एचईसीआई विधेयक जल्द ही संसद में पेश किया जायेगा, विधि कॉलेज इसके तहत नहीं होंगे : प्रधान

नयी दिल्ली. शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि एकल उच्च शिक्षा नियामक स्थापित करने के उद्देश्य से भारतीय उच्च शिक्षा आयोग (एचईसीआई) विधेयक जल्द ही संसद में पेश किया जाएगा, लेकिन चिकित्सा एवं विधि कॉलेजों को इसके दायरे में नहीं लाया जायेगा.
प्रधान ने ‘पीटीआई-भाषा’ से एक साक्षात्कार में कहा कि एचईसीआई की तीन प्रमुख भूमिकाएं विनियमन, मान्यता प्रदान करना और पेशेवर मानक स्थापित करना हैं.

मंत्री ने कहा कि वित्त पोषण (फंडिंग) एचईसीआई के अधीन नहीं होगा और वित्त पोषण की स्वायत्तता प्रशासनिक मंत्रालय के पास रहेगी. प्रधान ने कहा, ”हम जल्द ही संसद में एचईसीआई विधेयक लाएंगे… उसके बाद स्थायी समिति की भी जांच होगी लेकिन हमने हर चीज के लिए व्यापक काम शुरू कर दिया है. तीन प्रमुख कार्यक्षेत्र हैं. पहली भूमिका नियामक की है, जो यूजीसी (विश्वविद्यालय अनुदान आयोग) करता है… इसने पहले ही अपने स्तर पर कई आंतरिक सुधार शुरू कर दिए हैं.”

उन्होंने कहा, ”दूसरा, दो स्तरों पर मान्यता है… कॉलेजों की मान्यता, और कार्यक्रमों तथा पाठ्यक्रमों की मान्यता. हमने एनएएसी (राष्ट्रीय मूल्यांकन और प्रत्यायन परिषद) में सुधार के लिए डॉ. राधाकृष्णन के नेतृत्व में एक समिति का गठन किया था, इसने सिफारिशें भी की हैं. तीसरा, क्या पढ.ाया जाएगा और कैसे पढ.ाया जाएगा, इसके बारे में पेशेवर मानक तय करना है.” शिक्षा और कौशल विकास मंत्री ने हालांकि स्पष्ट किया कि वित्तपोषण एकल नियामक का हिस्सा नहीं होगा. उन्होंने कहा, ”वित्तपोषण की स्वायत्तता स्वास्थ्य मंत्रालय, कृषि या हमारे मंत्रालय जैसे प्रशासनिक मंत्रालय के पास रहेगी.”

प्रधान ने कहा कि ”चिकित्सा और विधि कॉलेजों को छोड़कर, सभी कॉलेजों को एचईसीआई के दायरे में लाया जाएगा.” एचईसीआई को नयी राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) में प्रस्तावित किया गया है. एचईसीआई की अवधारणा पर पहले भी एक मसौदा विधेयक के रूप में चर्चा की जा चुकी है.

एचईसीआई को वास्तविकता बनाने के लिए नए सिरे से प्रयास प्रधान के नेतृत्व में शुरू किए गए. प्रधान ने जुलाई, 2021 में केंद्रीय शिक्षा मंत्री का पदभार संभाला था. विधेयक के मसौदे के अनुसार, आयोग के पास शैक्षणिक गुणवत्ता के मानदंडों के अनुपालन के आधार पर शैक्षणिक संचालन शुरू करने के लिए अनुमति देने का अधिकार होगा.

मसौदा विधेयक में कहा गया है कि आयोग, एक राष्ट्रीय डेटाबेस के जरिये ज्ञान के उभरते क्षेत्रों के विकास और सभी क्षेत्रों में उच्च शिक्षा संस्थानों के संतुलित विकास और विशेष रूप से उच्च शिक्षा क्षेत्र में शैक्षणिक गुणवत्ता को बढ.ावा देने से संबंधित सभी मामलों की निगरानी करेगा.

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