Modi Austria Visit: 41 साल बाद किसी भारतीय प्रधानमंत्री का होगा वियना दौरा, इसलिए SCO में नहीं जाएंगे PM मोदी

कूटनीति के लिहाज से जुलाई का दूसरा हफ्ता बेहद अहम रहने वाला है। इस दौरान 3 और 4 जुलाई को अस्ताना में शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) की बैठक होगी। वहीं 8 से 10 जुलाई तक देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दो देशों की यात्रा पर होंगे। इस दौरान वे रूस और ऑस्ट्रिया की यात्रा करेंगे। प्रधानमंत्री के रूप में लगातार तीसरी बार कार्यभार संभालने के बाद यह उनकी पहली द्विपक्षीय यात्रा होगी। खास बात यह होगी कि 1983 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के बाद वियना जाने वाले नरेंद्र मोदी ऐसे दूसरे प्रधानमंत्री होंगे।

द्विपक्षीय संबंधों की 60वीं सालगिरह
विदश मंत्रालय के सूत्रों का कहना है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अगले महीने रूस में व्लादिमीर पुतिन के साथ द्विपक्षीय वार्ता के बाद वियना के लिए रवाना होंगे। 41 साल से अधिक समय में मध्य यूरोपीय राष्ट्र ऑस्ट्रिया की यात्रा करने वाले नरेंद्र मोदी ऐसे दूसरे प्रधानमंत्री होंगे। इससे पहले 1983 में इंदिरा गांधी ने आस्ट्रिया, वियना का दौरा किया था। इस यात्रा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ विदेश मंत्री जयशंकर भी शामिल होंगे। ऑस्ट्रिया में भारत के राजदूत शंभू कुमारन के मुताबिक भारत और आस्ट्रिया दोनों देश वर्तमान में द्विपक्षीय संबंधों की स्थापना का 60वीं सालगिरह मना रहे हैं। इस यात्रा से दोनों देशों के बीच स्टार्टअप और हाई-टेक क्षेत्रों में द्विपक्षीय संबंध मजबूत होंगे।

23 साल बाद विदेश मंत्री जयशंकर गए थे ऑस्ट्रिया
इस साल की शुरुआत में जब विदेश मंत्री एस जयशंकर ऑस्ट्रिया गए थे, तो यह 23 साल में किसी भारतीय विदेश मंत्री की मध्य यूरोपीय राष्ट्र की पहली यात्रा थी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 10 जुलाई को वियना की एक दिवसीय यात्रा पर रवाना होंगे। 8-9 जुलाई को रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ शिखर सम्मेलन के बाद प्रधानमंत्री मोदी ऑस्ट्रियाई चांसलर कार्ल नेहमर से मिलेंगे। इस दौरान दोनों देशों में टेक्नोलॉजी, एनर्जी, इलेक्ट्रॉनिक्स, मोबिलिटी और टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में साझेदारी, द्विपक्षीय व्यापार और निवेश बढ़ाने को लेकर चर्चा होगी। साथ ही, पहले से बेंगलुरु में मौजूद भारत-ऑस्ट्रिया स्टार्टअप ब्रिज को मजबूत करने की संभावनाओं पर विचार किया जाएगा। ऑस्ट्रिया में वर्तमान में 35 भारतीय टेक्नोलॉजी फर्म हैं। इस दौरान ऑटो सेक्टर में मजबूत संबंध बनाने का भी प्रयास किया जाएगा।

नाटो का सदस्य नहीं है ऑस्ट्रिया
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की वियना यात्रा को भारत के अल्पाइन आउटरीच प्रोग्राम के तौर पर देखा जा रहा है। वहीं, मॉस्को यात्रा के बाद वियना के दौरे को किसी भी अंतरराष्ट्रीय संगठन से अलग माना जा रहा है। क्योंकि ऑस्ट्रिया तटस्थ हैं और मध्य यूरोप में शामिल होने के बाद भी वह अमेरिका के नेतृत्व वाले उत्तरी अटलांटिक संधि संगठन नाटो का सदस्य नहीं है और यूक्रेन संघर्ष के दौरान उसने मास्को के साथ अपने आर्थिक संबंध बनाए रखे हैं। हालांकि, यूक्रेन संघर्ष के बाद उसने रूस की निंदा की थी और एलान किया था कि वियना दोनों देशों के बीत दुश्मनी को खत्म करने और राजनीतिक शांति प्रक्रिया शुरू करने के प्रयासों का समर्थन करना जारी रखेगा। यूरोपीय संघ का यह देश भारत के स्टार्टअप, उच्च तकनीक और शिक्षा क्षेत्र में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

एससीओ बैठक में मोदी की जगह जयशंकर लेंगे हिस्सा
इससे पहले 3 और 4 जुलाई को अस्ताना में शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) की बैठक होगी। इस बैठक में पीएम मोदी की बजाय विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर हिस्सा लेंगे। माना जा रहा है कि प्रधानमंत्री मोदी ने रूस और ऑस्ट्रिया की अपनी दो देशों की यात्रा के चलते एससीओ शिखर सम्मेलन में भाग न लेने का फैसला किया है। एससीओ शिखर सम्मेलन में अफगानिस्तान के हालात, यूक्रेन संघर्ष और एससीओ सदस्य देशों के बीच समग्र सुरक्षा सहयोग को बढ़ावा देने पर चर्चा होने की उम्मीद है। भारत पिछले साल एससीओ का अध्यक्ष था। भारत ने पिछले साल जुलाई में वर्चुअली एससीओ शिखर सम्मेलन की मेजबानी की थी। भारत का एससीओ के साथ जुड़ाव 2005 में एक ऑब्जर्वर देश के तौर पर शुरू हुआ था। वहीं, 2017 में अस्ताना शिखर सम्मेलन में भारत एससीओ का पूर्ण सदस्य बना। 2017 में पाकिस्तान को भी इसकी स्थायी सदस्यता दी गई थी। फिलहाल भारत, चीन, रूस, पाकिस्तान, कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, ताजिकिस्तान और उजबेकिस्तान एससीओ के सदस्य देश हैं।

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