” मुझे यह सही नहीं लगा. (इसलिए) मैंने प्रौद्योगिकी और वित्तीय मानदंडों को उदार बनाया, जिसके द्वारा आज हमारे पास 600 बड़े (सड़क) ठेकेदार हैं.” गडकरी ने कहा कि समस्या यह है कि उनमें से कुछ राजमार्ग निर्माण परियोजनाओं की कीमतें 30-40 प्रतिशत से कम बताते हैं.
उन्होंने कहा, ” हमें गुणवत्ता और लागत के बीच संतुलन बनाए रखने की जरूरत है. यह एक बड़ी चुनौती भी है.” भारत में उच्च लॉजिस्टिक्स लागत पर उन्होंने बताया कि भारत में लॉजिस्टिक्स लागत 14-16 प्रतिशत है, जबकि चीन में यह 8-10 प्रतिशत है.
गडकरी ने कहा, ” हमारा लक्षय 2024 के अंत तक भारत की लॉजिस्टिक्स लागत को एक अंक में लाना है.” मंत्री ने साथ ही बताया कि सरकार देश में एथनॉल पंप शुरू करने की योजना बना रही है.