बांग्लादेश में 2024 के प्रदर्शनों में शामिल रहे व्यक्ति का नाम पश्चिम बंगाल की मतदाता सूची में मिला

कोलकाता: बांग्लादेश में अगस्त 2024 में हुए छात्र प्रदर्शन में कथित रूप से शामिल रहे एक व्यक्ति का नाम पश्चिम बंगाल में मतदाता के रूप में पाये जाने के बाद, राज्य में कथित अवैध घुसपैठ और मतदाता सूची में गड़बड़ी को लेकर भाजपा-तृणमूल कांग्रेस के बीच आरोप-प्रत्यारोप शुरू हो गया है।

बांग्लादेश में 2024 के विरोध प्रदर्शन में भाग लेने वाले न्यूटन दास नामक व्यक्ति की कई तस्वीरें आॅनलाइन सामने आई हैं। विरोध प्रदर्शनों ने पड़ोसी देश में शासन परिवर्तन और प्रधानमंत्री शेख हसीना को पद से हटाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।

विवाद के बावजूद, दास ने भारतीय नागरिकता होने का दावा किया है और अपने दावे के समर्थन में पैन कार्ड और आधार कार्ड सहित अन्य दस्तावेज प्रस्तुत किए हैं। हालांकि, पीटीआई-भाषा तस्वीरों और वीडियो की प्रामाणिकता की पुष्टि नहीं कर सकी है।

दास ने एक वीडियो संदेश में कहा, ‘‘मैं अपनी पैतृक संपत्ति से संबंधित कुछ समस्याओं के कारण 2024 में बांग्लादेश गया था, लेकिन मैं अप्रत्याशित रूप से वहां प्रदर्शन में फंस गया। मैं 2014 से काकद्वीप में मतदाता हूं। हालांकि, 2017 में मेरा वोटर कार्ड खो गया था, लेकिन मैं स्थानीय विधायक मंटूराम पाखीरा की मदद से इसके अगले साल एक नया कार्ड बनवाने में कामयाब रहा। मैंने 2016 के पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनावों के दौरान भी अपना वोट डाला था।’’

हालांकि, उसने यह स्पष्ट नहीं किया कि वह भारत में रहता है या बांग्लादेश में। विरोधाभासी विवरण में, दास के करीबी रिश्तेदार तपन ने काकद्वीप में संवाददाताओं को बताया कि न्यूटन ‘‘का जन्म बांग्लादेश में हुआ था और वह दोनों देशों में मताधिकार का प्रयोग करता है।’’

तपन दास ने कहा, ‘‘न्यूटन का जन्म बांग्लादेश में हुआ था और दोनों देशों में उसके पास मतदान का अधिकार है। महामारी के बाद वह अपनी कुछ पुश्तैनी जमीन बेचने के लिए भारत आया और तब से यहीं रह रहा है।’’ भाजपा ने इस विवाद के मद्देनजर, तृणमूल कांग्रेस पर चुनावी नतीजों में हेरफेर करने के लिए घुसपैठियों को बढ़ावा देने का आरोप लगाया है।

भाजपा की पश्चिम बंगाल इकाई के अध्यक्ष सुकांत मजूमदार ने एक सोशल मीडिया पोस्ट में इस ताजा घटना को ‘‘तथाकथित ईगिये बांग्ला मॉडल’’ का एक और उदाहरण बताया। उन्होंने कहा, ‘‘यह तथाकथित ‘ईगिये बांग्ला मॉडल’ का एक और ज्वलंत उदाहरण है। बांग्लादेश में छात्रों के विरोध प्रदर्शन के दौरान डंडा पकड़े देखा गया व्यक्ति अब काकद्वीप में मतदाता है। तृणमूल और मुख्यमंत्री ममता बनर्जी इस अवैध घुसपैठ नेटवर्क को बढ़ावा दे रही हैं।’’

विधानसभा में विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी ने आरोप लगाया कि ‘‘पश्चिम बंगाल में लाखों बांग्लादेशी नागरिक मतदाता के रूप में पंजीकृत हैं। ऐसे लाखों बांग्लादेशी नागरिक हैं जो पश्चिम बंगाल में मतदाता सूची में अपना नाम दर्ज करा चुके हैं। अंसारुल्ला बांग्ला टीम के संदिग्ध सदस्य साद शेख का मामला ही लें, जिसका नाम मुर्शिदाबाद मतदाता सूची में था।’’

वहीं,तृणमूल ने आरोपों को खारिज करते हुए केंद्र और सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) पर दोष मढ़ दिया, जो भारत-बांग्लादेश सीमा की सुरक्षा करता है। पार्टी प्रवक्ता कुणाल घोष ने कहा, ‘‘केंद्र और बीएसएफ सीमाओं की सुरक्षा के लिए जिम्मेदार हैं। राज्य में, हमारी सरकार अपना काम करेगी, लेकिन सुरक्षा सुनिश्चित करना केंद्र सरकार का काम है।’’

तृणमूल के सुंदरबन संगठन जिला छात्र इकाई के अध्यक्ष देबाशीष दास ने न्यूटन दास के साथ अपने संबंधों को स्पष्ट किया, जो जन्मदिन पार्टी की एक वायरल तस्वीर में उसके साथ केक काटते हुए दिखे थे। उन्होंने कहा, ‘‘मुझे नहीं पता था कि वह बांग्लादेश में विरोध प्रदर्शनों में शामिल था। यह तस्वीर एक जन्मदिन समारोह में ली गई थी, जिसमें कई लोग मौजूद थे।

सीमा सुरक्षा को मजबूत करना ही ऐसी घटनाओं को रोकने का एकमात्र तरीका है। मैं अधिकारियों से जांच करने और कार्रवाई करने का आग्रह करता हूं।’’ राजनीतिक दलों के बीच आरोप-प्रत्यारोप का सिलसिला जारी रहने के बीच, अगले वर्ष होने वाले विधानसभा चुनावों से पहले मतदाता सूची में गड़बड़ी तथा अवैध घुसपैठ की गहन जांच की मांग तेज हो गई है।

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