भारत 2047 तक विश्व गुरु बन जाएगा : उपराष्ट्रपति धनखड़

उपराष्ट्रपति धनखड़ ने वीरता, सराहनीय सेवा के लिए बीएसएफ के 35 कर्मियों को सम्मानित किया

नयी दिल्ली. उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने बुधवार को कहा कि भारत अभूतपूर्व विकास पथ पर आगे बढ. रहा है और 2047 तक यह ‘विश्व गुरु’ बन जाएगा. भारत 2047 में अपनी स्वतंत्रता की 100वीं वर्षगांठ मनाएगा. धनखड़ ने जोर देकर कहा कि देश की आर्थिक प्रगति और उसकी सुरक्षा आपस में गहराई से जुड़ी हुई हैं और सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) जैसे बल भारत के ‘समग्र विकास’ के संरक्षक हैं.

उपराष्ट्रपति यहां बीएसएफ के वार्षिक ‘रुस्तमजी स्मृति व्याख्यान’ को संबोधित कर रहे थे. यह व्याख्यान बीएसएफ के पहले प्रमुख के.एफ. रुस्तमजी की याद में आयोजित किया जाता है, जो 1965-74 के दौरान 2.65 लाख की क्षमता वाले बल के महानिदेशक थे. वर्ष 1965 में गठित बीएसएफ पर पाकिस्तान और बांग्लादेश से सटी सीमाओं की सुरक्षा की जिम्मेदारी है. धनखड़ ने कहा कि राष्ट्रीय सुरक्षा देश की प्रगतिशील समृद्धि की ‘आधारशिला’ है और जो विकास पहले होना चाहिए था, वह अब हो रहा है.

उन्होंने कहा, ”आप देखिए हमारे पास किस तरह का सड़क ढांचा है, किस तरह की तकनीकी भागीदारी हो रही है, किस तरह के हथियार उपलब्ध कराए जा रहे हैं और किस तरह की सुविधाएं मानव संसाधन के लिए बनाई जा रही हैं… यह कोई बाध्यता नहीं, हमारा कर्तव्य है (बीएसएफ जैसे सुरक्षा बलों के लिए).” धनखड़ ने कहा कि वह इस बात से ‘संतुष्ट’ हैं कि इन मुद्दों पर ध्यान दिया जा रहा है. उन्होंने कहा कि भारत ‘अभूतपूर्व प्रगति’ की तरह बढ. रहा है और यह सतत वृद्धि उच्च-स्तर पर जाएगी और 2047 तक भारत ‘विश्व गुरु’ होगा.

उपराष्ट्रपति ने कहा, ”लगभग एक दशक पहले हम 11वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था थे, हालांकि, सितंबर 2022 में हम ब्रिटेन को पछाड़कर पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गए और इस दशक के अंत तक हम तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएंगे.” उन्होंने कहा कि देश ने डिजिटल अर्थव्यवस्था के तौर पर भी दुनिया का ध्यान आर्किषत किया है और वर्ष 2022 में भारत का डिजिटल लेन-देन अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस और जर्मनी की तुलना में चार गुना अधिक रहा था. धनखड़ ने कहा, ”यह सब इसलिए संभव हो सका क्योंकि हमारी सीमाएं सुरक्षित हैं.”

उपराष्ट्रपति धनखड़ ने वीरता, सराहनीय सेवा के लिए बीएसएफ के 35 र्किमयों को सम्मानित किया
उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने बुधवार को सराहनीय सेवा के लिए सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) के 35 र्किमयों को पदक से सम्मानित किया. इनमें वे दो जवान भी शामिल रहे, जिन्होंने वीरता का परिचय देते हुए पश्चिम बंगाल में भारत-बांग्लादेश सीमा के पास मवेशी तस्करी के प्रयास को विफल कर दिया था.

यहां विज्ञान भवन में वार्षिक ‘रुस्तमजी स्मृति व्याख्यान’ के दौरान धनखड़ ने एक समारोह में बीएसएफ र्किमयों को सम्मानित किया.
यह व्याख्यान बीएसएफ के पहले प्रमुख के.एफ. रुस्तमजी की याद में आयोजित किया जाता है, जो 1965-74 के दौरान 2.65 लाख की क्षमता वाले बल के महानिदेशक थे. वर्ष 1965 में गठित बीएसएफ पर पाकिस्तान और बांग्लादेश से सटी सीमाओं की सुरक्षा की जिम्मेदारी है.

हेड कांस्टेबल सुंदर सिंह को जनवरी 2021 में बांग्लादेशी पशु तस्करों की साजिश को वीरतापूर्वक विफल करने के लिए पुलिस पदक (पीएमजी) से सम्मानित किया गया. वहीं, अगस्त 2019 में इसी तरह की घटना में भारतीय तस्करों की गतिविधि को नाकाम करने के लिए कांस्टेबल आंनद ओरांव को भी पदक से सम्मानित किया गया. पुरस्कार पाने वालों में उप महानिरीक्षक (डीआईजी) संदीप चानन और कंवलजीत सिंह तथा कमांडर संजय कुमार और दिवाकर कुमार भी शामिल थे.

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