चीनी गांव बसाने का मामला, देश की सुरक्षा से संबंधित सभी घटनाक्रम पर नजर रखते हैं : भारत
भारत, श्रीलंका के साथ खड़ा रहेगा : विदेश मंत्रालय
नयी दिल्ली. भारत ने बृहस्पतिवार को कहा कि वह अपनी सुरक्षा को प्रभावित करने वाले सभी घटनाक्रम पर नजर रखता है. डोकलाम के आसपास चीन के गांव बसाने से जुड़ी खबरों को लेकर विदेश मंत्रालय का यह बयान सामने आया है. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने संवाददाताओं से कहा कि सरकार ऐसे मामले में उसके अनुरूप जरूरी कदम उठाती है.
उन्होंने कहा, ‘‘ हम उन सभी घटनाक्रम पर नजर रखते हैं जिनका राष्ट्रीय सुरक्षा पर प्रभाव पड़ सकता है और इसके अनुरूप कदम उठाते हैं. ’’ बागची से उन खबरों के बारे में पूछा गया जिसमें एक नये उपग्रह चित्र में भूटान के डोकलाम इलाके के पूर्व में चीनी गांव के निर्माण किये जाने की बात कही गई है. डोकालाम इलाके में भारत और चीन के बीच 73 दिनों तक गतिरोध रहा था जब चीन ने उस क्षेत्र में सड़क का विस्तार करने का प्रयास किया था, जिस पर भूटान ने अपना दावा जताया था . एनडीटीवी ने मंगलवार को एमएएक्सएआर द्वारा लिया गया चित्र जारी किया था .
सीमावर्ती इलाकों में शांति, स्थिरता चीन के साथ संबंधों में समग्र सुधार के लिए जरूरी
भारत ने बृहस्पतिवार को कहा कि वह पूर्वी लद्दाख में सभी लंबित मुद्दों के हल पर जोर देते हुए चीन के साथ वार्ता कर रहा है, जिसमें सैनिकों को पीछे हटाना, तनाव घटाना और संबंधों में समग्र सुधार के लिए सीमावर्ती इलाकों में कुछ हद तक स्थिरता लाना शामिल है.
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अंिरदम बागची ने कहा कि भारत द्विपक्षीय संबंधों में प्रगति के लिए सीमा पर शांति एवं स्थिरता बहाल करने की ‘‘क्रमिक’’ प्रकिया पर ध्यान दे रहा है.
मीडिया ब्रींिफग में सवालों का जवाब देते हुए उन्होंने यह टिप्पणी की. दरअसल, उनसे दोनों देशों के बीच संबंधों में सुधार आने की प्रक्रिया के तथाकथित गति पकड़ने के चीन के दावे के बारे में पूछा गया था. बागची ने कहा , ‘‘बेशक, हम यह कहना चाहते हैं कि यदि आप मुद्दों का हल कर सकते हैं, खासतौर पर सैनिकों को पीछे हटाने के मुद्दे का, तो यह पश्चिमी क्षेत्र में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर तनाव घटाने और शांति एवं स्थिरता बहाल करने में मदद करेगा. ’’
भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच दो वर्षों से अधिक समय से पूर्वी लद्दाख में टकराव वाले कई स्थानों पर गतिरोध बना हुआ है. दोनों पक्षों ने उच्च स्तरीय सैन्य वार्ताओं के परिणामस्वरूप क्षेत्र में कई इलाकों में सैनिकों को पीछे हटाने की प्रक्रिया पूरी की है. इस बीच, रविवार को 16वें दौर की सैन्य वार्ता लंबित मुद्दों का हल करने में नाकाम रही.
विदेश मंत्री एस जयशंकर और उनके चीनी समकक्ष वांग यी 28 और 29 जुलाई को उज्बेकिस्तान में शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के विदेश मंत्रियों की बैठक में शरीक होने वाले हैं. एससीओ बैठक से इतर दोनों मंत्रियों के एक बैठक होने की संभावना है. बागची ने कहा कि भारत लंबित मुद्दों के हल के लिए और दोनों पक्षों के सैनिकों को पीछे हटाये जाने को सुनिश्चित करने, तनाव घटाने तथा सीमावर्ती इलाकों में कुछ हद तक शांति एवं स्थिरता कायम करने के लिए राजनयिक और सैन्य वार्ता के जरिये चीनी पक्ष के साथ वार्ता कर रहा है. उन्होंने कहा, ‘‘यह समग्र संबंधों में सुधार लाने में मदद करेगा.’’
भारत, श्रीलंका के साथ खड़ा रहेगा : विदेश मंत्रालय
श्रीलंका में राजनीतिक एवं आर्थिक संकट गहराने के बीच भारत ने बृहस्पतिवार को कहा कि वह श्रीलंका की सहायता करने में सबसे आगे रहा है और पड़ोसी देश को मदद करना जारी रखेगा. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने संवाददाताओं से कहा कि भारत श्रीलंका के लोगों के साथ खड़ा रहेगा ताकि वे लोकतांत्रिक माध्यमों एवं मूल्यों तथा स्थापित संस्थाओं और संवैधानिक ढांचे के तहत समृद्धि, प्रगति की अपनी आकांक्षाएं पूरी कर सकें.
विदेश मंत्रालय का यह बयान ऐसे समय में आया है जब अनुभवी नेता रानिल विक्रमसिंघे ने बृहस्पतिवार को, गंभीर आर्थिक संकट का सामना कर रहे श्रीलंका के आठवें राष्ट्रपति के तौर पर शपथ ली. प्रधान न्यायाधीश जयंत जयसूर्या ने संसद भवन परिसर में 73 वर्षीय विक्रमसिंघे को राष्ट्रपति पद की शपथ दिलाई. उनके सामने देश को आर्थिक संकट से बाहर निकालने तथा महीनों से चल रहे व्यापक प्रदर्शनों के बाद कानून एवं व्यवस्था बहाल करने की चुनौती है.
गोटबाया राजपक्षे के देश छोड़कर चले जाने और बाद में राष्ट्रपति पद से इस्तीफा देने के बाद विक्रमसिंघे को कार्यवाहक राष्ट्रपति बनाया गया था.इस बीच, विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता बागची ने कहा कि हमने श्रीलंका को जरूरत के समय सबसे अधिक सहायता दी और हम श्रीलंका के लोगों के साथ खड़े रहेंगे. एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि वहां (श्रीलंका में) नये राष्ट्रपति बने हैं, अंतराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) से बात की जा रही है और हमें थोड़ा इंतजार करना चाहिए .
उन्होंने कहा कि हमने मदद पहुंचायी है, इसके कुछ हिस्से का उपयोग हुआ है और कुछ अभी शेष है. ज्ञात हो कि भारत में केंद्र सरकार ने श्रीलंका की स्थिति पर चर्चा के लिये मंगलवार को सर्वदलीय बैठक बुलाई थी . विदेश मंत्री एस जयशंकर ने सर्वदलीय बैठक में कहा था कि श्रीलंका ‘‘बहुत गंभीर संकट’’ का सामना कर रहा है और उससे वित्तीय विवेक, जिम्मेदार शासन और ‘‘ मुफ्त की संस्कृति’’ से दूर रहने का सबक लेना चाहिए. विदेश मंत्री ने बैठक के बाद कहा था, ‘‘ गेंद श्रीलंका और अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) के पाले में है और वे चर्चा कर रहे हैं. उन्हें समझौते पर पहुंचने की जरूरत है, तब हम (भारत) देखेंगे कि हम क्या सहायक भूमिका निभा सकते हैं.’’
भारत ने आतंकवाद का मुकाबला करने के लिए वैश्विक सहयोग मजबूत करने का आह्वान किया
भारत और दक्षिणपूर्व एशियाई राष्ट्र संघ (आसियान) ने आतंकवाद के सभी रूपों की कड़ी ंिनदा की और व्यापक तरीके से इस खतरे से निपटने के लिए वैश्विक सहयोग को मजबूत करने की आवश्यकता पर बल दिया. यह मुद्दा अंतरराष्ट्रीय अपराधों पर आसियान-भारत वरिष्ठ अधिकारियों की नौवीं बैठक (एसओएमटीसी) में प्रमुखता से उठाया गया. यह बैठक बुधवार को आॅनलाइन तरीके से हुई थी.
विदेश मंत्रालय (एमईए) ने कहा, ‘‘दोनों पक्षों ने आतंकवाद के सभी रूपों और गतिविधियों की कड़ी ंिनदा की और आतंकवाद तथा अंतरराष्ट्रीय अपराधों से निपटने के लिए व्यापक एवं निरंतर सहयोग को मजबूत करने की आवश्यकता पर बल दिया.’’ उसने कहा कि दोनों पक्षों ने अंतरराष्ट्रीय अपराधों से निपटने के लिए आसियान-भारत कार्य योजना के ढांचे के तहत आतंकवाद, अवैध मादक पदार्थों की तस्करी और साइबर अपराध से निपटने के लिए सहयोग बढ़ाने के तरीकों पर चर्चा की.
मंत्रालय ने एक बयान में कहा, ‘‘दोनों पक्षों के बीच संस्थागत संबंधों और क्षमता निर्माण कार्यक्रमों पर भी चर्चा हुई.’’ आसियान को इस क्षेत्र के सबसे प्रभावशाली समूहों में से एक माना जाता है. भारत ,अमेरिका, चीन, जापान और आॅस्ट्रेलिया सहित कई अन्य देश इसके संवाद भागीदार हैं. आसियान में इंडोनेशिया, थाईलैंड, वियतनाम, लाओस, ब्रुनेई, फिलीपीन, सिंगापुर, कंबोडिया, मलेशिया और म्यांमा शामिल हैं.