
मुंबई. मुंबई में जालसाजों ने खुद को केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) का अधिकारी बताकर 72 वर्षीय एक व्यवसायी को ‘डिजिटल अरेस्ट’ का शिकार बनाया तथा उनसे कथित तौर पर 58 करोड़ रुपये ठग लिए. एक पुलिस अधिकारी ने बृहस्पतिवार को यह जानकारी दी.
अधिकारी ने बताया कि 58 करोड़ रुपये की यह ठगी ‘डिजिटल अरेस्ट’ से जुड़े मामले में किसी व्यक्ति से की गई सबसे बड़ी ठगी में से एक हो सकती है. उन्होंने बताया कि मामले की जांच कर रहे महाराष्ट्र साइबर विभाग ने तीन लोगों को गिरफ्तार किया है. ‘डिजिटल अरेस्ट’ तेजी से बढ़ता साइबर अपराध है, जिसमें जालसाज खुद को कानून प्रवर्तन अधिकारी या सरकारी एजेंसियों का कर्मचारी बताते हैं और ऑडियो/वीडियो कॉल के जरिये पीड़ितों को ऑनलाइन बंधक बनाकर तथा डरा-धमकाकर पैसे देने का दबाव बनाते हैं.
एक अधिकारी ने बताया कि मौजूदा मामले में जालसाजों ने ईडी और सीबीआई र्किमयों के रूप में 19 अगस्त से आठ अक्टूबर के बीच व्यवसायी से संपर्क किया और दावा किया कि उनका नाम धन शोधन एक मामले में सामने आया है. अधिकारी के मुताबिक, जालसाजों ने व्यवसायी और उनकी पत्नी को वीडियो कॉल के जरिये ‘डिजिटल अरेस्ट’ कर डराया-धमकाया तथा अपने बताए बैंक खातों में पैसा जमा करने को कहा.
अधिकारी के अनुसार, पीड़ित व्यवसायी ने लगभग दो महीने के भीतर आरटीजीएस के माध्यम से कई बैंक खातों में 58 करोड़ रुपये अंतरित किए. उन्होंने बताया कि व्यवसायी को जब एहसास हुआ कि उनके साथ धोखाधड़ी हुई है, तो उन्होंने साइबर पुलिस से शिकायत की.
अधिकारी ने बताया कि साइबर विभाग ने घटना के सिलसिले में पिछले हफ्ते भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) और सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) अधिनियम के प्रासंगिक प्रावधानों के तहत मामला दर्ज किया. उन्होंने बताया कि जांच के दौरान पुलिस ने वित्तीय लेनदेन का विश्लेषण किया और पाया कि पैसा कम से कम 18 बैंक खातों में अंतरित किया गया था.
अधिकारी के मुताबिक, साइबर पुलिस ने तुरंत बैंक से संपर्क कर संबंधित खातों में अंतरित की गई राशि को ‘फ्रीज’ करने का अनुरोध किया. उन्होंने बताया कि पुलिस ने धोखाधड़ी में शामिल तीन लोगों को गिरफ्तार कर लिया है, जिनकी पहचान मलाड निवासी अब्दुल खुल्ली (47) और मुंबई सेंट्रल निवासी अर्जुन कड़वासरा (55) तथा जेठाराम (35) के रूप में हुई है.



