बार-बार चुनाव कराने से विकास कार्य बाधित होते हैं : रामनाथ कोविंद

महाकुंभ नगर. पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने ‘एक देश, एक चुनाव’ की अवधारणा को देश की प्रगति का महत्वपूर्ण स्तंभ बताते हुए रविवार को कहा कि बार-बार चुनाव कराने से न केवल विकास कार्य बाधित होते हैं, बल्कि अर्थव्यवस्था पर भी भारी प्रभाव पड़ता है.
महाकुंभ मेला के सेक्टर-छह में स्थित दिव्य प्रेम सेवा मिशन के शिविर में आयोजित एक व्याख्यान में उन्होंने निर्वाचन आयोग के आंकड़ों का हवाला देते हुए कहा कि हर तीन साल में चुनाव कराने में पांच-सात लाख करोड़ रुपये तक खर्च होते हैं.

पूर्व राष्ट्रपति ने कहा कि इसके अलावा चुनावों के दौरान शिक्षकों की ड्यूटी लगने से स्कूल महीनों तक बंद रहते हैं जिससे विद्यार्थियों की पढ़ाई प्रभावित होती है. यदि सभी चुनाव एक साथ हों, तो यह समस्या सुलझाई जा सकती है. कोविंद ने कहा कि ‘एक देश, एक चुनाव’ न केवल समय और धन की बचत करेगा, बल्कि यह शिक्षा तथा विकास को भी गति प्रदान करेगा.

कार्यक्रम में मौजूद उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने कहा कि बार-बार चुनाव कराने से आचार संहिता के कारण विकास कार्य छह-छह महीने तक ठप हो जाते हैं. यदि चुनाव एक साथ हों, तो देश के राजनीतिक और आर्थिक पहलू मजबूत होंगे.
उच्चतम न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश न्यायमूर्ति विनीत सरन ने कहा कि ‘एक देश, एक चुनाव’ की व्यवस्था से चुनावी खर्चों में भारी कमी आएगी जो एक विकसित भारत के निर्माण में सहायक होगी. इस कार्यक्रम में दिव्य प्रेम सेवा मिशन के संस्थापक डाक्टर आशीष गौतम, संयोजक संजय चतुर्वेदी, अपर महाधिवक्ता महेश चतुर्वेदी, संयोजक संजय चतुर्वेदी सहित मिशन के अनेक पदाधिकारी उपस्थित रहे.

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