
नयी दिल्ली/न्यूयॉर्क/वाशिंगटन. आर्थिक थिंक टैंक जीटीआरआई ने रविवार को कहा कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा एच-1बी वीजा शुल्क बढ़ाकर प्रति कर्मचारी 100,000 अमेरिकी डॉलर करने के फैसले से भारत से ज्यादा अमेरिका को नुकसान होने की संभावना है.
‘ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव’ (जीटीआरआई) ने बताया कि भारतीय आईटी कंपनियां पहले से ही अमेरिका में 50-80 प्रतिशत स्थानीय कर्मचारियों को रोजगार दे रही हैं, जो कि कुल मिलाकर लगभग 1,00,000 अमेरिकी नागरिक हैं.
जीटीआरआई ने कहा, “इसलिए यह कदम अधिक नए रोजगार नहीं पैदा करेगा. इसके बजाय, यह ऑन-साइट भारतीयों को नियुक्त करना स्थानीय लोगों की तुलना में अधिक महंगा बना देगा.” थिंक टैंक ने आगे कहा कि अमेरिका में पांच वर्षों के अनुभव वाले एक आईटी मैनेजर को 1,20,000 से 1,50,000 डॉलर तक वेतन मिलता है, जबकि एच-1बी वीजा पर आने वाले को इससे 40 प्रतिशत कम और भारत में काम करने वाले को 80 प्रतिशत कम वेतन मिलता है.
जीटीआरआई के अजय श्रीवास्तव ने कहा, “इस भारी शुल्क का सामना करते हुए, कंपनियां ऑफशोरिंग को तेज करेंगी, यानी भारत से ही रिमोट वर्क बढ़ेगा. इसका मतलब है कम एच-1बी आवेदन, स्थानीय स्तर पर कम भर्ती, अमेरिकी ग्राहकों के लिए परियोजना लागत में वृद्धि और नवाचार की रफ्तार में कमी.” उन्होंने आगे कहा कि भारत को इस शुल्क वृद्धि का लाभ उठाने की योजना बनानी चाहिए, और लौटने वाली प्रतिभा का उपयोग सॉफ्टवेयर, क्लाउड और साइबर सुरक्षा में घरेलू क्षमता निर्माण के लिए करना चाहिए, जिससे अमेरिका के इस संरक्षणवादी कदम को भारत के डिजिटल ‘स्वराज मिशन’ के लिए एक दीर्घकालिक बढ़ावा बनाया जा सके.
उन्होंने कहा, “राष्ट्रपति ट्रंप का 19 सितंबर को एच-1बी वीजा शुल्क बढ़ाने का निर्णय भारत से अधिक अमेरिका को नुकसान पहुंचा सकता है.” राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने शुक्रवार को एक घोषणा पर हस्ताक्षर किए जिससे कंपनियों द्वारा भारत सहित अन्य देशों से कर्मचारियों को नियुक्त करने के लिए उपयोग किए जाने वाले वीजा पर शुल्क बढ़ा दिया गया. व्हाइट हाउस के एक अधिकारी ने शनिवार को स्पष्ट किया कि एच-1बी वीजा का 1,00,000 डॉलर का शुल्क केवल नए आवेदकों पर लागू होगा.
अमेरिका अपने व्यापारिक हितों को आगे बढ़ाने के लिए ‘दमनकारी हथकंडे’ अपना रहा : माकपा
मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) ने एच-1बी वीजा शुल्क बढ़ाने के अमेरिका के फैसले की रविवार को निंदा की. पार्टी ने कहा कि यह अन्य देशों की कीमत पर अपने व्यापारिक हितों को आगे बढ़ाने के लिए अमेरिका की ओर से दमनकारी हथकंडे अपनाए जाने का एक और उदाहरण है. माकपा के पोलित ब्यूरो ने यहां जारी एक बयान में कहा कि केंद्र सरकार को इस तरह की “जबरदस्ती और अन्यायपूर्ण कार्रवाइयों” के खिलाफ कड़ा रुख अपनाना चाहिए तथा अमेरिकी दबाव के आगे नहीं झुकना चाहिए.
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने शुक्रवार को एक घोषणापत्र पर हस्ताक्षर किया था, जिसमें एची1बी वीजा शुल्क बढ़ाकर सालाना एक लाख अमेरिकी डॉलर (लगभग 88 लाख रुपये) किए जाने का प्रावधान है. ट्रंप के इस कदम से अमेरिका में काम करने वाले भारतीय पेशेवरों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ने की आशंका है.
बयान में कहा गया है, “माकपा पोलित ब्यूरो अमेरिका के ट्रंप प्रशासन की ओर से उठाए गए एकतरफा और प्रतिशोधात्मक कदमों की कड़ी निंदा करता है, जिसने प्रत्येक एच-1बी वीजा धारक पर 88 लाख रुपये का अत्यधिक शुल्क लगाया है.” इसमें कहा गया है, “यह नया फैसला, जो 21 सितंबर 2025 से प्रभावी होगा, अन्य देशों की कीमत पर अपने व्यापारिक हितों को आगे बढ़ाने के लिए अमेरिका की ओर से दमनकारी हथकंडे अपनाए जाने का एक और उदाहरण है.” माकपा ने कहा कि यह कदम अमेरिका में भारतीय वस्तुओं के आयात पर 50 फीसदी टैरिफ लगाए जाने के तुरंत बाद उठाया गया है.
उसने कहा कि भारत की ओर से संचालित ईरान की चाबहार बंदरगाह परियोजना पर प्रतिबंधों को फिर से लागू करना स्पष्ट रूप से द्विपक्षीय व्यापार वार्ता के बहाल होने के ठीक बाद भारत पर दबाव बनाने के लिए उठाया गया कदम है. माकपा ने कहा, “ये कदम धमकी देने के समान हैं, जिनका मकसद भारत को अमेरिका की टैरिफ संबंधी अनुचित मांगों के आगे झुकने के लिए मजबूर करना है.” पार्टी ने एच1बी वीजा शुल्क में वृद्धि के फैसले पर सरकार की प्रतिक्रिया पर सवाल भी उठाया.
उसने कहा, “प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इन दमनकारी हथकंडों का विरोध करने के बजाय आत्मनिर्भरता की आवश्यकता के बारे में अस्पष्ट उपदेशों के साथ जवाब देने का विकल्प चुना है. राष्ट्र के मुखिया का यह भगोड़ा रुख और विदेश मंत्रालय की समान रूप से दयनीय प्रतिक्रिया देश के लिए निराशाजनक एवं अपमानजनक है.” माकपा ने कहा कि एच-1बी वीजा धारकों के प्रवेश पर प्रतिबंध लगाने वाले इस अमेरिकी फैसले से हजारों कुशल भारतीय पेशेवरों पर सीधा और गंभीर असर पड़ेगा, उनके करियर में अड़चन आएगी तथा उनके परिवारों की आजीविका प्रभावित होगी.
पार्टी ने कहा, “माकपा की मांग है कि भारत सरकार इस तरह की जबरदस्ती और अन्यायपूर्ण कार्रवाइयों के खिलाफ कड़ा रुख अपनाए. उसे अमेरिकी दबाव के आगे झुकने से इनकार करना चाहिए और भारतीय लोगों के अधिकारों एवं हितों की रक्षा के लिए निर्णायक कार्रवाई करनी चाहिए.”
नये आवेदकों के लिये है नया एच-1बी वीज़ा शुल्क, मौजूदा धारकों पर कोई असर नहीं: ट्रंप प्रशासन
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के प्रशासन ने स्पष्ट किया है कि एच-1बी वीजा के लिए एक लाख अमेरिकी डॉलर का नया शुल्क नये आवेदकों के लिए है और उन्हें इस शुल्क का एकमुश्त भुगतान करना होगा. यह स्पष्टीकरण अमेरिका में काम कर रहे हज़ारों पेशेवरों के लिए बड़ी राहत की बात है जो इस नए नियम से प्रभावित होने को लेकर चिंतित हैं, इनमें बड़ी संख्या में भारतीय हैं .
अमेरिकी नागरिकता एवं आव्रजन सेवा (यूएससीआईएस) ने शनिवार को एक बयान में कहा कि राष्ट्रपति ट्रंप का नया एच-1बी वीज़ा शुल्क केवल नये आवेदकों पर लागू होगा. ट्रंप प्रशासन ने यह भी स्पष्ट किया है कि 21 सितंबर की प्रभावी घोषणातिथि से पहले जमा किया गया एच1 बी वीजा आवेदन इससे प्रभावित नहीं होगा. इसके अलावा वर्तमान में अमेरिका से बाहर रहने वाले वीज़ा धारकों को भी देश में दोबारा प्रवेश के लिए शुल्क का भुगतान करने की आवश्यकता नहीं है. व्हाइट हाउस की प्रवक्ता टेलर रोजर्स ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया, ”राष्ट्रपति ट्रंप ने अमेरिकी कामगारों को प्राथमिकता देने का वादा किया था और यह समझदारी भरा कदम उसी का परिणाम है.
उन्होंने कहा, ”यह उन अमेरिकी व्यवसायों को भी निश्चितता प्रदान करता है जो वास्तव में हमारे महान देश में बेहद कुशल कामगारों को लाना चाहते हैं, लेकिन प्रणाली की गड़बड़ी के कारण उन्हें आगे नहीं आने दिया जा रहा है.” व्हाइट हाउस के एक अधिकारी ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया कि एक लाख अमेरिकी डॉलर का शुल्क एकमुश्त है जो केवल नये आवेदन पर लागू होता है. ”यह केवल नए वीज़ा पर लागू होता है, नवीनीकरण या मौजूदा वीज़ा धारकों पर नहीं….” यूएससीआईएस निदेशक जोसेफ एडलो ने एक ज्ञापन में कहा कि ट्रंप की ओर से शुक्रवार को जारी की गई घोषणा केवल उन पर लागू होगी जो अब आवेदन करेंगे. यह घोषणा उन लोगों पर लागू नहीं होती है जो “उद्घोषणा की प्रभावी तिथि से पहले दायर किये गये आवेदनों के लाभार्थी हैं, वर्तमान में स्वीकृत आवेदनों के लाभार्थी हैं, या जिनके पास वैध रूप से जारी एच-1बी गैर-आप्रवासी वीज़ा हैं.”