
न्यूयॉर्क/ वाशिंगटन. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा है कि भारत की वजह से अमेरिका को व्यापार में ‘नुकसान’ उठाना पड़ा है लेकिन उच्च सीमा शुल्क लगाए जाने के बाद भारत ने अब ‘शून्य शुल्क’ की पेशकश की है. ट्रंप ने मंगलवार को रेडियो शो ‘द स्कॉट जेनिंग्स शो’ पर बातचीत में कहा, ”भारत हमारे खिलाफ शुल्क लगाता है. चीन हमारे खिलाफ बहुत शुल्क लगाता है. ब्राजील भी ऐसा करता है.” उन्होंने कहा, ”भारत सबसे अधिक शुल्क लगाने वाला देश रहा है. लेकिन अब उन्होंने मुझे भारत में शून्य शुल्क की पेशकश की है.
ट्रंप ने पिछले महीने भारतीय उत्पादों के आयात पर 25 प्रतिशत शुल्क और रूसी तेल की खरीद जारी रखने पर 25 प्रतिशत अतिरिक्त शुल्क लगाने की घोषणा की थी. इस तरह 27 अगस्त से भारतीय उत्पादों पर अमेरिका में कुल 50 प्रतिशत शुल्क लग रहा है.
अमेरिकी राष्ट्रपति ने दावा किया कि उन्हें शुल्क लगाने की प्रक्रिया और उसके प्रभाव को लेकर दुनिया में सबसे अच्छी समझ है.
उन्होंने कहा, ”मैं शुल्क को दुनिया के किसी भी दूसरे व्यक्ति से कहीं बेहतर समझता हूं. मेरे शुल्क लगाने के बाद वे अपने शुल्क को घटा रहे हैं. भारत तो सबसे अधिक शुल्क लगाने वाला देश रहा है. और अब भारत में कोई भी शुल्क न लगाने की पेशकश मेरे सामने की गई है.”
ट्रंप ने कहा, ”अगर मैंने शुल्क नहीं लगाए होते तो वे कभी ऐसा प्रस्ताव नहीं रखते. आपको शुल्क लगाने ही होते हैं. इस तरह हम आर्थिक रूप से सशक्त बनने जा रहे हैं.” उन्होंने बाद में व्हाइट हाउस में संवाददाताओं के साथ बातचीत में कहा कि भारत के साथ अमेरिका के संबंध अच्छे हैं लेकिन यह रिश्ता लंबे समय तक ‘एकतरफा’ ही रहा क्योंकि अमेरिका पर भारत ‘भारी शुल्क’ लगाता रहा.
भारत पर लगाए गए उच्च शुल्क में कुछ कटौती की संभावना के बारे में पूछे जाने पर ट्रंप ने कहा, ”भारत से हमारे संबंध बहुत अच्छे हैं लेकिन वर्षों तक यह रिश्ता एकतरफा रहा. भारत हम पर दुनिया में सबसे ज्यादा शुल्क लगाता था और यही वजह रही कि हमारा व्यापार वहां नहीं हो रहा था.” ट्रंप ने कहा कि भारत की ओर से लगाए गए शुल्कों की वजह से अमेरिकी कंपनियों को नुकसान उठाना पड़ा. उन्होंने कहा कि हार्ले डेविडसन मोटरसाइकिल पर 200 प्रतिशत शुल्क होने के कारण अमेरिकी कंपनी को भारत में संयंत्र लगाना पड़ा था.
उन्होंने कहा कि अमेरिका की ओर से पहले कोई शुल्क नहीं लगाया गया था लेकिन भारत अपने उत्पाद अमेरिकी बाजार में भेजता रहा, जिससे घरेलू उत्पादन प्रभावित हुआ. भारत ने ट्रंप प्रशासन की तरफ से लगाए गए उच्च शुल्क को ‘अनुचित और असंगत’ बताते हुए कहा है कि किसी भी बड़ी अर्थव्यवस्था की तरह वह भी अपने राष्ट्रीय हित और आर्थिक सुरक्षा की रक्षा के लिये जरूरी कदम उठाएगा. वित्त वर्ष 2024-25 में दोनों देशों के बीच वस्तु व्यापार 131.8 अरब डॉलर रहा था जिसमें भारत ने 86.5 अरब डॉलर का निर्यात किया था जबकि अमेरिका से उसका आयात 45.3 अरब डॉलर रहा था.
भारत यात्रा से रूसी तेल आयात कम करने के ‘शुरुआती संकेत’ मिले: अमेरिकी सांसद
दक्षिण एशिया में दो सप्ताह के खुफिया मिशन पर गए एक प्रभावशाली अमेरिकी सांसद ने दावा किया कि उनकी भारत यात्रा से इस बात के “शुरुआती संकेत” मिले कि भारत रूसी तेल के आयात को कम कर सकता है. उन्होंने कहा कि यह यूक्रेन में रूस के आक्रमण की क्षमता को कमजोर करने की दिशा में एक सार्थक कदम होगा.
कांग्रेस सदस्य ब्रायन फिट्ज़पैट्रिक के साथ सदन की खुफिया समिति की सदस्य क्रिसी हौलाहन भी हाल ही में भारत, नेपाल और पाकिस्तान को कवर करने वाले मिशन पर थीं. फिट्ज़पैट्रिक खुफिया मामलों पर सदन की स्थायी प्रवर समिति की सीआईए उपसमिति के अध्यक्ष हैं तथा नाटो संसदीय सभा के सदस्य हैं.
फिट्ज़पैट्रिक के कार्यालय द्वारा मंगलवार को जारी एक बयान में कहा गया कि उन्होंने अमेरिकी खुफिया प्राथमिकताओं को आगे बढ.ाने, वैश्विक गठबंधनों को मजबूत करने और दुनिया के रणनीतिक रूप से सबसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों में से एक में सैद्धांतिक अमेरिकी नेतृत्व को स्थापित करने के लिए भारत, नेपाल और पाकिस्तान में वरिष्ठ अधिकारियों के साथ बैठकें कीं.
सेंट्रल इंटेलिजेंस एजेंसी (सीआईए) के सभी वैश्विक परिचालनों की देखरेख करने वाले फिट्ज़पैट्रिक ने कहा, “भारत में हमारी बातचीत में शुरुआती संकेत मिले हैं कि सरकार रूसी तेल के आयात को कम करेगी. यह रूस के आक्रमण की क्षमता को कमजोर करने और हमारे साझेदारों को स्वतंत्रता के मुद्दे के साथ जोड़ने की दिशा में एक सार्थक कदम होगा.” अमेरिका ने भारत पर 50 प्रतिशत टैरिफ लगाया है, जो दुनिया में सबसे ज़्यादा टैरिफ में से एक है, जिसमें रूसी तेल की ख.रीद पर 25 प्रतिशत टैरिफ भी शामिल है. टैरिफ को “अनुचित” बताते हुए, भारत ने कहा है कि किसी भी बड़ी अर्थव्यवस्था की तरह, वह अपने राष्ट्रीय हितों और आर्थिक सुरक्षा की रक्षा के लिए सभी ज़रूरी कदम उठाएगा.
दक्षिण एशिया के दो सप्ताह के खुफिया मिशन पर रवाना होने से पहले हौलाहन ने कहा था कि भारत और पाकिस्तान की यात्रा ऐसे समय में हो रही है, जब न केवल क्षेत्र के साथ अमेरिका के संबंध महत्वपूर्ण हैं, बल्कि इसलिए भी कि दोनों देश इस समय विनाशकारी बाढ. का सामना कर रहे हैं और “इस वर्ष के प्रारंभ में हुए संघर्षविराम समझौते को बनाए रखने के लिए काम कर रहे हैं.” वह मई में चार दिवसीय संघर्ष के बाद भारत-पाकिस्तान के बीच बनी सहमति का उल्लेख कर रही थीं.
नयी दिल्ली में अपने प्रवास के दौरान, फिट्ज़पैट्रिक ने विदेश मंत्री एस जयशंकर और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल से उच्च स्तरीय रणनीतिक वार्ता की और अमेरिकी दूतावास के संचालन का व्यापक निरीक्षण किया. बयान में दावा किया गया, “इन गतिविधियों और लगातार अमेरिकी दबाव के बाद, भारतीय रिफाइनरी रूसी तेल के आयात को कम करने की योजना का संकेत दे रही हैं-यह एक ऐसा बदलाव है जो यूक्रेन में युद्ध के वित्तपोषण की रूस की क्षमता को सीधे तौर पर कमजोर करेगा.”