गृह मंत्रालय ने ‘सेंटर फॉर पॉलिसी रिसर्च’ का एफसीआरए पंजीकरण रद्द किया

नयी दिल्ली. केंद्रीय गृह मंत्रालय ने भारत के आर्थिक हितों को प्रभावित करने और विकास परियोजनाओं के खिलाफ विरोध प्रदर्शनों तथा कानूनी लड़ाई में सहायता के लिए विदेशी धन का दुरुपयोग करने के आरोप में प्रमुख थिंक टैंक ‘सेंटर फॉर पॉलिसी रिसर्च’ (सीपीआर) का विदेशी अंशदान विनियमन अधिनियम (एफसीआरए) पंजीकरण रद्द कर दिया है.

सार्वजनिक थिंक टैंक ने सरकार के इस कदम को ”समझ से परे और अप्रमाणित” करार दिया तथा फैसले के खिलाफ कानूनी सहारा लेने का संकल्प जताया. किसी संगठन का एफसीआरए पंजीकरण रद्द या निलंबित किए जाने पर उसके विदेश या विदेशी दानदाता से कोष लेने पर रोक लग जाती है. गृह मंत्रालय (एमएचए) का यह कदम एफसीआरए के तहत गैर-लाभकारी संस्था (एनजीओ) के पंजीकरण को निलंबित करने के लगभग एक साल बाद आया है.

सूत्रों ने कहा कि सीपीआर को ”शैक्षिक गतिविधियों” को चलाने के लिए एफसीआरए के तहत पंजीकृत किया गया था लेकिन इसने मुकदमेबाजी की गतिविधियों के लिए विदेशी कोष का इस्तेमाल किया. उन्होंने कहा कि सीपीआर के कुछ लाभार्थी कोयला खदानों सहित विकास परियोजनाओं के खिलाफ विरोध प्रदर्शन में भी शामिल हैं.

सूत्रों ने कहा कि ऐसा पाया गया कि सीपीआर ने विकास परियोजनाओं के खिलाफ विरोध प्रदर्शन और कानूनी लड़ाई के लिए विदेशी चंदे को गैर-एफसीआरए इकाई में भेज दिया, साथ ही विदेशी कोष का इस्तेमाल मुकदमे दायर करने के लिए वकीलों को भुगतान करने के लिए किया गया था, जो एफसीआरए पंजीकरण के मुताबिक सही नहीं है.

सूत्रों ने कहा कि गैर-एफसीआरए इकाई को धन हस्तांतरित करके और विकास परियोजनाओं के खिलाफ विरोध प्रदर्शन एवं कानूनी लड़ाई के लिए धन का इस्तेमाल करके तथा तथ्यों को छिपाकर सीपीआर ने विदेशी वित्तपोषण का दुरुपयोग किया है और अपनी एफसीआरए प्रतिबद्धताओं के उल्लंघन में भारत के आर्थिक हितों को प्रभावित करने के लिए ऐसे कोष का इस्तेमाल किया है.

सीपीआर कथित तौर पर ‘सीएक्यूएम (वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग) अधिनियम 2021 पर अवलोकन, नयी सरकार के लिए नीतिगत चुनौतियां’ आदि जैसे समसामयिक विषयों पर कार्य कर रहा है और अधिनियम की धारा तीन के तहत विदेशी वित्तपोषण का उपयोग करके समसामयिक विषयों के कार्यक्रम को प्रकाशित करने पर रोक है. आयकर विभाग द्वारा की गई छापेमारी के बाद से थिंक-टैंक जांच के दायरे में है.

गृह मंत्रालय ने विदेशी अंशदान कानून के प्रावधानों के कथित उल्लंघन के लिए एनजीओ का एफसीआरए पंजीकरण रद्द कर दिया है. इससे पहले एफसीआरए लाइसेंस फरवरी 2023 में 180 दिनों के लिए निलंबित किया गया था, इसके बाद निलंबन को और 180 दिनों के लिए बढ.ा दिया गया था. सीपीआर ने बुधवार को एक बयान में कहा कि ”वित्तपोषण के सभी स्रोतों को रोकने की गृह मंत्रालय की इस कार्रवाई का संस्था की कार्य करने की क्षमता पर असर नहीं पड़ने वाला है”.

इसकी वेबसाइट के अनुसार ‘सेंटर फॉर पॉलिसी रिसर्च’ (सीपीआर) 1973 से भारत के अग्रणी थिंक-टैंक में से एक रहा है. इसमें बताया कि यह अध्ययन के लिए सर्मिपत एक गैर-लाभकारी, गैर-पक्षपातपूर्ण, स्वतंत्र संस्थान है. ‘सीपीआर’ को बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन, हेवलेट फाउंडेशन, विश्व बैंक, फोर्ड फाउंडेशन, ब्राउन यूनिर्विसटी के अलावा अन्य संस्थानों से चंदा मिलता था. इसके संचालन निकाय के पूर्व सदस्यों में पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, भारत के पूर्व प्रधान न्यायाधीश दिवंगत वाई. वी. चंद्रचूड़, अनुभवी पत्रकार दिवंगत बी.जी. वर्गीस शामिल रहे.

जब ‘सीपीआर’ ने अपने निलंबन को दिल्ली उच्च न्यायालय में चुनौती दी तो गृह मंत्रालय ने तर्क दिया था कि सीपीआर का विदेशी चंदा रोकने की जरूरत है क्योंकि इसे ”अवांछनीय उद्देश्यों” के लिए विदेशी चंदा प्राप्त हो रहा है, जिससे देश के आर्थिक हित प्रभावित हो सकते हैं. गृह मंत्रालय ने आरोप लगाया कि ‘सीपीआर’ ने एफसीआरए का उल्लंघन करते हुए विदेशी चंदे को अन्य संस्थाओं में स्थानांतरित कर दिया और चंदे को ऐसे खातों में जमा कर दिया, जो कि रिकॉर्ड में दर्ज नहीं थे.

संपर्क करने पर सीपीआर अध्यक्ष एवं मुख्य कार्यकारी अधिकारी यामिनी अय्यर ने कहा कि संस्था जल्द ही एक बयान जारी करेगी.
सीपीआर ने कहा कि यह 50 साल पुरानी संस्था है जिसका भारत के नीति-निर्माण तंत्र में गहरे योगदान का गौरवपूर्ण इतिहास रहा है और पिछले पांच दशकों में यह कई प्रतिष्ठित संकाय, शोधकर्ताओं और बोर्ड के सदस्यों का स्थान रहा है.

थिंक टैंक ने कहा, ”सीपीआर दृढ.ता से दोहराता है कि यह कानून का पूर्ण अनुपालन करता है और प्रक्रिया के हर चरण में पूरी तरह से सहयोग कर रहा है.” अक्टूबर 2022 में केंद्र सरकार ने कानूनों के कथित उल्लंघन के आरोप में कांग्रेस नेता सोनिया गांधी की अध्यक्षता वाले दोनों गैर सरकारी संगठनों, राजीव गांधी फाउंडेशन (आरजीएफ) और राजीव गांधी चैरिटेबल ट्रस्ट (आरजीसीटी) का एफसीआरए पंजीकरण रद्द कर दिया था.

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