
नयी दिल्ली/अयोध्या. केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने मंगलवार को कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) प्रमुख मोहन भागवत द्वारा अयोध्या में राम मंदिर के ऊपर भगवा ध्वज फहराना सनातन संस्कृति और भगवान राम के भक्तों के लिए बहुत गर्व की बात है.
शाह ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, ”सियावर रामचंद्र की जय. संपूर्ण मानवता के लिए धर्म और कर्म का आदर्श स्थापित करने वाले भगवान श्रीराम की जन्मभूमि पर बने भव्य और दिव्य मंदिर के शिखर पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और सरसंघचालक मोहन भागवत जी के करकमलों से, संत समाज की पवित्र उपस्थिति में विधिवत धर्मध्वज स्थापित हुआ.” उन्होंने कहा कि माता सीता और प्रभु श्रीराम के विवाह के पवित्र दिन पर यह ध्वजारोहण संपन्न हुआ है.
शाह ने कहा, ”यह सनातन संस्कृति और रामभक्तों के लिए बहुत ही गौरव का दिन है. यह धर्मध्वज प्रभु श्रीराम के जीवन और आदर्शों को जानने तथा उनके पदचिह्नों पर चलने के लिए प्रेरित करेगा.” प्रधानमंत्री मोदी ने मंगलवार को उत्तर प्रदेश के अयोध्या में राम मंदिर के ऊपर भगवा ध्वज फहराया, जिससे मंदिर निर्माण का आधिकारिक समापन हो गया.
इस अवसर पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत, उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी मौजूद थे. मोदी ने राम मंदिर ध्वजारोहण को ‘युगांतकारी’ की संज्ञा देते हुए कहा कि “सदियों के जख्म और दर्द भर रहे हैं”, क्योंकि 500 साल पुराना संकल्प आखिरकार राम मंदिर के औपचारिक निर्माण के साथ पूरा हो रहा है.
राम मंदिर के लिए बलिदान देने वाले लोगों की आत्मा को आज ध्वजारोहण के बाद शांति मिली होगी: भागवत
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के सरसंघचालक मोहन भागवत ने मंगलवार को कहा कि राम मंदिर के लिए बलिदान देने वाले लोगों की आत्मा को आज मंदिर के शिखर पर ध्वजारोहण के बाद शांति मिली होगी. उन्होंने कहा कि आज ध्वजारोहण के साथ मंदिर निर्माण की शास्त्रीय प्रक्रिया पूर्ण हो गई.
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के साथ मोहन भागवत ने मंगलवार को श्री राम जन्मभूमि मंदिर के शिखर पर ध्वजारोहण किया. इस मौके पर खासतौर पर मौजूद आरएसएस प्रमुख ने कहा, ”आज हम सबके लिए एक सार्थकता का दिवस है.” उन्होंने कहा, ”इतने लोगों ने सपना देखा, प्रयास किया, प्राण अर्पण किये, आज उनकी आत्मा तृप्त हुई होगी. आज वास्तव में अशोक जी (राम मंदिर आंदोलन के प्रमुख दिवंगत अशोक सिंघल) की आत्मा को वहां शांति मिली होगी.” मोहन भागवत ने मंदिर आंदोलन से जुड़े संतों को स्मरण करते हुए कहा, ”महंत रामचंद्र दास महाराज, डालमिया जी (विहिप प्रमुख दिवंगत विष्णु हरि डालमिया) कितने संतों, कितने विचारकों ने अपना पसीना बहाया, अपना प्राण अर्पित किया.”
उन्होंने कहा, ”और जो उनके पीछे थे वे अपनी इच्छा व्यक्त करते रहे कि मंदिर बनेगा और आज मंदिर निर्माण की शास्त्रीय प्रक्रिया पूर्ण हो गई. ध्वजारोहण हो गया.” आरएसएस प्रमुख ने इसे गौरवमयी क्षण बताते हुए इस अवसर पर शामिल होने पर खुशी जाहिर की. उन्होंने कहा, ”रामराज्य का ध्वज जो कभी अयोध्या में फहराता था और संपूर्ण विश्व में सुख-शांति प्रदान करता था, वह ध्वज शिखर पर विराजमान होते हमने अपनी आंखों से देखा है.” भागवत ने कहा, ”ध्वज प्रतीक होता है. ध्वज फहराने में समय लगा, मंदिर बनने में भी समय लगाा. उस मंदिर के रूप में हमने कुछ तत्वों को ऊपर पहुंचाया है.
सारा विश्व जिससे ठीक चलेगा, अपने व्यक्तिगत जीवन, पारिवारिक जीवन से लेकर, सृष्टि जीवन ठीक से चलेगा, उस धर्म का प्रतीक भगवा रंग, वही इस धर्म ध्वज का रंग है और इस पर रघुकुल का प्रतीक कोविदार वृक्ष है. यह वृक्ष देवगुणों का समुच्चय है और यह रघुकुल की सत्ता का प्रतीक है.” उन्होंने कहा कि अयोध्या में राम मंदिर पर फहराया गया ध्वज उन सिद्धांतों का प्रतीक है जो व्यक्ति, परिवार और दुनिया भर में सद्भाव की प्रेरणा देते हैं.
समारोह में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ उपस्थित थे.
भागवत ने कहा, ”कई लोगों ने इस दिन का सपना देखा था और कई लोगों ने इसके लिए अपनी जान दे दी. आज उनकी आत्मा को शांति मिली होगी.” उन्होंने कहा, ”जो लोग हर दिन पृष्ठभूमि में काम करते थे, उन्होंने भी राम मंदिर का सपना देखा था, अब जब रस्में पूरी हो गई हैं तो ‘राम राज्य’ का झंडा फहराया गया है.” उन्होंने कहा, “इतना ऊंचा ध्वज फहराने में बहुत समय लगा है. आप सब जानते हैं कि मंदिर बनने में कितना समय लगा – अगर 500 साल को छोड़ भी दें, तो 30 साल लगे.” संघ प्रमुख ने कहा कि इस ध्वज के माध्यम से कुछ बुनियादी मूल्यों को ऊपर उठाया गया है. भागवत ने कहा, “ये वो मूल्य हैं जो दुनिया को रास्ता दिखाएंगे – निजी जीवन से लेकर पारिवारिक जीवन और पूरी सृष्टि के जीवन तक. धर्म ही सबकी भलाई सुनिश्चित करता है.” उन्होंने कहा कि झंडे का केसरिया रंग धर्म को दिखाता है और इसलिए इसे ‘धर्म ध्वज’ कहा जाता है.



