कोविड से पहले मोदी ने मनरेगा की आलोचना की थी, बाद में इसके महत्व को समझा: जयराम रमेश

MSP पर किसानों से झूठ बोला गया, प्रधानमंत्री को माफी मांगनी चाहिए: कांग्रेस

गढ़वा/नयी दिल्ली/जयपुर. कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश ने बुधवार को कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कोविड-19 महामारी से पहले महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) की आलोचना की थी लेकिन बाद में इसके महत्व को समझा. रमेश ने झारखंड के गढ़वा जिले में रांका प्रखंड में मनरेगा श्रमिकों के साथ बातचीत करते हुए यह बात कही.

उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री ने महामारी से पहले मनरेगा की कड़ी आलोचना की थी, लेकिन बाद में रोजगार के अवसर देने वाले महत्वपूर्ण संसाधन के रूप में इसके महत्व को माना. रमेश के साथ कांग्रेस की झारखंड इकाई के अध्यक्ष राजेश ठाकुर, झारखंड प्रभारी गुलाम अहमद मीर, एनएसयूआई के राष्ट्रीय प्रभारी कन्हैया कुमार और कई अन्य नेता उपस्थित थे.

कांग्रेस नेता राहुल गांधी को भी ‘भारत जोड़ो न्याय यात्रा’ के तहत कार्यक्रम में भाग लेना था, लेकिन पलामू क्षेत्र में उनकी यात्रा का दूसरा चरण निरस्त हो गया. रमेश ने इस बात पर जोर दिया कि लोकसभा और राज्यसभा ने 2005 में मनरेगा कानून को तब पारित किया था जब मनमोहन सिंह प्रधानमंत्री थे और सोनिया गांधी राष्ट्रीय सलाहकार परिषद (एनएसी) की अध्यक्ष थीं. उन्होंने मनरेगा की अवधारणा तैयार करने में बेल्जियम मूल के भारतीय अर्थशास्त्री ज्यां द्रेज की भूमिका का भी उल्लेख किया. एनएसी के सदस्य रहे द्रेज भी इस चर्चा में उपस्थित थे.

MSP पर किसानों से झूठ बोला गया, प्रधानमंत्री को माफी मांगनी चाहिए: कांग्रेस

कांग्रेस ने बुधवार को केंद्र सरकार पर न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) के मुद्दे पर किसानों से झूठ बोलने का आरोप लगाया और कहा कि इसके लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को देश से माफी मांगनी चाहिए. पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने यह भी दावा किया कि सिर्फ कांग्रेस की ‘किसान न्याय गारंटी’ से ही किसानों की फसल के लिए स्वामीनाथ आयोग की अनुशंसा के मुताबिक एमएसपी सुनिश्चित हो सकती है.

कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, ”बार-बार वादा करने के बावजूद मोदी सरकार एमएसपी को कानूनी गारंटी देने से क्यों भाग रही है? वर्ष 2011 में मुख्यमंत्री और एक कार्य समूह के अध्यक्ष के रूप में नरेन्द्र मोदी ने तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को एक रिपोर्ट सौंपी थी, जिसमें कहा गया था कि हमें किसान के हितों की रक्षा के लिए कानूनी प्रावधानों के माध्यम से यह सुनिश्चित करना चाहिए कि किसान और व्यापारी के बीच कोई भी खरीद-बिक्री एमएसपी के नीचे न हो.”

उन्होंने कहा, ”वर्ष 2014 में लोकसभा चुनाव के प्रचार के दौरान अपने कई भाषणों और चुनावी रैलियों में उन्होंने वादा किया था कि सभी फसलें एमएसपी पर खरीदी जाएंगी, जिसमें सभी तरह की लागत और 50 प्रतिशत मूल्य (एमएसपी का स्वामीनाथन फॉर्मूला) शामिल होगा. लेकिन आज तक न तो एमएसपी की कानूनी गारंटी है और न ही यह ‘सी2+50 प्रतिशत’ के स्वामीनाथन फॉर्मूला के आधार पर है.”

रमेश ने कहा, ”गेहूं की एमएसपी स्वामीनाथन आयोग के अनुसार 2,478 रुपये प्रति क्विंटल होनी चाहिए जो कि मात्र 2,275 रुपये प्रति क्विंटल है. इसी तरह धान की एमएसपी 2,866 रुपये प्रति क्विंटल की जगह मात्र 2,183 रुपये प्रति क्विंटल है.” उन्होंने सवाल किया, ”मोदी जी, आपने 2011 की अपनी ही रिपोर्ट के निष्कर्षों को लागू क्यों नहीं किया? आपने बार-बार एमएसपी का वादा करके किसानों से झूठ क्यों बोला?”

रमेश ने दावा किया, ”आज भारत के किसानों का मोदी सरकार से विश्वास उठ गया है. यह केवल कांग्रेस पार्टी की ‘किसान न्याय गारंटी’ ही है जो किसानों को स्वामीनाथन फॉर्मूले पर एमएसपी की कानूनी गारंटी देगी.” कांग्रेस के मीडिया विभाग के प्रमुख पवन खेड़ा ने संवाददाताओं से कहा, ”चुनाव प्रचार के दौरान नरेन्द्र मोदी जी ने किसानों को एमएसपी देने का झूठा वादा किया और प्रधानमंत्री बन गए. लेकिन प्रधानमंत्री मोदी का झूठ तब सामने आया जब एमएसपी को लेकर उच्चतम न्यायालय में एक हलफनामा दाखिल हुआ. इसमें मोदी सरकार ने साफ कहा कि हम इस तरह की एमएसपी नहीं दे सकते, जिसमें लागत इतनी ज्यादा हो.”

उन्होंने दावा किया, ”प्रधानमंत्री मोदी ने न सिर्फ अपना वादा तोड़ा, बल्कि किसानों के रास्ते पर कील बिछवाई और उन्हें उपद्रवी कहने से भी नहीं चूके.” खेड़ा के मुताबिक, ”जब पिछली बार किसान ‘तीन काले कानून’ को लेकर धरना दे रहे थे, तब प्रधानमंत्री मोदी ने कहा था कि मैं तीनों कानून वापस लेता हूं, एमएसपी की समस्या का समाधान निकालने के लिए जल्द ही एक समिति गठित होगी. लेकिन आज दो साल से ऊपर हो गए, कोई समिति नहीं बनाई गई.

कांग्रेस नेता ने कहा, ”आज जब किसान एमएसपी को लेकर फिर से धरना दे रहे हैं, तो उनपर रबर की गोलियां चलाई जा रही हैं, आंसू गैस के गोले छोड़े जा रहे हैं, रास्ते में कीलें बिछाई जा रही हैं.” खेड़ा ने कहा, ”किसानों से झूठ बोलने के लिए, उच्चतम न्यायालय में हलफनामा दाखिल करने के बाद पलटने के लिए प्रधानमंत्री को देश से माफी मांगनी चाहिए.”

केंद्र सरकार को किसानों की मांगें माननी चाहिए : पायलट
कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव सचिन पायलट ने बुधवार को कहा कि किसान केंद्र सरकार की जिद है और उसके अड़ियल रवैये के कारण एक फिर से आंदोलन कर रहे है क्योंकि वह उनकी समस्याओं का समाधान नहीं कर रही है. उन्होंने कहा कि ”कांग्रेस पार्टी ने मंगलवार को छत्तीसगढ. में घोषणा की कि हमारी सरकार बनने पर न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) को एक कानूनी प्रावधान बनायेंगे.”

उन्होंने कहा कि ”कांग्रेस पार्टी ने एमएसपी को सरकारी जामा पहनाकर लागू करने का औपचारिक वादा किया है. केंद्र में कांग्रेस की सरकार बनने पर न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) लागू किया जाएगा.” पायलट ने कहा, ”लगातार किसान आंदोलन कर रहे हैं, उनके हितों को ताक पर रखकर तीन काले कानून बनाये गये थे, तब किसानों ने डेढ. साल तक आंदोलन किया. सैकड़ों लोगों की मौत हो गई जिसके बाद इन कानूनों को वापस लिया गया.” उन्होंने कहा, ” दो साल पहले केन्द्र सरकार ने एमएसपी पर कानून बनाने का वादा किया था.. अब केन्द्र सरकार का कार्यकाल खत्म हो रहा तो सरकार को अपने वादे पर खरा उतरना चाहिए था.”

पायलट ने कहा, ”मुझे नहीं लगता कि केन्द्र सरकार किसानों के हित में काम कर रही है. किसानों से उन्होंने बहुत सारे वादे किये हैं.. लेकिन उनके(किसानों के) साथ जुमलेबाजी हुई है.. उनके साथ न्याय नहीं हुआ है.” पूर्व उप मुख्यमंत्री ने सवाल किया, ” हजारों की संख्या में अलग-अलग राज्यों से किसान आंदोलित क्यों हैं? उन्होंने कहा, ” कांग्रेस उनका नैतिक समर्थन कर रही है क्योंकि उनकी मांग से हम सहमत हैं. परंतु यह किसानों का आंदोलन है इसमें कोई राजनीति नहीं है.. सरकार को जिद छोड़नी चाहिए.. किसानों की मांग माननी चाहिए.”

पायलट ने कहा, ” जिस प्रकार से बल प्रयोग करके उनकी आवाज को दबाया जा रहा है, उसे ये किसान बर्दाश्त नहीं करेंगे.” पूर्व उपमुख्यमंत्री ने कांग्रेस नेता सोनिया गांधी के राज्यसभा चुनाव के लिए राजस्थान से नामांकन दाखिल करने पर खुशी जताई. उन्होंने कहा कि लोकसभा चुनाव नजदीक है और उनके नामांकन से पार्टी कार्यकर्ताओं के बीच सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा.

शत प्रतिशत वीवीपैट मिलान की अनुमति नहीं देना भारतीय मतदाताओं के साथ अन्याय : कांग्रेस

कांग्रेस ने चुनाव प्रक्रिया में अधिक पारर्दिशता सुनिश्चित करने पर जोर देते हुए बुधवार को कहा कि ‘वोटर वेरिफिएबल पेपर ऑडिट’ (वीवीपैट)र्पिचयों के 100 प्रतिशत मिलान की अनुमति नहीं दिया जाना भारतीय मतदाताओं के साथ घोर अन्याय है. पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने कहा कि विपक्षी गठबंधन ‘इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इन्क्ल्युसिव एलायंस'(इंडिया) के घटक दलों की यह मांग रही है कि वीवीपैट र्पिचयों के मिलान को बढ.ाकर 100 प्रतिशत तक किया जाए.

उन्होंने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर कहा कि 100 प्रतिशत वीवीपैट की अनुमति न देना भारतीय मतदाताओं के साथ घोर अन्याय है.
रमेश ने कहा कि आठ अप्रैल, 2019 को उच्चतम न्यायालय ने निर्वाचन आयोग से वीवीपैट पर्ची मिलान वाले चुनाव बूथों की संख्या बढ.ाने का अनुरोध किया था. ? उन्होंने अदालती मामले का उल्लेख करते हुए कहा, “मामला ‘एन. चंद्रबाबू नायडू बनाम भारत संघ’ है. हां, वही चंद्रबाबू नायडू जो कभी हाई-टेक मुख्यमंत्री के रूप में जाने जाते थे. श्री नायडू तब आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री थे.”

उन्होंने कहा, “इस मुद्दे पर ‘इंडिया’ घटक दलों के साथ बातचीत करने में निर्वाचन आयोग की अनिच्छा और भी अधिक सवाल उठाती है.” रमेश ने सवाल किया कि क्या निर्वाचन आयोग को उस तकनीक में अधिक जवाबदेही और पारर्दिशता लाने के लिए प्रयास नहीं करना चाहिए. कांग्रेस महासचिव ने तंज कसते हुए कहा, “लेकिन जाहिर है कि श्री नायडू इस बीच राजग में शामिल होने वाले हैं. हो सकता है कि वह निर्वाचन आयोग को अपने पूर्व सहयोगियों (विपक्षी दलों) को समय देने के लिए मना सकें.”

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