भारत सैन्य साजो-सामान मामले में आयात पर निर्भर नहीं रह सकता : राजनाथ सिंह
नयी दिल्ली. घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा देने के लिए नरेन्द्र मोदी सरकार की प्राथमिकता को रेखांकित करते हुए रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने सोमवार को कहा कि भारत जैसा विशाल देश सैन्य साजो-सामान के आयात पर निर्भर नहीं रह सकता क्योंकि ऐसी निर्भरता उसकी रणनीतिक स्वायत्तता के लिए ”घातक” हो सकती है.
सिंह ने ‘डेफकनेक्ट 2024’ सम्मेलन को संबोधित करते हुए दावा किया कि रक्षा आयात पर निर्भरता के कारण भारत को अतीत में ”मुश्किल समय” में परेशानी का सामना करना पड़ा था. उन्होंने कहा कि घरेलू रक्षा उत्पादन का वार्षिक आंकड़ा एक लाख करोड़ रुपये के रिकॉर्ड आंकड़े को पार कर गया है जो 2014 के आसपास लगभग 44,000 करोड़ रुपये था.
सिंह ने कहा, ”हम रणनीतिक स्वायत्तता तभी बरकरार रख पाएंगे जब हथियार और साजो-सामान हमारे देश में, हमारे अपने लोगों द्वारा बनाए जाएं. हमने इस दिशा में काम किया और हमें सकारात्मक परिणाम भी दिखे.” उन्होंने कहा, ”वर्ष 2014 के आसपास, हमारा घरेलू रक्षा उत्पादन लगभग 44,000 करोड़ रुपये था, आज हमारा घरेलू रक्षा उत्पादन एक लाख करोड़ रुपये के रिकॉर्ड आंकड़े को पार कर गया है और यह लगातार बढ़ रहा है.”
रक्षा मंत्री ने कहा कि भारत किसी भी महत्वपूर्ण क्षेत्र में आयात पर निर्भर नहीं रह सकता. उन्होंने कहा, ”भारत जैसा विशाल देश किसी भी महत्वपूर्ण क्षेत्र में आयात पर निर्भर नहीं रह सकता. अगर हम सैन्य साजो-सामान और हथियारों के आयात पर निर्भर रहेंगे तो यह निर्भरता हमारी रणनीतिक स्वायत्तता के लिए घातक हो सकती है.”
राजनाथ सिंह ट्विन विमानवाहक ऑपेरशन देखने के लिए समुद्र में उतरेंगे
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और भारतीय नौसेना के शीर्ष कमांडर अरब सागर में नौसेना के दो विमानवाहक पोतों में से एक पर आयोजित होने वाले एक अहम सम्मेलन में भारत की समुद्री सुरक्षा चुनौतियों की मंगलवार को व्यापक समीक्षा करेंगे. इसके साथ ही वह सम्मेलन के उद्घाटन सत्र में दोनों विमानवाहक पोतों को देखने के लिए समुद्र में उतरेंगे, जो भारतीय नौसेना की ‘ट्विन कैरियर ऑपरेशन’ संचालित करने की क्षमता का प्रदर्शन करेंगे.
नौसेना कमांडरों के द्विवार्षिक सम्मेलन के पहले दिन सिंह ”ट्विन कैरियर ऑपरेशंस” में विमानवाहक पोतों- आईएनएस विक्रांत और आईएनएस विक्रमादित्य की युद्धक क्षमता का भी अवलोकन करेंगे. नौसैन्य कमांडर हिंद महासागर में चीन की बढ.ती सैन्य ताकत के साथ लाल सागर और आसपास के इलाकों में विभिन्न मालवाहक पोतों पर हूती विद्रोहियों के हमले से पैदा हुई स्थिति समेत कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर विचार-विमर्श कर सकते हैं.
इस तीन दिवसीय सम्मेलन में प्रमुख रक्षा अध्यक्ष जनरल अनिल चौहान के साथ नौसेना प्रमुख एडमिरल आर हरि कुमार, थलसेना प्रमुख जनरल मनोज पाण्डे और वायु सेना प्रमुख वी आर चौधरी भी भाग लेंगे. वे क्षेत्रीय सुरक्षा के बदलते माहौल के बीच तीनों सेवाओं के बीच तालमेल बढ.ाने के तरीकों समेत व्यापक मुद्दों पर नौसैन्य कमांडरों के साथ बातचीत करेंगे.
नौसेना के प्रवक्ता कमांडर विवेक मधवाल ने कहा, ”वे देश की रक्षा और भारत के राष्ट्रीय हित में तीनों सेवाओं का तालमेल और तत्परता बढ.ाने के रास्तों को तलाशेंगे.” यह सम्मेलन नौसेना के कमांडरों के लिए समुद्री सुरक्षा से संबंधित रणनीतिक गतिविधियों के साथ ही वरिष्ठ सरकारी पदाधिकारियों से बातचीत करने के उद्देश्य से एक मंच उपलब्ध कराता है.
मधवाल ने बताया कि इस सम्मेलन के उद्घाटन सत्र में रक्षा मंत्री ‘ट्विन कैरियर ऑपरेशंस’ चलाने की भारतीय नौसेना की क्षमता का प्रदर्शन करने वाले दोनों विमानवाहन पोतों को देखने के लिए समुद्र में उतरेंगे. नौसेना कमांडरों के सम्मेलन का पिछला सत्र पिछले साल मार्च में स्वदेश निर्मित विमानवाहक पोत आईएनएस विक्रांत पर हुआ था. नौसैन्य प्रवक्ता ने कहा, ”पिछले छह महीनों में इजराइल-हमास संघर्ष के कारण हिंद महासागर क्षेत्र में भू-राजनीतिक परिदृश्य में बड़े बदलाव हुए हैं.”