
पटना/नयी दिल्ली. बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री एवं राष्ट्रीय जनता दल (राजद) सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव ने जाति आधारित गणना के मुद्दे पर सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) के खिलाफ कथित टिप्पणी की जिसे लेकर मंगलवार को भाजपा और राजद नेताओं के बीच वाकयुद्ध शुरू हो गया.
भाजपा की बिहार इकाई के नेताओं ने राजद सुप्रीमो की टिप्पणी पर पलटवार करते हुए कहा कि वह ‘गुंडों की तरह बात कर रहे हैं’.
इससे पहले दिन में जाति आधारित गणना के मुद्दे पर भाजपा नीत राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग)सरकार और आरएसएस पर सीधा हमला करते हुए लालू प्रसाद ने कहा था, ”इन आरआरएस/भाजपा वाला का कान पकड़, दंड बैठक करा इनसे जातिगत जनगणना कराएंगे. इनका क्या औक.ात है जो ये जातिगत जनगणना नहीं करायेंगे? इनको इतना मजबूर करेंगे कि इन्हें जातिगत जनगणना करना ही पड़ेगा.” सिंगापुर में नियमित जांच के बाद पटना लौटे लालू ने सोशल मीडिया मंच एक पर लिखा, ”दलित, पिछड़ा, आदिवासी और गरीब का एकता दिखाने का समय अब आ चुका है.”
लालू की टिप्पणी पर प्रतिक्रिया देते हुए बिहार के उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी ने संवाददाताओं से कहा, ”राजद गुंडों की तरह बात कर रहा है…उनकी भाषा मूल रूप से गुंडों की भाषा है. उन्हें ये सब बंद कर देना चाहिए…हमें धमकाने की कोशिश न करें… हम ऐसी चीजों से नहीं डरते…आने वाले विधानसभा चुनाव में जनता उन्हें और उनकी पार्टी को करारा जवाब देगी.” इसी तरह की राय व्यक्त करते हुए उपमुख्यमंत्री विजय कुमार सिन्हा ने संवाददाताओं से कहा, ”लालू प्रसाद खुद एक अभिशाप हैं…वे बिहार के लिए एक गाली हैं. लालू ने बिहार को क्या दिया है? उन्होंने राज्य की छवि खराब की है. हमने संकल्प लिया है कि बिहार को उन लोगों से मुक्त कराने के लिए अभियान चलाएंगे जिन्होंने बिहारी शब्द को गाली बना दिया है.”
भाजपा के वरिष्ठ नेता और पार्टी सांसद संजय जायसवाल ने कहा, ”लालू यादव झूठ बोल रहे हैं…बिहार में जातिगत सर्वेक्षण हुआ था और भाजपा ने इसका समर्थन किया था…लालू यादव ऐसा क्यों कर रहे हैं? कांग्रेस शासित राज्यों में जहां जातिगत सर्वेक्षण नहीं हुआ है, वहां सवाल नहीं उठाना चाहिए. दरअसल लालू यादव को पता ही नहीं है कि क्या बोलना है.” इस बीच, लालू प्रसाद के बयान का बचाव करते हुए राजद नेता तेजस्वी यादव ने संवाददाताओं से कहा, ”भाजपा और आरएसएस के लोग आरक्षण के पूरी तरह खिलाफ हैं. यही कारण है कि वे देश में जातिगत जनगणना नहीं चाहते हैं. लालू जी ने जो भी कहा है, वह बिल्कुल सही है.”
क्या प्रधानमंत्री कांग्रेस की एक और गारंटी को ‘हाईजैक’ कर जातिगत जनगणना कराएंगे: रमेश
जातिगत जनगणना पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की टिप्पणी के एक दिन बाद कांग्रेस ने मंगलवार को सवाल किया कि चूंकि संघ ने ”हरी झंडी” दे दी है, तो क्या प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी कांग्रेस की एक और गारंटी को ‘हाईजैक’ कर अब जातिगत जनगणना कराएंगे ? आरएसएस ने सोमवार को कहा था कि उसे विशेष समुदायों या जातियों के आंकड़े एकत्र करने पर कोई आपत्ति नहीं है, बशर्ते इस जानकारी का उपयोग उनके कल्याण के लिए हो, ना कि चुनावी लाभ के लिए राजनीतिक औजार के रूप में इसका इस्तेमाल किया जाए.
कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने संघ की टिप्पणियों पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि जातिगत जनगणना को लेकर आरएसएस की उपदेशात्मक बातों से कुछ बुनियादी सवाल उठते हैं, जैसे कि क्या उसके पास जातिगत जनगणना पर निषेधाधिकार है? उन्होंने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर लिखा, ”जाति जनगणना के लिए इजाजत देने वाला आरएसएस कौन है? आरएसएस जब यह कहता है कि चुनाव प्रचार के लिए जाति जनगणना का दुरुपयोग नहीं किया जाना चाहिए तो इससे उसका क्या मतलब है? क्या यह न्यायाधीश या अंपायर बनना है?”
उन्होंने सवाल किया कि आरएसएस ने दलितों, आदिवासियों और ओबीसी (अन्य पिछड़ा वर्ग) के लिए आरक्षण पर 50 प्रतिशत की सीमा को हटाने के लिए संवैधानिक संशोधन की आवश्यकता पर रहस्यमयी चुप्पी क्यों साध रखी है. रमेश ने कहा, ”अब जब आरएसएस ने हरी झंडी दिखा दी है तब क्या ‘नॉन-बायोलॉजिकल’ प्रधानमंत्री कांग्रेस की एक और गारंटी को ‘हाईजैक’ करेंगे और जाति जनगणना कराएंगे?” कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने सोमवार रात कहा था कि आरएसएस को देश को स्पष्ट रूप से बताना चाहिए कि वह जाति जनगणना के पक्ष में हैं या इसके खिलाफ है.
खरगे ने कहा, ”देश के संविधान के बजाय मनुस्मृति के पक्ष में होने वाले संघ परिवार को क्या दलित, आदिवासी, पिछड़े वर्ग एवं गरीब-वंचित समाज की भागीदारी की चिंता है या नहीं?” आरएसएस के अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख सुनील आंबेकर ने केरल के पलकक्ड में आयोजित तीन दिवसीय समन्वय बैठक के बाद यहां मीडिया को संबोधित करते हुए कहा था कि जाति और जाति-संबंध हिंदू समाज के लिए एक ”बहुत संवेदनशील मुद्दा” है और यह ”हमारी राष्ट्रीय एकता और अखंडता” के लिए भी अहम है. उन्होंने जातिगत जनगणना के संबंध में एक सवाल का जवाब देते हुए यह टिप्पणी की.