देश के मंदी की ओर जाने का सवाल नहीं, मुद्रास्फीति को सात प्रतिशत से नीचे लाने के प्रयास: सीतारमण

नयी दिल्ली.  वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने देश के मंदी के दौर में जाने की आशंका को खारिज करते हुए सोमवार को कहा कि कोविड महामारी, रूस-यूक्रेन युद्ध और आपूर्ति श्रृंखला में अवरोधों के बावजूद भारत आज दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था है. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि खुदरा मुद्रास्फीति को सात प्रतिशत से नीचे लाने के प्रयास किये जा रहे हैं.

लोकसभा में नियम 193 के तहत महंगाई के विषय पर आज हुई चर्चा का जवाब देते हुए सीतारमण ने कहा कि मुश्किल दौर में पूरा देश एक होकर खड़ा हुआ और यही कारण है कि आज हम शेष दुनिया के मुकाबले अपेक्षाकृत मजबूत स्थिति में हैं. उन्होंने कहा कि इसका श्रेय जनता को दिया जाना चाहिए.

उन्होंने कहा कि पिछले दो साल से लगातार विश्व बैंक और अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष (आईएमएफ) जैसी एजेंसियां जहां दुनिया की खराब आर्थिक स्थिति की बात कर रही हैं, वहीं उनका कहना है कि भारत दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था है. सीतारमण ने कहा कि सरकार और भारतीय रिजर्व बैंक के अनेक कदमों के कारण देश की हालत कई अन्य देशों से अच्छी है.

उन्होंने कांग्रेस सदस्य अधीर रंजन चौधरी की एक टिप्पणी पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि भारत के मंदी के दौर में जाने का कोई प्रश्न ही नहीं उठता, जबकि दुनिया की कई अर्थव्यवस्थाएं मंदी के कगार पर हैं. सीतारमण ने कहा कि खबरों के अनुसार चीन में 4,000 से अधिक बैंक दिवालिया होने के कगार पर हैं, जबकि भारत में व्यावसायिक बैंकों की गैर-निष्पादित आस्तियों (एनपीए) में सुधार हुआ है और यह छह साल के सबसे कम स्तर 5.9 प्रतिशत पर है.

उन्होंने कहा कि भारत का कर्ज और सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का अनुपात वित्त वर्ष 2021-22 में 56.21 है जो कई देशों से बहुत कम है. अपने डेढ़ घंटे से अधिक अवधि के जवाब में सीतारमण ने कहा कि वैश्विक स्तर पर महामारी, रूस-यूक्रेन युद्ध, आपूर्ति श्रृंखला में गतिरोध तथा चीन में जगह-जगह लगातार लॉकडाउन के बावजूद भारत की स्थिति दुनिया के कई देशों से बेहतर है.

उन्होंने कहा कि ऐसे हालात में भी भारत में खुदरा मुद्रास्फीति को सात प्रतिशत या इससे नीचे बनाकर रखने का प्रयास किया जा रहा है.
उन्होंने कहा कि पूर्ववर्ती संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार के समय कोई ऐसा संकट नहीं था. वित्त मंत्री ने कहा कि संप्रग के कार्यकाल में 22 महीने तक मुद्रास्फीति नौ प्रतिशत से ज्यादा रही और नौ से अधिक बार 10 से ज्यादा यानी दो अंक में रही. उन्होंने कहा कि कांग्रेस और विपक्ष को उन दिनों को याद करना चाहिए.

सीतारमण ने कहा कि आज पेश हुए आंकड़ों के अनुसार, जुलाई में माल एवं सेवा कर (जीएसटी) का संग्रह 28 प्रतिशत बढ़कर 1.49 लाख करोड़ रुपये हो गया है जो अबतक का दूसरा सबसे ऊंचा मासिक आंकड़ा है. इससे पहले अप्रैल, 2022 में जीएसटी संग्रह 1.67 लाख करोड़ रुपये रहा था. वित्त मंत्री ने कहा कि यह पांचवां लगातार महीना है जब जीएसटी संग्रह 1.4 लाख करोड़ से अधिक है.

उन्होंने यह भी कहा कि राज्यों का जीएसटी क्षतिपूर्ति का मई महीने तक का बकाया चुका दिया गया है और सिर्फ जून महीने का बकाया देय है तथा उसे भी जारी कर दिया जाएगा. उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) को जनता ने स्थिर सरकार के लिए वोट दिया है और उसी के अनुसार सरकार देश के कल्याण के लिए काम कर रही है.

सीतारमण ने रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन के हालिया बयान का भी जिक्र किया. राजन ने कहा है कि रिजर्व बैंक ने विदेशी मुद्रा भंडार बढ़ाने में अच्छा काम किया है और उसकी स्थिति श्रीलंका जैसे पड़ोसी देशों जैसी नहीं होगी. उन्होंने यह भी कहा कि राजन के अनुसार पूरी दुनिया में महंगाई है, ऐसे में रिजर्व बैंक नीतिगत दर बढ़ा रहा है, जिससे मुद्रास्फीति को नीचे लाने में मदद मिलेगी. उन्होंने कहा कि रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर ने यह भी कहा कि खाद्य मुद्रास्फीति दुनिया में कम हो रही है और भारत में भी कम होगी.

वित्त मंत्री ने कच्चे पाम तेल, सनफ्लॉवर और सोयाबीन तेल के आयात पर सीमा शुल्क कम करने का उल्लेख करते हुए कहा कि सरकार प्रयासरत है कि जनता को सस्ता खाद्य तेल मिले और मई के मुकाबले जून में खाद्य तेलों के दाम कम हुए हैं. इस दौरान कांग्रेस के सदस्यों ने वित्त मंत्री के जवाब पर असंतोष जताते हुए सदन से वॉकआउट किया. वित्त मंत्री ने कहा कि सरकार पर महंगाई पर चर्चा नहीं कराने का आरोप लगाने वाली कांग्रेस जवाब तक सुनने को तैयार नहीं है. उन्होंने कहा कि इससे कांग्रेस का दोहरा चरित्र स्पष्ट हो रहा है.

सीतारमण ने मसूर दाल के आयात पर सीमा शुल्क 30 प्रतिशत से शून्य किये जाने, इस्पात पर सीमा शुल्क हटाये जाने जैसे कदमों का भी उल्लेख किया और कहा कि इससे सूक्ष्म, लघु एवं मझोले उपक्रम (एमएसएमई) क्षेत्र को बढ़ावा मिलेगा. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दलहन और तिलहन का उत्पादन बढ़ाने और उनके दाम करने के लिए प्रयासरत हैं और सभी राज्यों के मंत्रियों से इस बाबत बात की जा रही है.

सीतारमण ने भारत के श्रीलंका के रास्ते पर बढ़ने संबंधी कुछ विपक्षी सदस्यों की टिप्पणी को खारिज करते हुए कहा कि ऐसी बात करने वाले नेताओं पर ‘शर्म’ आती है. जीएसटी को लेकर विपक्ष के आरोपों के जवाब में उन्होंने एक सर्वे का हवाला दिया और कहा कि 90 प्रतिशत कारोबारियों का मानना है कि जीएसटी से कारोबार करना आसान हुआ है. उन्होंने कहा कि सरकार ने एमएसएमई क्षेत्र को 13.5 लाख करोड़ रुपये की सहायता देकर उन्हें बचाया है.

पेट्रोल, डीजल पर शुल्क से मिलने वाली राशि का उल्लेख करते हुए रिजर्व बैंक के आंकड़ों के हवाले से सीतारमण ने कहा कि 2014 से 2022 तक इस राशि से विकास परियोजनाओं पर 90.9 लाख करोड़ रुपये खर्च किये गये. उन्होंने विपक्ष के आरोपों का जवाब देते हुए कहा, ‘‘ केंद्र सरकार ने जो पैसा एकत्र किया, वह उसकी जेब में नहीं, बल्कि सभी राज्यों के विकास के लिए दिया गया.’’ उन्होंने कहा, ‘‘हमारी सरकार ने 24.85 लाख करोड़ रुपये खाद्य पदार्थों, खाद और ईंधन पर सब्सिडी पर खर्च किये. जबकि संप्रग ने 10 साल में 13.9 लाख करोड़ रुपये ही खर्च किये थे.’’ उन्होंने द्रमुक सदस्य कनिमोझी के पेंसिल पर जीएसटी लगाने संबंधी तर्क को खारिज करते हुए कहा कि ऐसा कोई बदलाव जीएसटी में नहीं किया गया है.

वित्त मंत्री ने कहा कि द्रमुक सांसद ने इस बाबत एक बच्ची के प्रधानमंत्री को पत्र लिखे जाने की बात कही है. उन्होंने कहा कि बच्ची को विश्वास था कि पत्र प्रधानमंत्री तक पहुंचेगा और वह सुनेंगे, इसलिए उसने लिखा. वित्त मंत्री ने स्पष्ट किया कि सिर्फ ब्रांड वाली खाद्य वस्तुओं पर जीएसटी लगाया गया है और खुली चीजों पर कोई कर नहीं लगा है.

उन्होंने कहा, ‘‘जीएसटी परिषद में फैसले होते हैं तो राज्य सरकारों की सहमति होती है. यह फैसला जीएसटी परिषद का होता है, केंद्र सरकार का फैसला नहीं होता है. लेकिन मोदी जी और केंद्र सरकार को जिम्मेदार ठहरा दिया जाता है.’’ उन्होंने विपक्ष के कुछ सदस्यों के सवाल के जवाब में कहा, ‘‘श्मशान घाट से जुड़ी किसी गतिविधि पर जीएसटी नहीं है. ये जीएसटी के दायरे से बाहर हैं.’ इस दौरान वित्त मंत्री ने तमिल भाषा में कुछ बात कही और तमिलनाडु में द्रमुक के घोषणापत्र के वादे पूरा नहीं किये जाने संबंधी टिप्पणी की, जिस पर द्रमुक सदस्यों ने आपत्ति जताई और बाद में सदन से वॉकआउट किया.

सीतारमण ने कहा कि संप्रग सरकार के समय दिया गया आॅयल बॉन्ड सैद्धांतिक रूप से गलत था क्योंकि बोला गया था कि ग्राहकों को सब्सिडी दी जा रही है. सीतारमण ने कहा कि आॅयल बॉन्ड के जरिये भविष्य की पीढ़ी पर बोझ डाला गया था. उन्होंने कहा कि यह आरोप लगाया जाता है कि मोदी सरकार कुछ उद्योगपतियों के लिए काम करती है, कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष (राहुल गांधी) जयपुर में इन उद्योगपतियों पर आरोप लगाते हैं जबकि राजस्थान में उनकी पार्टी की सरकार ने सौर ऊर्जा परियोजना के लिए इनमें से एक उद्योगपति के साथ करार किया.

सीतारमण ने कहा कि आज पेश हुए आंकड़ों के अनुसार, जुलाई में माल एवं सेवा कर (जीएसटी) का संग्रह 28 प्रतिशत बढ़कर 1.49 लाख करोड़ रुपये हो गया है जो अबतक का दूसरा सबसे ऊंचा मासिक आंकड़ा है. इससे पहले अप्रैल, 2022 में जीएसटी संग्रह 1.67 लाख करोड़ रुपये रहा था. वित्त मंत्री ने कहा कि यह पांचवां लगातार महीना है जब जीएसटी संग्रह 1.4 लाख करोड़ से अधिक है.

उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) को जनता ने स्थिर सरकार के लिए वोट दिया है और उसी के अनुसार सरकार देश के कल्याण के लिए काम कर रही है. सीतारमण ने रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन के हालिया बयान का भी जिक्र किया. राजन ने कहा है कि रिजर्व बैंक ने विदेशी मुद्रा भंडार बढ़ाने में अच्छा काम किया है और उसकी स्थिति श्रीलंका जैसे पड़ोसी देशों जैसी नहीं होगी.

उन्होंने यह भी कहा कि राजन के अनुसार पूरी दुनिया में महंगाई है, ऐसे में रिजर्व बैंक नीतिगत दर बढ़ा रहा है, जिससे मुद्रास्फीति को नीचे लाने में मदद मिलेगी. उन्होंने कहा कि रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर ने यह भी कहा कि खाद्य मुद्रास्फीति दुनिया में कम हो रही है और भारत में भी कम होगी.

वित्त मंत्री ने कच्चे पाम तेल, सनफ्लॉवर और सोयाबीन तेल के आयात पर सीमा शुल्क कम करने का उल्लेख करते हुए कहा कि सरकार प्रयासरत है कि जनता को सस्ता खाद्य तेल मिले और मई के मुकाबले जून में खाद्य तेलों के दाम कम हुए हैं. इस दौरान कांग्रेस के सदस्यों ने वित्त मंत्री के जवाब पर असंतोष जताते हुए सदन से वॉकआउट किया. वित्त मंत्री ने कहा कि सरकार पर महंगाई पर चर्चा नहीं कराने का आरोप लगाने वाली कांग्रेस जवाब तक सुनने को तैयार नहीं है. उन्होंने कहा कि इससे कांग्रेस का दोहरा चरित्र स्पष्ट हो रहा है.

सीतारमण ने मसूर दाल के आयात पर सीमा शुल्क 30 प्रतिशत से शून्य किये जाने, इस्पात पर सीमा शुल्क हटाये जाने जैसे कदमों का भी उल्लेख किया और कहा कि इससे सूक्ष्म, लघु एवं मझोले उपक्रम (एमएसएमई) क्षेत्र को बढ़ावा मिलेगा. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दलहन और तिलहन का उत्पादन बढ़ाने और उनके दाम करने के लिए प्रयासरत हैं और सभी राज्यों के मंत्रियों से इस बाबत बात की जा रही है.

सीतारमण ने भारत के श्रीलंका के रास्ते पर बढ़ने संबंधी कुछ विपक्षी सदस्यों की टिप्पणी को खारिज करते हुए कहा कि ऐसी बात करने वाले नेताओं पर ‘शर्म’ आती है. जीएसटी को लेकर विपक्ष के आरोपों के जवाब में उन्होंने एक सर्वे का हवाला दिया और कहा कि 90 प्रतिशत कारोबारियों का मानना है कि जीएसटी से कारोबार करना आसान हुआ है. उन्होंने कहा कि सरकार ने एमएसएमई क्षेत्र को 13.5 लाख करोड़ रुपये की सहायता देकर उन्हें बचाया है.

पेट्रोल, डीजल पर शुल्क से मिलने वाली राशि का उल्लेख करते हुए रिजर्व बैंक के आंकड़ों के हवाले से सीतारमण ने कहा कि 2014 से 2022 तक विकास परियोजनाओं पर 90.9 लाख करोड़ रुपये खर्च किये गये. उन्होंने विपक्ष के आरोपों का जवाब देते हुए कहा, ‘‘ केंद्र सरकार ने जो पैसा एकत्र किया, वह उसकी जेब में नहीं, बल्कि सभी राज्यों के विकास के लिए दिया गया.’’

उन्होंने कहा, ‘‘हमारी सरकार ने 24.85 लाख करोड़ रुपये खाद्य पदार्थों, खाद और ईंधन पर सब्सिडी पर खर्च किये. जबकि संप्रग ने 10 साल में 13.9 लाख करोड़ रुपये ही खर्च किये.’’ उन्होंने द्रमुक सदस्य कनिमोझी के पेंसिल पर जीएसटी लगाने संबंधी तर्क को खारिज करते हुए कहा कि ऐसा कोई बदलाव जीएसटी में नहीं किया गया है.

वित्त मंत्री ने कहा कि द्रमुक सांसद ने इस बाबत एक बच्ची के प्रधानमंत्री को पत्र लिखे जाने की बात कही है. उन्होंने कहा कि बच्ची को विश्वास था कि पत्र प्रधानमंत्री तक पहुंचेगा और वह सुनेंगे, इसलिए उसने लिखा. इस दौरान वित्त मंत्री ने तमिल भाषा में कुछ बात कही और तमिलनाडु में द्रमुक के घोषणापत्र के वादे पूरा नहीं किये जाने संबंधी टिप्पणी की, जिस पर द्रमुक सदस्यों ने आपत्ति जताई और बाद में सदन से वॉकआउट किया.

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