मोदी सरकार की दोषपूर्ण नीतियों के चलते रोजगार की स्थिति दयनीय हुई: कांग्रेस

नयी दिल्ली. कांग्रेस ने बृहस्पतिवार को आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार की दोषपूर्ण नीतियों के चलते देश में रोजगार की स्थिति दयनीय हो गई है और श्रमिक अब ”भगवान भरोसे” रह गए हैं. पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने यह भी कहा कि अगर अगले साल विपक्षी गठबंधन ‘इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इन्क्लूसिव अलायंस’ (इंडिया) को सरकार बनाने का मौका मिलता है तो यह भयावह स्थिति बदल सकती है.

रमेश ने एक बयान में कहा, ”2018 में जब प्रधानमंत्री मोदी से भारत में बढ़ती बेरोजग़ारी को लेकर सवाल पूछा गया था तो उन्­होंने हमेशा की तरह किसी भी समस्­या के होने से इनकार किया था और बेहद संवेदनहीनता के साथ कहा था कि पकौड़े का ठेला लगाना भी एक अच्­छा रोजगार है. यह देश के लिए बड़े दुख की बात है कि यही ऐसा वादा था, जिसे प्रधानमंत्री मोदी ने पूरा किया है.”

उन्होंने दावा किया, ”सरकार द्वारा कराए गए वर्ष 2022-23 के ‘आवधिक श्रमिक बल सर्वेक्षण’ (पीएलएफएस) के अनुसार, स्­व-रोजगार के लिए मजबूर होने वाले लोगों का अनुपात आज 57 प्रतिशत के रिकॉर्ड उच्­च स्­तर पर है, जो पांच साल पहले 52 प्रतिशत था. नियमित रूप से वेतन पाने वाले श्रमिकों का अनुपात 24 प्रतिशत से गिरकर 21 प्रतिशत हो गया है, जो मध्­यम और निम्­न मध्­यम वर्ग में व्­याप्­त व्­यापक संकट को दर्शाता है.”

कांग्रेस नेता ने कटाक्ष करते हुए कहा कि स्­व-रोजगार करने वालों के पकौड़े भी कम बिक रहे हैं क्योंकि पिछली 4 तिमाहियों में उनकी मासिक आय 9.2 प्रतिशत गिरकर 12,700 रुपये से 11,600 रुपये रह गई है. रमेश ने दावा किया, ”भारत के श्रमिकों के लिए संदेश बड़ा स्­पष्­ट है कि अब आप भगवान भरोसे हैं. नोटबंदी, जीएसटी जैसी मोदी सरकार की गलत नीतियों और प्रत्­येक क्षेत्र में बड़े पूंजीनिष्­ठ एकाधिकार प्राप्­त व्­यवसायियों के प्रति पक्षपातपूर्ण झुकाव ने इस दयनीय स्थिति को लाने में विशेष योगदान दिया है.” उन्होंने कहा कि ‘इंडिया’ गठबंधन की सरकार ही इस भयावह स्थिति को बदल सकती है.

मौजूदा सरकार में आरटीआई ‘ओम शांति’ की ओर अग्रसर

कांग्रेस ने सूचना का अधिकार (आरटीआई) कानून की 18वीं वर्षगांठ पर बृहस्पतिवार को केंद्र सरकार पर इस कानून को लगातार कमजोर करने का आरोप लगाते हुए दावा किया कि आरटीआई ‘ओम शांति’ की ओर अग्रसर है. आरटीआई कानून 12 अक्टूबर, 2005 को लागू हुआ था. उस समय केंद्र में कांग्रेस के नेतृत्व वाली संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन सरकार थी. कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने सोशल मीडिया मंच “एक्स” पर पोस्ट किया, “आज ऐतिहासिक सूचना का अधिकार अधिनियम (आरटीआई) लागू होने की 18वीं वर्षगांठ है. कम से कम 2014 तक यह परिवर्तनकारी था. उसके बाद केंद्र की नरेन्द्र मोदी सरकार ने लगातार इस कानून को कमजोर करने, इसके प्रावधानों को कमजोर करने, प्रधानमंत्री की वाहवाही करने वालों को अपना आयुक्त नियुक्त करने और आवेदनों को अस्वीकार करने का प्रयास किया है. ”

उन्होंने दावा किया कि एक के बाद एक लाए गए संशोधनों के शुरुआती कारण यह थे कि आरटीआई के तहत हुए खुलासे स्वयं प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के लिए बेहद शर्मनाक साबित हुए थे. रमेश ने कहा, “मैंने इनमें से कुछ संशोधनों को उच्चतम न्यायालय में चुनौती दी थी और मुझे अभी भी उम्मीद है कि याचिका पर जल्द ही सुनवाई होगी क्योंकि आरटीआई तेजी से ‘ओम शांति’ की ओर अग्रसर है.”

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