
तिरुवनंतपुरम. कांग्रेस कार्य समिति (सीडब्ल्यूसी) के सदस्य शशि थरूर ने मंगलवार को न्यायमूर्ति हेमा समिति की रिपोर्ट पर कार्रवाई नहीं करने के लिए केरल सरकार की कड़ी आलोचना करते हुए कहा कि उसे शर्म आनी चाहिए. तिरुवनंतपुरम के सांसद ने यहां जिला कांग्रेस कमेटी कार्यालय में पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की जयंती पर एक समारोह से इतर संवाददाताओं से कहा कि यह बेहद शर्मनाक और चौंकाने वाला है कि सरकार इस रिपोर्ट को लगभग पांच साल तक दबाए बैठी रही और अब दबाव में इसे जारी कर रही है.
उन्होंने कहा, ”मैंने सांस्कृतिक मामलों के मंत्री का एक बयान देखा, जिसमें कहा गया था कि ये महिलाएं सरकार के पास आ सकती थीं और शिकायत कर सकती थीं और उन्होंने केवल आयोग को शिकायत दी है. लेकिन आयोग तो सरकार द्वारा नियुक्त किया जाता है. फिर यह कैसा बहाना है?” उन्होंने कहा कि यह बिल्कुल अपरिहार्य है कि रिपोर्ट के आधार पर कार्रवाई की जाये.
थरूर ने कहा, ”सच कहूं तो राज्य सरकार को खुद पर शर्म आनी चाहिए.” उन्होंने कहा कि महिलाओं के लिए असुरक्षित कामकाजी माहौल बनाने और उन्हें डराने-धमकाने, ब्लैकमेल करने तथा इससे भी बदतर कृत्यों के चलते केरल फिल्म उद्योग की छवि इस तरह से धूमिल होते देखना अक्षम्य है. उन्होंने आश्चर्य जताया कि जो राज्य लगभग 200 साल पहले प्राथमिक स्तर पर लड़कियों को शिक्षित करने वाला दुनिया का पहला राज्य था, उसने ऐसा कैसे होने दिया.
केरल सरकार ने 2019 में न्यायमूर्ति हेमा समिति का गठन किया था. समिति ने मलयालम फिल्म उद्योग में महिलाओं को पेश आ रही दिक्कतों का अध्ययन किया. इस रिपोर्ट में महिलाओं के यौन उत्पीड़न, शोषण और दुर्व्यवहार के महत्वपूर्ण विवरण को उजागर किया गया है. रिपोर्ट में इस मुद्दे पर गहराई से प्रकाश डाला गया है, जिससे मलयालम फिल्म उद्योग में महिला पेशेवरों की सुरक्षा और कल्याण के बारे में चिंता उत्पन्न हो गई है.



