भारत बांग्लादेश का एक ‘घनिष्ठ मित्र’ है : प्रधानमंत्री शेख हसीना ने अपनी चुनावी जीत के बाद कहा

शेख हसीना : समर्थकों के लिए 'आयरन लेडी', आलोचकों के लिए 'तानाशाह'

ढाका. आम चुनाव में प्रचंड बहुमत हासिल करने के एक दिन बाद प्रधानमंत्री शेख हसीना ने सोमवार को कहा कि भारत बांग्लादेश का एक ‘घनिष्ठ मित्र’ है और दोनों पड़ोसियों ने द्विपक्षीय रूप से कई समस्याओं का समाधान किया है. हसीना के नेतृत्व वाली अवामी लीग पार्टी ने लगातार चौथी बार आम चुनाव में जीत दर्ज की है.

साल 2009 से रणनीतिक रूप से अहम दक्षिण एशियाई देश पर शासन कर रही 76 वर्षीय नेता ने रविवार को हुए एकतरफा चुनाव में कुल मिलाकर पांचवां कार्यकाल हासिल किया. हालांकि, चुनाव में कम वोट पड़े थे. हसीना ने कहा, ह्लभारत बांग्लादेश का बहुत घनिष्ठ मित्र है. उसने 1971 में और 1975 में भी हमारा समर्थन किया. उसने मुझे और मेरी बहन और मेरे परिवार के अन्य सदस्यों को आश्रय दिया.” वह अपने परिवार के सदस्यों की हत्या के बाद छह साल तक भारत में निर्वासन में रहने के वक्त का उल्लेख कर रही थीं.

अगस्त 1975 में, शेख मुजीबुर रहमान, उनकी पत्नी और उनके तीन बेटों की उनके घर में सैन्य अधिकारियों ने हत्या कर दी थी. उनकी बेटियां हसीना और रेहाना विदेश में होने के कारण बच गईं थी. उन्होंने एक सवाल के जवाब में कहा, ह्लहम भारत को अपना निकटवर्ती पड़ोसी मानते हैं. हमारे बीच कई समस्याएं थीं, लेकिन हमने इसे द्विपक्षीय तरीके से हल किया. इसलिए, मैं वास्तव में इसकी सराहना करती हूं कि भारत के साथ हमारे अद्भुत संबंध हैं.” हसीना ने कहा, ह्लमेरे हर देश के साथ अच्छे संबंध हैं, क्योंकि यही हमारा नीति-वाक्य है.” प्रधानमंत्री हसीना ने कहा कि अगले पांच वर्षों में उनकी सरकार का मुख्य ध्यान आर्थिक प्रगति पर होगा.

उन्होंने कहा कि वह अपने लोगों के लिए काम करने की कोशिश करती हैं. उन्होंने कहा, “मातृ-स्नेह के साथ, मैं अपने लोगों की देखभाल करती हूं, जिन्होंने मुझे यह मौका दिया. बार-बार लोगों ने मुझे वोट दिया है और यही कारण है कि मैं यहां हूं.” भारत की पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और श्रीलंका की पूर्व प्रधानमंत्री सिरिमाओ भंडारनायके जैसे वैश्विक नेताओं से तुलना किए जाने पर, हसीना ने कहा, “वे बहुत महान महिलाएं हैं. मैं नहीं हूं. मैं बहुत सरल हूं, बस एक आम शख्स हूं.”

विपक्ष के बहिष्कार के बीच बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना ने लगातार चौथी बार चुनाव जीता

बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना ने लगातार चौथी बार आम चुनाव में जीत हासिल की. छिटपुट हिंसा और मुख्य विपक्षी दल बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) तथा उसके सहयोगियों के चुनाव के बहिष्कार करने के कारण हसीना की पार्टी अवामी लीग के लिए जीत का रास्ता आसान हो गया.

मीडिया की खबरों के अनुसार, हसीना की पार्टी ने 300 सीट वाली संसद में 223 सीट हासिल कीं. एक उम्मीदवार के निधन के कारण 299 सीट पर चुनाव हुये थे. इस सीट पर मतदान बाद में होगा. संसद में मुख्य विपक्षी दल जातीय पार्टी को 11, बांग्लादेश कल्याण पार्टी को एक और स्वतंत्र उम्मीदवारों ने 62 सीट पर जीत दर्ज की. जातीय समाजतांत्रिक दल और ‘वर्कर्स पार्टी ऑफ बांग्लादेश’ ने एक-एक सीट जीतीं.

अवामी लीग पार्टी की प्रमुख हसीना (76) ने गोपालगंज-तृतीय सीट पर भारी मतों के अंतर से जीत हासिल की. संसद सदस्य के रूप में यह उनका आठवां कार्यकाल है. हसीना 2009 से सत्ता पर काबिज हैं और एकतरफा चुनाव में लगातार चौथी बार जीत हासिल की है. अहम बात यह है कि 1991 में लोकतंत्र की बहाली के बाद से ऐसा दूसरी बार है जब सबसे कम मतदान हुआ. फरवरी 1996 के विवादास्पद चुनावों में 26.5 प्रतिशत मतदान हुआ था जो कि बांग्लादेश के इतिहास में सबसे कम है.

रविवार के चुनाव में दोपहर तीन बजे तक 27.15 प्रतिशत मतदान हुआ था और शाम चार बजे मतदान प्रक्रिया समाप्त हो गई. निर्वाचन आयोग ने एक घंटे में 13 प्रतिशत की वृद्धि के साथ कुल मिलाकर लगभग 40 प्रतिशत मतदान का अनुमान जताया.
इस जीत के साथ, हसीना आजादी के बाद बांग्लादेश में सबसे लंबे समय तक पद पर रहने वाली प्रधानमंत्री बनने की ओर बढ़ रही हैं.
पूर्व प्रधानमंत्री खालिदा जिया के नेतृत्व वाली पार्टी ‘बीएनपी’ ने चुनाव का बहिष्कार किया और चुनाव के दिन हड़ताल पर चली गयी थी. पार्टी ने मंगलवार से शांतिपूर्ण सार्वजनिक भागीदारी कार्यक्रम के माध्यम से अपने सरकार विरोधी आंदोलन को तेज करने की योजना बनाई है और चुनावों को ”फर्जी” करार दिया है.

शेख हसीना : समर्थकों के लिए ‘आयरन लेडी’, आलोचकों के लिए ‘तानाशाह’

बांग्लादेश में विकास कार्यों को गति देने और कभी सैन्य शासित रहे देश को स्थिरता प्रदान करने के लिए शेख हसीना के समर्थक जहां ”आयरन लेडी” के रूप में उनकी सराहना करते हैं, वहीं उनके आलोचक व विरोधी उन्हें ”तानाशाह” नेता करार देते हैं. अवामी लीग पार्टी की प्रमुख 76 वर्षीय शेख हसीना दुनिया में सबसे लंबे समय तक पदस्थ महिला राष्ट्र प्रमुखों में से एक हैं.

बांग्लादेश के संस्थापक शेख मुजीबुर रहमान की बेटी हसीना 2009 से रणनीतिक रूप से अहम दक्षिण एशियाई देश पर शासन कर रही हैं और हालिया एकतरफा विवादास्पद चुनाव में उनकी जीत से सत्ता पर उनकी पकड़ और मजबूत हो जाएगी. चुनाव से पहले हिंसा और पूर्व प्रधानमंत्री खालिदा जिया की अगुवाई वाले मुख्य विपक्षी दल ‘बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी’ (बीएनपी) और उसके सहयोगियों ने रविवार को हुए 12वें आम चुनाव का बहिष्कार किया और चुनाव नतीजों में हसीना की पार्टी को लगातार चौथी बार और कुल मिलाकर पांचवीं बार जीत मिली.

सितंबर 1947 में तत्कालीन पूर्वी पाकिस्तान (अब बांग्लादेश) में जन्मीं हसीना 1960 के दशक के अंत में ढाका विश्वविद्यालय में पढ.ाई के दौरान राजनीति में सक्रिय हुईं. पाकिस्तानी सरकार द्वारा रहमान को कैद किए जाने के दौरान उन्होंने अपने पिता की राजनीतिक गतिविधियों की बागडोर संभाली.

वर्ष 1971 में बांग्लादेश को पाकिस्तान से आजादी मिलने के बाद हसीना के पिता मुजीबुर रहमान देश के राष्ट्रपति और फिर प्रधानमंत्री बने. अगस्त 1975 में रहमान, उनकी पत्नी और उनके तीन बेटों की उनके घर में सैन्य अधिकारियों द्वारा हत्या कर दी गई थी.
हसीना और उनकी छोटी बहन शेख रेहाना विदेश में होने के कारण इस हमले से बच गईं. भारत में छह साल निर्वासन में बिताने वाली हसीना को बाद में अवामी लीग का नेता चुना गया.

वर्ष 1981 में हसीना स्वदेश लौट आईं और सेना द्वारा शासित देश में लोकतंत्र की बहाली के लिए मुखर हुईं, जिसके चलते कई मौकों पर उन्हें नजरबंद किया गया. वर्ष 1991 के आम चुनाव में हसीना के नेतृत्व वाली अवामी लीग बहुमत हासिल करने में विफल रही. उनकी प्रतिद्वंद्वी बीएनपी नेता खालिदा जिया प्रधानमंत्री बनीं. पांच साल बाद, 1996 के आम चुनाव में हसीना प्रधानमंत्री चुनी गईं.

2001 के चुनाव में हसीना को सत्ता से बाहर होना पड़ा लेकिन 2008 के चुनाव में वह प्रचंड जीत के साथ सत्ता में लौट आईं. वर्ष 2004 में हसीना हत्या के एक प्रयास से उस समय बच गईं, जब उनकी रैली में एक ग्रेनेड विस्फोट हुआ. सत्ता में आने के तुरंत बाद 2009 में हसीना ने 1971 के युद्ध अपराध मामलों की सुनवाई के लिए एक न्यायाधिकरण का गठन किया. न्यायाधिकरण ने विपक्ष के कुछ वरिष्ठ नेताओं को दोषी ठहराया, जिससे हिंसक विरोध-प्रदर्शन शुरू हो गए थे. हसीना एक बेटी और एक बेटे की मां हैं. उनकी बेटी मनोरोग विशेषज्ञ हैं जबकि बेटा सूचना एवं संचार तकनीक (आईसीटी) विशेषज्ञ हैं. हसीना के पति एक परमाणु वैज्ञानिक थे, जिनका 2009 में निधन हो गया.

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