ज्ञानवापी परिसर में बंद पड़े तहखानों के सर्वे पर दो नवंबर को होगी सुनवाई

वाराणसी/प्रयागराज. उत्तर प्रदेश के वाराणसी की एक जिला अदालत ने शुक्रवार को ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में बंद पड़े दो तहखानों के सर्वेक्षण के आलोक में हिंदू पक्ष की याचिका पर सुनवाई के लिए दो नवंबर की तारीख मुकर्रर की है. इसके साथ ही, अदालत ने मुस्लिम पक्ष के अधिवक्ताओं द्वारा समय पर आपत्ति प्रस्तुत न कर पाने के लिये अदालत ने मुस्लिम पक्ष पर 100 रुपये का अर्थदंड लगाया है.

जिला शासकीय अधिवक्ता महेंद्र पांडेय ने बताया, ”हिंदू पक्ष का प्रतिनिधित्व करने वाले अधिवक्ताओं ने इससे पहले अदालत में ज्ञानवापी परिसर में बंद पड़े तहखानों के सर्वेक्षण की अपील की थी. अदालत ने मुस्लिम पक्ष को इस संबंध में आपत्ति दर्ज कराने के लिए समय दिया था.” उन्होंने बताया कि मुस्लिम पक्ष अपनी आपत्ति प्रस्तुत करने के लिए अदालत से आज और समय मांगा, जिस पर अदालत ने 100 रुपये का अर्थदंड लगा दिया.

महेंद्र पांडेय ने बताया कि हिन्दू पक्ष की एक याचिकाकर्ता राखी सिंह के अधिवक्ता ने ज्ञानवापी परिसर में मिले लक्ष्मी गणेश की प्रतिमा को सुरक्षित रखने की अदालत से मांग के लिए प्रार्थना पत्र दिया है. अदालत ने इन दोनों मामलों पर सुनवाई के लिए दो नवंबर की तारीख तय की है.

ज्ञानवापी मस्जिद मामले में सुनवाई तीन नवंबर तक के लिए टली

इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने ज्ञानवापी मस्जिद प्रबंधन समिति- अंजुमन इंतेजामिया मस्जिद द्वारा दायर पुनरीक्षण याचिका पर सुनवाई तीन नवंबर 2022 तक के लिए शुक्रवार को टाल दी. अंजुमन इंतेजामिया मस्जिद ने वाराणसी की अदालत के उस आदेश को चुनौती दी है जिसमें पांच ंिहदू महिलाओं द्वारा दायर वाद की पोषणीयता को चुनौती देने वाले उसके आवेदन को खारिज कर दिया गया है. इन महिलाओं ने ज्ञानवापी मस्जिद की बाहरी दीवार पर श्रृंगार गौरी और अन्य देवी देवताओं की पूजा अर्चना करने की अनुमति मांगी है.

इस बीच, अदालत के 19 अक्टूबर के निर्देश के तहत उक्त वाद के संपूर्ण रिकार्ड की छाया प्रति वाराणसी की जिला अदालत की ओर से उच्च न्यायालय को भेज दी गई है. न्यायमूर्ति जेजे मुनीर ने इस मामले में सुनवाई की अगली तारीख तीन नवंबर निर्धारित करते हुए इस अदालत की रजिस्ट्री को निर्देश दिया कि संबद्ध पक्षों के वकील यदि निचली अदालत के रिकार्ड को देखना चाहें तो उन्हें इसकी अनुमति प्रदान की जाए. वाराणसी के जिला न्यायाधीश ने 12 सितंबर, 2022 के दिए अपने आदेश में कहा था कि इन वादियों (महिलाओं) का वाद पूजा स्थल (विशेष प्रावधान) अधिनियम, 1991, वक्फ अधिनियम, 1995 और उप्र श्री काशी विश्वनाथ मंदिर अधिनियम, 1983 से बाधित नहीं होता.

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