कृष्ण जन्मभूमि-शाही ईदगाह मस्जिद विवाद: हिंदू पक्ष की याचिका पर एक दिसंबर को सुनवाई करेगा न्यायालय

नयी दिल्ली. उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को कहा कि वह कृष्ण जन्मभूमि-शाही ईदगाह मस्जिद विवाद में एक हिंदू पक्ष की याचिका पर एक दिसंबर को सुनवाई करेगा. इस पक्ष ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय के उस आदेश को चुनौती दी है, जिसमें एक अन्य मुकदमे में एक अन्य पक्ष को भगवान कृष्ण के सभी भक्तों का प्रतिनिधि माना गया है.

न्यायमूर्ति संजय कुमार और न्यायमूर्ति आलोक अराधे की पीठ ने कहा कि वह इस याचिका पर एक दिसंबर को सुनवाई करेगी, क्योंकि इस मुद्दे पर विस्तृत सुनवाई की आवश्यकता है. इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने मथुरा में विवादित स्थल से शाही ईदगाह मस्जिद को हटाने का अनुरोध करते हुए अलग मुकदमा दायर करने वाले एक अन्य हिंदू पक्ष को सभी भक्तों का प्रतिनिधि मानने की अनुमति दी थी.

पीड़ित हिंदू पक्ष की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता श्याम दीवान ने कहा कि विवाद से जुड़े सभी दीवानी मुकदमों को उच्च न्यायालय में स्थानांतरित किए जाने के बाद उनके मुकदमे को मुख्य मामला माना गया, लेकिन उच्च न्यायालय के आदेश में दूसरे पक्ष को सभी श्रद्धालुओं का प्रतिनिधि मानने में त्रुटि हुई.

उन्होंने कहा कि वह (उनके मुवक्किल) मुकदमा दायर करने वाले पहले व्यक्ति थे और उच्च न्यायालय द्वारा इस तरह के विवाद से जुड़े दीवानी मुकदमों में से एक में दूसरे पक्ष को आगे बढ.ाना अनुचित था. दीवान ने आगे कहा कि उच्च न्यायालय ने आदेश पारित कर दिया, जबकि उस पक्ष के आवेदन में ऐसी कोई प्रार्थना नहीं थी. शीर्ष अदालत ने सुनवाई एक दिसंबर तक के लिए टाल दी.

यह विवाद शाही ईदगाह मस्जिद से जुड़ा है, जिसके बारे में हिंदू पक्ष का दावा है कि मुगल बादशाह औरंगजेब ने मथुरा में भगवान कृष्ण के जन्मस्थान पर एक मंदिर को ध्वस्त कर इसका निर्माण कराया था. मथुरा की एक अदालत में दायर 20 से अधिक दीवानी मुकदमे उच्च न्यायालय में स्थानांतरित कर दिए गए हैं और उनके निर्णय लंबित हैं.

सर्वोच्च न्यायालय पहले से ही मस्जिद समिति द्वारा दायर एक याचिका पर विचार कर रहा है, जिसमें उच्च न्यायालय के 26 मई, 2023 के आदेश को चुनौती दी गई है. उच्च न्यायालय ने मथुरा की अदालत में लंबित विवाद से संबंधित सभी मामलों को अपने पास स्थानांतरित कर लिया था. हिंदू पक्ष ने उच्च न्यायालय से अनुरोध किया था कि वह मूल सुनवाई उसी तरह करे जैसे उसने बाबरी मस्जिद-राम जन्मभूमि मालिकाना हक विवाद में की थी.

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