माउंटबेटन को खुश रखने के लिए नेहरू सरकार ने POK को वापस नहीं लिया : वी के सिंह का आरोप

मुंबई. केंद्रीय मंत्री जनरल (सेवानिवृत्त) वी के सिंह ने शुक्रवार को आरोप लगाया कि जवाहरलाल नेहरू सरकार ने लार्ड माउंटबेटन को खुश रखने के लिए 1948 के युद्ध में पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) को हासिल नहीं किया. मुंबई आतंकी हमले की बरसी से एक दिन पहले एक कार्यक्रम में सिंह ने यह भी दावा किया कि हमले के षडयंत्रकारियों द्वारा उपयोग किए गए कुछ फोन नंबर पहले ही ‘आईबी’को दिए जा चुके थे और हमले पर भारत बेहतर तरीके से जवाब दे सकता था.

पूर्व थल सेनाध्यक्ष सिंह ने कहा कि देश के रक्षा बलों में पीओके को वापस लेने की क्षमता है और आदेश मिलते ही वे यह कार्य कर सकते हैं. उन्होंने दावा किया, “हम 1948 में ही पीओके को हासिल कर कर सकते थे, लेकिन उस समय की सरकार ने कहा, अभी नहीं, हमारे माउंटबेटन अप्रसन्न हो जाएंगे, और रुक गई.” लॉर्ड माउंटबेटन उस समय स्वतंत्र भारत के गवर्नर जनरल थे.

सिंह ने कहा, “अगर हमें आज मौका मिले,तो हमारी सेनाएं तैयार हैं. सैन्य दृष्टिकोण से, इस पर चर्चा करने की या जोर देने की कोई आवश्यकता नहीं है. मुझे लगता है, आप जो भी करना चाहते हैं, उसे अपने दिमाग में रखें और जब भी आपको आदेश मिले, आप कर दें. इस पर चर्चा करने की कोई जरूरत नहीं है.’’ मुंबई आतंकी हमले की 14वीं बरसी पर दक्षिणपंथी पत्रिका पांचजन्य द्वारा ’26/11 मुंबई संकल्प’ नामक कार्यक्रम आयोजित किया गया था.

सिंह ने कहा कि विगत में, जब भारत ने बातचीत की पहल की तो पाकिस्तान को लगा कि वह आतंकवाद के कारण डरा हुआ है.
उन्होंने कहा कि पाकिस्तान के आम लोग, उसकी सरकार और उसके सशस्त्र बल अलग-अलग स्वर में बोलते हैं और “यह एक बदलाव है जिसे हम देख रहे हैं.” केंद्रीय मंत्री सिंह ने कहा कि जब 26 नवंबर, 2008 को मुंबई में आतंकी हमला हुआ था, वह कोलकाता में पूर्वी कमान में तैनात थे.

उन्होंने कहा, “कोलकाता में पोसिं्टग के दौरान, हमें खबर मिली कि एक व्यक्ति, जिसे हम जानते थे, कुछ सिम कार्ड खरीदने के लिए कोलकाता आया था. हमने पूछताछ की और उन 10-12 नंबरों की जानकारी खुफिया ब्यूरो (आईबी) को दी….’’ उन्होंने कहा, “आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि उनमें से चार नंबर 26/11 के आतंकी हमले के दौरान इस्तेमाल किए गए थे. अगर आपको 10-12 नंबर मिले थे और किसी ने आपको कहा कि उनका दुरुपयोग किया जा सकता है, अगर आपने उन नंबरों पर नजर रखी होती, तब मेरे विचार से, आप उन्हें पकड़ सकते थे क्योंकि वे मोबाइल नंबर चालू थे. इसका मतलब है कि कुछ कमियां थीं (उपलब्ध खुफिया जानकारी का उपयोग करने में).’’

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