‘मेघालय के राज्यपाल के पद से सेवानिवृत्ति के बाद न किसी दल में शामिल होऊंगा और न ही चुनाव लड़ूंगा’

मेरठ. मेघालय के राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने शुक्रवार को कहा कि वर्तमान पद से सेवानिवृत्ति के बाद वह न तो किसी राजनीतिक दल में शामिल होंगे और न ही किसी पद के लिए चुनाव लड़ेंगे. मलिक ने अपनी इस टिप्पणी से उन अटकलों पर विराम लगा दिया है कि वह राष्ट्रीय लोकदल में शामिल हो सकते हैं. मेघालय के राज्यपाल के रूप में शुक्रवार (30 सितंबर) को मलिक का कार्यकाल पूरा हो रहा है.

सेवानिवृत्त के बाद की योजनाओं को लेकर दूरभाष पर ‘पीटीआई-भाषा’ से बातचीत में मलिक ने कहा, ‘‘ अभी तक मेरे पास कोई योजना नहीं है. मैं केवल उन गतिविधियों में भाग लूंगा जो किसानों से जुड़ी होंगी. मैं न तो किसी दल में शामिल होउंगा और न ही कोई चुनाव लडूंगा.’’ इससे पहले यह अटकलें लगाई जा रही थी कि मलिक राष्­ट्रीय लोकदल (रालोद) में शामिल हो सकते हैं . यह कयास उन विज्ञापनों को देखने के बाद लग रहे थे, जिनमें दिखाया गया था कि वह तीन अक्टूबर को शामली जिले में आयोजित एक ‘किसान सम्मेलन’ में भाग लेंगे और रालोद प्रमुख जयंत चौधरी के साथ मंच साझा करेंगे.

मलिक ने स्पष्ट किया ‘‘ शामली की सभा एक गैर राजनीतिक थी और किसानों के लिए आहूत की गई थी, हालांकि धारा 144 लागू होने के चलते अब इसे रद्द कर दिया गया है.” मेघालय के राज्यपाल के पद पर रहते मलिक ने केंद्र सरकार के तीन कृषि कानूनों के विरोध में आंदोलन करने वाले किसानों का समर्थन किया और केंद्र सरकार को कटघरे में खड़ा किया जिसके बाद वह सुर्खियों में आये. उन्होंने राज्यपाल रहते किसानों का मुद्दा उठाया और केंद्र सरकार को कटघरे में खड़ा किया था. उन्होंने जम्मू कश्मीर का राज्यपाल रहते हुए कथित भ्रष्टाचार का मामला उठाया था.

मलिक 30 सितंबर 2017 को बिहार के राज्यपाल के नियुक्त हुए थे. इसके बाद उन्हें अगस्­त 2018 में जम्मू-कश्मीर और फिर 2020 में मेघालय में राज्यपाल पद पर भेजा गया. सत्­यपाल मलिक 24 जुलाई 1946 को बागपत जिले में पैदा हुए और भारतीय क्रांति दल, भारतीय राष्­ट्रीय कांग्रेस, जनता दल, लोक दल और समाजवादी पार्टी आदि राजनीतिक दलों से जुड़ने के बाद भारतीय जनता पार्टी में शामिल हुए थे. मलिक 1989 में अलीगढ़ संसदीय क्षेत्र से सांसद चुने गये और इसके पहले 1980 से 1989 तक राज्यसभा के भी सदस्­य रहे थे .

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