शिवसेना से तीर-धनुष चुनाव चिह्न कोई नहीं ले सकता : उद्धव

मुंबई. चुनाव चिह्न पर दावे को लेकर महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे नीत विद्रोही धड़े के साथ गतिरोध के बीच शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने शुक्रवार को कहा कि उनकी पार्टी का चुनाव चिह्न तीर-धनुष कोई नहीं ले सकता. ठाकरे ने उपनगरीय बांद्रा में अपने आवास मातोश्री में संवाददाताओं को संबोधित करते हुए पार्टी के बागियों और भारतीय जनता पार्टी को महाराष्ट्र में मध्यावधि चुनाव का सामना करने की चुनौती दी.

ठाकरे ने महाराष्ट्र में मध्यावधि चुनाव की मांग करते हुए कहा कि उनके नेतृत्व वाली महा विकास आघाडी (एमवीए) सरकार को गिराने को लेकर लोगों को अपना रुख स्पष्ट करने का मौका दिया जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि अगर चुनाव में लोग उनकी पार्टी का समर्थन नहीं करते, तो वह इसे स्वीकार कर लेंगे.

उन्होंने कहा, “मध्यावधि चुनाव होने चाहिए. अगर हमने कोई गलती की है तो लोग हमारा समर्थन नहीं करेंगे और यह हमें स्वीकार्य होगा.” ठाकरे ने कहा कि 11 जुलाई को उच्चतम न्यायालय का आने वाला फैसला न केवल शिवसेना का भविष्य बल्कि भारतीय लोकतंत्र का भविष्य भी तय करेगा. सर्वोच्च अदालत उस दिन शिवसेना के 16 बागी विधायकों को अयोग्य ठहराने के अनुरोध वाली याचिका पर अपना फैसला सुना सकती है.

विद्रोही नेताओं के खिलाफ कठोर रुख अपनाते हुए ठाकरे ने सवाल किया कि वे लोग मातोश्री और ठाकरे परिवार से प्रेम होने का दावा कैसे कर सकते हैं, अगर असंतुष्ट नेता उन लोगों के साथ गठबंधन करते हैं, जिन्होंने उनकी और उनके परिवार की तीखी आलोचना की है और यहां तक ??कि ‘‘उनके पुत्रों के जीवन को बर्बाद करने’’ का प्रयास किया.

ठाकरे ने कहा, ‘‘कानून के अनुसार कोई भी शिवसेना से धनुष-बाण का चुनाव चिह्न नहीं छीन सकता. मैं संवैधानिक विशेषज्ञों से बातचीत करने के बाद यह कह रहा हूं.’’ शिवसेना के बागी विधायक गुलाबराव पाटिल ने बुधवार को कहा था कि शिंदे नीत धड़ा पार्टी के तीर-धनुष चुनाव चिह्न का असली दावेदार है. ठाकरे ने अपनी पार्टी के कार्यकर्ताओं की ंिचताओं को दूर करने का प्रयास करते हुए कहा कि लोग वोट देते समय सिर्फ पार्टी के चुनाव चिह्न को ही नहीं देखते हैं, बल्कि वे यह भी देखते हैं कि उम्मीदवार शिवसेना का है या नहीं.

उन्होंने कहा कि राजनीतिक दल और विधायक दल के रूप में शिवसेना की दो अलग-अलग पहचान हैं और अगर सिर्फ एक, 50 या 100 विधायक भी पार्टी छोड़ देते हैं, तो इसका अस्तित्व समाप्त नहीं हो जाता है. ठाकरे ने कहा, “भ्रम पैदा किया जा रहा है. विधायक दल और पंजीकृत दल दो अलग-अलग इकाई हैं. पार्टी कार्यकर्ताओं को कोई भी अपने साथ नहीं ले जा सकता है.” पिछले दिनों, शिवसेना नेता संजय राउत ने दावा किया था कि यदि राज्य में मध्यावधि चुनाव होते हैं तो 100 से अधिक सीट पर उनकी पार्टी की जीत होगी.

ठाकरे ने शिवसेना के बागी समूह पर उस समय चुप्पी साधे रहने के लिए हमला बोला, जब भाजपा ने उन्हें और उनके परिवार को पिछले ढाई साल में निशाना बनाया और ‘बदजुबानी’ की. शिंदे का नाम लिए बिना उन्होंने कहा, “आप उनके संपर्क में रहते हैं और अपनी ही पार्टी को इस तरह धोखा देते हैं.” उन्होंने कहा कि राज्य में सत्ता परिवर्तन 2019 में ही गरिमामय तरीके से हो सकता था, न कि “विश्वासघात” के साथ, जैसा पिछले सप्ताह किया गया.

वह 2019 के विधानसभा चुनाव परिणामों के बाद बारी-बारी से मुख्यमंत्री बनने के मुद्दे पर शिवसेना और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के अलग होने का जिक्र कर रहे थे. ठाकरे ने कहा, “मुझे न्यायपालिका पर भरोसा है. उच्चतम न्यायालय का आदेश (बागी विधायकों को अयोग्य ठहराने के अनुरोध वाली याचिका पर) केवल शिवसेना तक ही सीमित नहीं होगा, बल्कि यह दिशा दिखाएगा कि लोकतंत्र किस तरफ जा रहा है. देश देख रहा है कि उच्चतम न्यायालय क्या फैसला देता है, क्योंकि यह देश में लोकतंत्र के भविष्य को भी रास्ता दिखाएगा और क्या लोकतंत्र के चारों स्तंभ अभी अपने कर्तव्यों का निर्वहन कर रहे हैं या नहीं.’’ ठाकरे ने यह भी कहा कि वह पार्टी सांसदों से बातचीत करने के बाद यह तय करेंगे कि राष्ट्रपति चुनाव में किस उम्मीदवार को समर्थन देना है.

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