‘महागठबंधन’ समन्वय समिति का कर सकता है गठन ताकि राजग जैसा न हो हाल

पटना: जनता दल यूनाइटेड (जद-यू) द्वारा भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नीत राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) में रहने के दौरान जिस समन्वय समिति के गठन के लिए लगातार दबाव बनाया जा रहा था, अब उसी तरह की समिति ‘महागठबंधन’ के सुचारू रूप से काम करने के लिए बनाई जा सकती है। नीतीश कुमार के साथ आने के बाद ‘महागठबंधन’ अब बिहार में सत्ता में है।

इसके संकेत शुक्रवार शाम को तब मिले जब महागठबंधन के चौथे सबसे बड़े घटक भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी लेनिनवादी) के विधायक ने मुख्यमंत्री को उनके आवास पर जदयू का वास्तविक नेता करार दिया। भाकपा (माले) के विधायक संदीप सौरव ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘‘मुख्यमंत्री समन्वय समिति के पुरजोर तरीके से पक्ष में हैं और हम भी ऐसा ही महसूस करते हैं। गठबंधन के किसी घटक को इस पर आपत्ति नहीं है। इसलिए, इसका गठन उचित समय पर होगा।’’ गौरतलब है कि महागठबंधन में सात पार्टियां हैं, जिनमें जद (यू), राष्ट्रीय जनता दल (राजद), कांग्रेस, भाकपा (माले), भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा), मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) और ंिहदुस्तान अवाम मोर्चा (हम) शामिल हैं। 243 सदस्यीय विधानसभा में महागठबंधन के 160 सदस्य से अधिक है।

भाकपा (माले) महा सचिव दीपांकर भट्टाचार्य ने भी समन्वय समिति की मांग की। उल्लेखनीय है कि जदयू और भाजपा में तनावपूर्ण रिश्ते चल रहे थे, तब कई नेताओं ने समन्वय समिति के गठन पर जोर दिया था जो पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के समय बनी थी और जिसके संयोजक जॉर्ज फर्नांडिस थे।
जदयू नेताओं का मानना है कि इस तरह की समिति नहीं होने की वजह से घटकों के पास एक दूसरे के प्रति अपना विरोधी मत रखने के लिए कोई मंच नहीं था, जिसकी वजह से नेता मीडिया के सामने जाते थे और दलों के रिश्तों में खटास आती थी।

हालांकि, लोकसभा में भारी बहुमत के साथ भाजपा की स्थिति मजबूत दिख रही है, लेकिन राजग की हालत खस्ता है क्योंकि तेलुगू देशम पार्टी (तेदेपा), शिवसेना और शिरोमणि अकाली दल सहित उसके अधिकांश प्रमुख घटक अब गठबंधन से बाहर हो गए हैं। बिहार तक सीमित महागठबंधन में इस तरह की समिति की जरूरत और मजबूती से महसूस की जा रही है क्योंकि इससे अन्य राज्यों में भी व्यापक गठबंधन की अपील की जा सकती है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भाजपा के प्रभुत्व को तोड़ने के लिए संयुक्त विपक्ष के साथ काम करने की मंशा जताई है।

नीतीश कुमार के करीबी सूत्रों ने बताया कि मुख्यमंत्री अगले सप्ताह दिल्ली का दौरा कर सकते हैं। यह दौरा मंत्रिमंडल विस्तार के कुछ समय बाद ही होगा। उन्होंने बताया कि राष्ट्रीय राजधानी में वह कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी सहित शीर्ष विपक्षी नेताओं से मुलाकात कर सकते हैं। इस बीच, सौरव ने कहा कि भाकपा (माले) की राज्य समिति की बैठक शनिवार को होगी जिसमें पार्टी महासचिव दीपांकर भट्टाचार्य सहित अन्य पार्टी नेता शामिल होंगे।

भट्टाचार्य ने इस सप्ताह की शुरुआत में संकेत दिया था कि उनकी पार्टी संभवत: नयी सरकार में शामिल नहीं होगी और बाहर से समर्थन देने को तरजीह देगी। हालांकि, उन्होंने ‘‘न्यूनतम साझा कार्यक्रम’’ पर जोर दिया। नीतीश कुमार द्वारा 10 अगस्त को महागठबंधन की ओर से मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के बाद भट्टाचार्य ने कहा, ‘‘हम समन्वय समिति और निगरानी प्रणाली के साथ-साथ न्यूनतम साझा कार्यक्रम का प्रस्ताव करेंगे।’’ सौरव ने कहा कि भट्टाचार्य भाजपा विरोधी मोर्चा बनाने के विषय और कार्ययोजना पर चर्चा के लिए मुख्यमंत्री से मिल सकते हैं। गौरतलब है कि भाकपा (माले) के 12 विधायकों के साथ-साथ माकपा व भाकपा के दो-दो विधायकों ने भी सरकार को बाहर से समर्थन देने का फैसला किया है।

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