सार्वभौम शिक्षा, मानव संसाधन विकास में विकासशील देशों के साथ सहयोग को भारत प्रतिबद्ध : प्रधान

नयी दिल्ली. केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान ने सार्वभौम शिक्षा हासिल करने और मानव संसाधन विकास को प्रोत्साहित करने में वैश्विक दक्षिण एवं विकासशील देशों के साथ सहयोग करने की भारत की प्रतिबद्धता दोहराते हुए शुक्रवार को कहा कि शिक्षा से जुड़े विभिन्न क्षेत्रों में देशों के बीच श्रेष्ठ चलन एवं अनुभवों को साझा करने की जरूरत है.

प्रधान ने ‘वॉयस आॅफ ग्लोबल साउथ’ डिजिटल शिखर सम्मेलन के दूसरे दिन शिक्षा मंत्रियों के एक सत्र को संबोधित करते हुए कहा कि भारत ने हमेशा विकासशीन देशों के हितों एवं विचारों को प्रोत्साहित किया है और जी20 देशों की भारत की अध्यक्षता में यह वैश्विक दक्षिण देशों के विचारों के लिये मंच प्रदान करेगा. उन्होंने कहा कि जी20 का मुख्य विषय ‘एक पृथ्वी, एक परिवार, एक भविष्य है जो भारत के वसुधैव कुटुम्बकम के दर्शन पर आधारित है.

शिक्षा मंत्री ने कहा कि जी20 समूह के शिक्षा से जुड़े कार्य समूह के मुद्दों में बुनियादी साक्षरता एवं संख्या ज्ञान, प्रौद्योगिकी आधारित शिक्षा को अधिक समावेशी बनाना, उच्च शिक्षण संस्थानों को समरूप बनाना और जीवन पर्यंत शिक्षा जैसे विषय शामिल है.
उन्होंने कहा कि वॉयस आॅफ ग्लोबल साउथ शिखर सम्मेलन में इन विषयों पर वैश्विक दक्षिण देशों के विचारों को जानने का मौका मिलेगा.

शिखर सम्मेलन में ‘मानव संसाधन विकास एवं क्षमता निर्माण’ विषय पर सत्र को संबोधित करते हुए धर्मेन्द्र प्रधान ने कहा कि विकासशील एवं वैश्विक दक्षिण के देशों के बीच मानव संसाधन विकास, क्षमता निर्माण, भविष्योन्मुखी कार्यबल, शिक्षा में डिजिटलीकरण तथा कौशल विकास एवं व्यवसायिक शिक्षा के क्षेत्र में श्रेष्ठ चलन एवं अनुभवों को साझा करने की जरूरत है.
प्रधान ने सार्वभौम शिक्षा हासिल करने और मानव संसाधन विकास को प्रोत्साहित करने में वैश्विक दक्षिण एवं विकासशील देशों के साथ सहयोग करने की भारत की प्रतिबद्धता दोहरायी.

उन्होंने कहा कि भारत ने नयी राष्ट्रीय शिक्षा नीति बनायी है जिसका मकसद शिक्षा प्रणाली में सुधार, पठन पाठन के परिणामों को बेहतर बनाना, शिक्षकों का क्षमता निर्माण तथा शिक्षा का अंतरराष्ट्रीयकरण है. शिखर सम्मेलन में शिक्षा मंत्रियों के सत्र में 15 देशों ने हिस्सा लिया.

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