केजरीवाल को तिहाड़ जेल लाया गया, 24 घंटे सीसीटीवी निगरानी में रहेंगे: अधिकारी

पूछताछ के दौरान केजरीवाल ने गोलमोल जवाब दिए : ईडी

नयी दिल्ली. दिल्ली की एक अदालत द्वारा 15 अप्रैल तक न्यायिक हिरासत में भेजे जाने के बाद दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को सोमवार को तिहाड़ जेल लाया गया. अधिकारियों ने यह जानकारी दी. अधिकारियों ने कहा कि केजरीवाल अपनी कोठरी में चौबीस घंटे सीसीटीवी कैमरे की निगरानी में रहेंगे और वह टीवी देख सकते हैं और किताबें पढ़ सकते हैं.

उन्होंने कहा कि एशिया की सबसे बड़ी जेल में बंद होने वाले पहले मौजूदा मुख्यमंत्री केजरीवाल को जेल नंबर 2 में रखा गया है और अदालत के आदेश के अनुसार उन्हें घर का बना खाना दिया जाएगा. केजरीवाल को जो पुस्तकें प्रदान की जाएंगी उनमें हिंदू महाकाव्य रामायण और महाभारत और ‘हाऊ प्राइममिनिस्टर्स डिसाइड’ शामिल हैं. उन्हें एक धार्मिक लॉकेट पहनने की भी अनुमति होगी.

केजरीवाल ने छह लोगों की सूची दी है जिनसे वह नियमानुसार मिलना चाहेंगे. इस सूची में उनकी पत्नी सुनीता केजरीवाल, उनके बेटे और बेटी, उनके निजी सचिव बिभव कुमार और आम आदमी पार्टी (आप) महासचिव (संगठन) संदीप पाठक शामिल हैं. केजरीवाल को 21 मार्च को प्रवर्तन निदेशालय ने आबकारी नीति से जुड़े धनशोधन मामले में गिरफ्तार किया था और वह 10 दिनों तक उसकी हिरासत में रहे. प्रवर्तन निदेशालय की हिरासत खत्म होने के बाद उन्हें विशेष न्यायाधीश कावेरी बावेजा की अदालत में पेश किया गया. ईडी ने उनकी 15 दिन की न्यायिक हिरासत का अनुरोध करते हुए कहा कि उन्होंने “बिल्कुल भी सहयोग नहीं किया.” अदालत ने ईडी की याचिका मंजूर कर ली.

जेल के एक अधिकारी ने कहा, “उन्हें (केजरीवाल) तिहाड़ जेल लाया गया और उन्हें जेल नंबर 2 में रखा जाएगा. उनकी मेडिकल जांच की गई. बाद में उन्हें उस कोठरी में भेज दिया गया जहां वह अकेले रह रहे हैं.” अधिकारी ने कहा कि केजरीवाल का ‘शुगर लेवल’ थोड़ा कम है और जेल चिकित्सकों की सलाह पर उन्हें दवाएं दी गई हैं.

इससे पहले, केजरीवाल को दो बार गिरफ्तार किया गया था और तिहाड़ जेल भेजा गया था: पहली बार 2012 में अन्ना हजारे द्वारा चलाए गए भ्रष्टाचार रोधी आंदोलन के दौरान, जब उन्हें कई अन्य प्रदर्शनकारियों के साथ गिरफ्तार किया गया था और जेल नंबर 1 में रखा गया था; दूसरा 2014 में नितिन गडकरी द्वारा दायर मानहानि के मामले में जब उन्हें जेल नंबर 4 में रखा गया था. जेल नंबर 2 में दोषियों को रखा जाता है और वर्तमान में इस जेल में 600 दोषी और 50 विचाराधीन कैदी बंद हैं.

सूत्रों ने बताया कि अंडरवर्ल्ड डॉन छोटा राजन, नीरज बवाना जैसे गैंगस्टर भी किसी समय इस जेल के उच्च सुरक्षा वाले वार्ड में थे.
केजरीवाल की कोठरी में सीसीटीवी कैमरा लगा है और उन पर 24 घंटे नजर रखी जाएगी. जेल नियमावली के अनुसार, अन्य कैदियों की तरह उनकी कोठरी और वार्ड में एक टेलीविजन भी प्रदान किया गया है. तिहाड़ की जेल नंबर 2 में खाद्य उत्पादों और फर्नीचर की फै्ट्रिरयां और विनिर्माण इकाइयां भी हैं.

पिछले साल अक्टूबर में इसी मामले में गिरफ्तार किये गए आम आदमी पार्टी (आप) नेता संजय सिंह को पहले जेल नंबर 2 में रखा गया था, लेकिन हाल ही में उन्हें जेल नंबर 5 में स्थानांतरित कर दिया गया था. इसी मामले में जेल में बंद दिल्ली के पूर्व उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया जेल नंबर एक में बंद हैं, जबकि भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) नेता के. कविता महिला जेल की जेल नंबर 6 में हैं.

अधिकारियों ने बताया कि जेल के नियमों के मुताबिक, केजरीवाल को घर का बना खाना मुहैया कराया जाएगा, लेकिन उनके लिए चाय, खाना और टीवी देखने का समय अन्य कैदियों की तरह ही होगा. एक अधिकारी ने कहा कि किसी भी कैदी के लिए सुबह की शुरुआत 7 से 8 बजे के बीच चाय, बिस्कुट और नाश्ते के साथ से होती है. उन्होंने कहा कि दोपहर के भोजन में या तो चपाती या चावल के साथ दाल और एक सब्जी होती है. उन्होंने कहा कि वार्ड दोपहर 12 बजे से तीन बजे तक बंद रहते हैं. उन्होंने कहा कि शाम 4 बजे फिर चाय दी जाती है. अधिकारी ने कहा कि रात का खाना शाम 7 बजे तक परोसा जाता है जिसमें – दाल, चावल, चपाती और सब्जी होती है.

पूछताछ के दौरान केजरीवाल ने गोलमोल जवाब दिए : ईडी

प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने सोमवार को यहां की एक अदालत के समक्ष एक याचिका दायर करके दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की 15 दिनों की न्यायिक हिरासत का अनुरोध किया. केजरीवाल को कथित दिल्ली आबकारी नीति ‘घोटाला’ मामले में गिरफ्तार किया गया है.

ईडी ने कहा कि केजरीवाल एजेंसी को गुमराह कर रहे थे. ईडी ने कहा कि वह अब भी मुख्यमंत्री की भूमिका की जांच कर रही है, अपराध की आय का पता लगा रही है और अपराध की आय से संबंधित गतिविधियों में शामिल अन्य व्यक्तियों की पहचान कर रही है. विशेष न्यायाधीश कावेरी बावेजा ने केजरीवाल को 15 अप्रैल तक न्यायिक हिरासत में भेज दिया.

ईडी ने न्यायिक हिरासत के अनुरोध वाली अपनी याचिका में कहा कि हिरासत में पूछताछ के दौरान केजरीवाल सवालों के गोलमोल जवाब देते नजर आये और जानकारी छिपायी. उसने कहा कि नौ दिनों की अवधि में मुख्यमंत्री के बयान लिए गए और विभिन्न गवाहों, सरकारी गवाहों और अन्य सह-आरोपियों के बयानों से उनका सामना कराया गया.

याचिका में केजरीवाल द्वारा “सवालों के गोलमोल जवाब देने के कुछ उदाहरण” सूचीबद्ध किए गए. इसमें कहा गया, ”उन्होंने (केजरीवाल ने) कहा कि विजय नायर उन्हें नहीं बल्कि आतिशी मार्लेना और सौरभ भारद्वाज को रिपोर्ट करता था और नायर के साथ उनकी बातचीत सीमित थी.”

याचिका में कहा गया कि हालांकि, नायर के बयानों से पता चला है कि वह एक कैबिनेट मंत्री के बंगले में रहता था और मुख्यमंत्री के शिविर कार्यालय से काम करता था. इसमें कहा गया, ”गिरफ्तार व्यक्ति (केजरीवाल) को यह समझाने के लिए भी कहा गया था कि जो व्यक्ति आप के अन्य नेताओं को रिपोर्ट करता था, वह उनके शिविर कार्यालय से काम क्यों करेगा, जो दिल्ली के मुख्यमंत्री के काम के लिए है, न कि पार्टी के लिये. केजरीवाल ने यह दावा करते हुए जवाब टाल दिया कि मुख्यमंत्री शिविर कार्यालय में काम करने वाले व्यक्तियों के बारे में उन्हें जानकारी नहीं है.”

याचिका में रेखांकित किया गया कि नायर पार्टी में कोई छोटा-मोटा कार्यकर्ता नहीं, बल्कि मीडिया और संचार का प्रमुख था. इसमें कहा गया, ”गिरफ्तार व्यक्ति (केजरीवाल) ने दिखाये गए डिजिटल सबूतों की प्रामाणिकता पर सवाल उठाकर उनसे पूछे गए सवालों का जवाब नहीं दिया. गिरफ्तार व्यक्ति ने अपने डिजिटल उपकरणों के पासवर्ड भी नहीं बताए जो साक्ष्य संग्रह को बाधित करता है और उनके द्वारा सहयोग नहीं करने को भी दर्शाता है.” याचिका में कहा गया है कि केजरीवाल को शराब कारोबारियों, थोक विक्रेताओं, खुदरा विक्रेताओं और यहां तक कि दिनेश अरोड़ा और अभिषेक बोइनपल्ली जैसे बिचौलियों सहित शराब व्यवसाय में शामिल अन्य सह-आरोपियों के साथ नायर की 10 से अधिक बैठकों के सबूत दिखाए गए थे.

इसमें कहा गया है, ”गिरफ्तार व्यक्ति को यह समझाने के लिए कहा गया कि नायर किस अधिकार के साथ इन बैठकों में शामिल हुआ था, गिरफ्तार व्यक्ति ने इन व्यक्तियों के बारे में अनभिज्ञता का दावा करके सवाल टाल दिया और यह स्पष्ट है कि नायर जैसा वरिष्ठ पदाधिकारी जिसने गिरफ्तार व्यक्ति के साथ मिलकर काम किया है, वह पार्टी प्रमुख की मंजूरी और अनुमोदन के बिना खुद इस तरह से कार्य नहीं कर सकता.” हिरासत याचिका में कहा गया, “ऐसा इसलिए भी क्योंकि इन साजिशों या बैठकों का अंतिम लाभ आप को गोवा चुनाव प्रचार अभियान में मिला.” इसमें कहा गया है कि केजरीवाल को लगभग 45 करोड़ रुपये के हवाला हस्तांतरण के सबूत दिखाए गए थे, जिसकी पुष्टि सीडीआर लोकेशन, कॉल रिकॉर्ड, व्हाट्सऐप चैट, गोवा में हवाला फर्म के जब्त किए गए आंकड़े और किए गए भुगतान के सबूत से हुई थी.

याचिका में कहा गया है कि उन्हें उन गवाहों के कई बयान भी दिखाए गए, जिन्होंने गोवा में आप के प्रचार अभियान पर काम किया था और जिन्होंने गोवा में आप के प्रचार अभियान के लिए काम करने वाले चनप्रीत सिंह से नकद प्राप्त किया था. इसमें कहा गया, “उपरोक्त सभी सबूत दिखाने के बाद भी, गिरफ्तार व्यक्ति ने अनभिज्ञता का दावा किया, भले ही इन धनराशि की लाभार्थी आप है, जिसका नेतृत्व वह कर रहा है.” आवेदन में कहा गया है कि केजरीवाल ने ‘आप’ के अन्य सदस्यों के बारे में गलत और विरोधी सबूत मुहैया कराए.

इसमें कहा गया है कि आप के राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष एन.डी. गुप्ता ने कहा था कि पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक केजरीवाल ने राज्य चुनाव प्रभारी नियुक्त किया था, जो चुनाव प्रचार अभियानों से संबंधित सभी मामलों का प्रबंधन करता था. दुर्गेश पाठक को गोवा चुनाव के लिए ‘प्रभारी’ चुना गया था. याचिका में कहा गया है, हालांकि, केजरीवाल ने कहा कि वह राजनीतिक मामलों की समिति (पीएसी) है जिसने राज्य चुनाव प्रभारी का फैसला किया.

इसमें कहा गया, ”केजरीवाल पहले कहते हैं कि एन.डी. गुप्ता पार्टी के सक्रिय सदस्य हैं और पीएसी के सदस्य हैं और उन्हें पार्टी के कामकाज की जानकारी है, लेकिन जब उनका सामना गुप्ता के उस बयान से कराया गया कि ऐसे निर्णय राष्ट्रीय संयोजक लेते हैं, तो श्री अरविंद केजरीवाल ने राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष (गुप्ता) को भ्रमित कहा.” याचिका में इस आधार पर केजरीवाल की 15 दिन की न्यायिक हिरासत का अनुरोध किया गया था कि वह “अत्यधिक प्रभावशाली” हैं और यदि रिहा किया गया, तो इस बात की पूरी आशंका है कि मुख्यमंत्री गवाहों को प्रभावित करेंगे और सबूतों के साथ छेड़छाड़ करेंगे.

इसमें कहा गया, ”विभाग (ईडी) अब भी मामले में गिरफ्तार व्यक्ति की भूमिका की जांच कर रहा है और अपराध की आय का पता लगा रहा है और उन अन्य व्यक्तियों की पहचान कर रहा है जो अपराध की आय से संबंधित प्रक्रिया या गतिविधियों में शामिल हैं या जुड़े हुए हैं.” हिरासत का अनुरोध करने वाली याचिका में कहा गया है कि आर्थिक अपराधों की जांच सामान्य अपराधों की तुलना में अधिक जटिल है क्योंकि आर्थिक अपराधी साधन संपन्न और प्रभावशाली व्यक्ति हैं और उन्होंने उक्त अपराधों को सावधानीपूर्वक योजना बनाकर और सूक्ष्म तरीके से अंजाम दिया है. ईडी ने यह भी कहा कि केजरीवाल को आगे हिरासत लेने का एजेंसी का अधिकार सुरक्षित रखते हुए उन्हें न्यायिक हिरासत में भेजा जा सकता है ताकि आवश्यक होने पर एजेंसी अनुमेय अवधि के दौरान उन्हें कानून के अनुसार आगे हिरासत में ले सके.

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