भारत की ‘राइटिंग विद फायर’ डॉक्यूमेंट्री फीचर ऑस्कर श्रेणी में ‘समर ऑफ सोल’ से चूकी

लॉस एंजिलिस. दलित महिलाओं द्वारा चलाए जा रहे एक समाचार पत्र के उदय का बखान करने वाली भारतीय डॉक्यूमेंट्री ‘राइंिटग विद फायर’ यहां 94वें आॅस्कर पुरस्कार समारोह में ‘समर आॅफ सोल (या व्हेन द रिवोल्यूशन कुड नॉट बी टेलीवाइज्ड)’ से सर्वश्रेष्ठ डॉक्यूमेंट्री फीचर श्रेणी में हार गई.

‘समर आॅफ सोल’ अहमिर थॉम्पसन द्वारा निर्देशित है, जिन्हें क्वेस्टलोव के नाम से जाना जाता है. फिल्म के लिए थॉम्पसन ने हार्लेम सांस्कृतिक महोत्सव के पहले, कभी न देखे गए अभिलेखीय फुटेज की व्यवस्था की जिसमें 1969 की र्गिमयों में 300,000 लोगों ने भाग लिया था. उन्होंने अफ्रीकी अमेरिकी संगीत और संस्कृति का जश्न दिखाया. अपनी भावनाओं पर काबू पाते हुए संगीतकार ने कहा कि समकालीन पॉप संस्कृति में अश्वेत सांस्कृतिक संस्थानों और अभिव्यक्तियों को अब भी अनदेखा किया जाता है.

सर्वश्रेष्ठ वृत्तचित्र फीचर श्रेणी में अन्य आॅस्कर नामांकितों में ‘असेंशन’, ‘अटिका’ और ‘फ्ली’ शामिल थे. दलित महिलाओं द्वारा संचालित भारत के एकमात्र समाचार पत्र ‘खबर लहरिया’ की शानदार कहानी के साथ नवोदित निर्देशक ंिरटू थॉमस और सुष्मित घोष द्वारा निर्देशित ‘राइंिटग विद फायर’ को आॅस्कर की दौड़ में छुपा रूस्तम माना जा रहा था. लेकिन पुरस्कार समारोह से ठीक एक हफ्ते पहले फिल्म उस वक्त विवादों में घिर गई जब अखबार संगठन ने एक लंबा बयान जारी कर कहा कि वृत्तचित्र में उनकी कहानी को ठीक से प्रस्तुत नहीं किया गया है.

पिछले सप्ताह ‘खबर लहरिया’ की संपादक कविता बुंदेलखंडी ने कहा था कि फिल्म ने अखबार को ‘गलत तरीके से’ चित्रित किया कि यह केवल ‘एक राजनीतिक दल’ के मुद्दों की रिपोर्टिंग पर केंद्रित है. बुंदेलखंडी ने राजनीतिक दल का नाम लिए बिना पीटीआई-भाषा से कहा, ‘‘डॉक्यूमेंट्री हमारे काम को गलत तरीके से चित्रित करती है क्योंकि यह हमारे काम का केवल एक हिस्सा दिखाती है. यह दिखाती है कि हमारा केवल एक राजनीतिक दल है.’’ उन्होंने कहा कि उन्हें गर्व है कि उनकी उपलब्धियों पर एक वृत्तचित्र बनाया गया, लेकिन काश इसका बेहतर चित्रण होता. उन्होंने कहा कि जीत या हार मायने नहीं रखती, आॅस्कर में अंतिम पांच में नामांकन भारत में वृत्तचित्र समुदाय के लिए एक बड़ी उपलब्धि है.

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