पाक प्रधानमंत्री की सलाह पर राष्ट्रपति ने भंग की संसद

इस्लामाबाद. पाकिस्तान के राष्ट्रपति आरिफ अल्वी ने प्रधानमंत्री इमरान खान की सलाह पर रविवार को नेशनल असेंबली भंग कर दी. इससे कुछ मिनट पहले ही नेशनल असेंबली के उपाध्यक्ष ने उनके खिलाफ पेश किए गए अविश्वास प्रस्ताव को खारिज कर दिया था. खान ने राष्ट्रपति को मध्यावधि चुनाव कराने की सलाह दी है.

सूचना एवं प्रसारण राज्य मंत्री फारुख हबीब ने कहा कि राष्ट्रपति अल्वी ने प्रधानमंत्री की सलाह पर नेशनल असेंबली भंग कर दी है. उन्होंने कहा कि चुनाव 90 दिनों के भीतर कराए जाएंगे. सूचना मंत्री फवाद चौधरी ने कहा कि मंत्रिमंडल को भंग कर दिया गया है, लेकिन प्रधानमंत्री अपने फर्ज निभाते रहेंगे. इससे पहले 342-सदस्यीय नेशनल असेंबली में बहुमत गंवा चुके प्रधानमंत्री खान ने सदन के उपाध्यक्ष कासिम सूरी द्वारा संसद के हंगामेदार सत्र को स्थगित किए जाने के बाद देश के नाम संक्षिप्त संबोधन दिया.

खान ने अविश्वास प्रस्ताव खारिज किए जाने पर आवाम को बधाई देते हुए कहा कि उपाध्यक्ष ने ‘‘सरकार बदलने की कोशिश और विदेशी षडयंत्र को नाकाम’’ कर दिया. उन्होंने कहा, ‘‘मुल्क नए चुनावों के लिए तैयार रहे.’’ उन्होंने कहा कि अविश्वास प्रस्ताव असल में एक ‘‘विदेशी एजेंडा’’ है. खान ने कहा कि उन्होंने राष्ट्रपति अल्वी को ‘असेंबली’ को भंग करने की सलाह दी थी.

पूर्व क्रिकेटर एवं राजनीतिक नेता 69 वर्षीय खान ने कहा, ‘‘चुनाव की तैयारी करें. कोई भी भ्रष्ट ताकत तय नहीं करेगी कि मुल्क का भविष्य क्या होगा. जब असेंबली भंग हो जाएंगी तो अगले चुनाव और कार्यवाहक सरकार की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी.’’ इससे पहले, संसद के उपाध्यक्ष सूरी ने प्रधानमंत्री खान के खिलाफ विपक्ष की ओर से पेश किए गए अविश्वास प्रस्ताव को पाकिस्तान के संविधान और नियमों के खिलाफ बताते हुए खारिज कर दिया.

सूरी ने विपक्षी सांसदों के प्रदर्शन के बीच कहा, ‘‘अविश्वास प्रस्ताव देश के संविधान और नियमों के मुताबिक होना चाहिए. चूंकि कानून मंत्री ने इसका जिक्र नहीं किया है, इसलिए मैं अविश्वास प्रस्ताव को खारिज करता हूं.’’ विपक्ष की ओर से अध्यक्ष असद कैसर के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पेश करने के बाद सूरी ने संसद के अहम सत्र की अध्यक्षता की.

जैसे ही अहम सत्र शुरू हुआ, कानून मंत्री फवाद चौधरी ने कहा कि यह साबित किया गया है कि एक ‘पत्र’ के माध्यम से अविश्वास प्रस्ताव का इस्तेमाल एक विदेशी शक्ति के इशारे पर सरकार बदलने के लिए किया जा रहा है, इसलिए यह पाकिस्तान के संविधान के अनुच्छेद पांच के खिलाफ है. उन्होंने अविश्वास प्रस्ताव की वैधता पर निर्णय देने की आसन से गुजारिश की .

नतीजतन, उपाध्यक्ष सूरी ने अविश्वास प्रस्ताव को खारिज करते हुए अपना फैसला सुनाया और सत्र स्थगित कर दिया. पाकिस्तान में किसी भी प्रधानमंत्री ने अपना पांच साल का कार्यकाल पूरा नहीं किया है. विपक्ष ने प्रधानमंत्री के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव की पूरी प्रक्रिया को और असेंबली भंग करने को संविधान के खिलाफ करार दिया. विपक्ष ने असेंबली के उपाध्यक्ष के फैसले और असेंबली भंग

करने की सलाह देने को उच्चतम न्यायालय में चुनौती देने का ऐलान किया है और संसद भवन परिसर में ही धरना शुरू कर दिया है.
विपक्ष के नेता शाहबाजÞ शरीफ ने कहा, ‘‘हम उपाध्यक्ष के फैसले और प्रधानमंत्री की सलाह को उच्चतम न्यायालय में चुनौती देने जा रहे हैं.’’ पाकिस्तान पीपल्स पार्टी (पीपीपी) के नेता मुस्तफा नवाजÞ खोखर ने कहा कि विपक्ष संसद के अंदर धरना दे रहा है और परिसर नहीं छोड़ेगा.

पीपीपी के प्रमुख बिलावल भुट्टो जरदारी ने कहा, ‘‘इमरान खान ने जो किया है वह कानून के खिलाफ है. हम अपने वकीलों से बात कर रहे हैं. उपाध्यक्ष ने भी अलोकतांत्रिक काम किया है. इस कदम से इमरान खान ने खुद को बेनकाब किया है. जब तक यह फैसला वापस नहीं लिया जाता तब तक हम नेशनल असेंबली के अंदर मौजूद रहेंगे. वह हार देखकर अविश्वास प्रस्ताव से भाग रहे हैं.’’ बाद में उन्होंने ट्वीट किया, ‘‘हमारे वकील उच्चतम न्यायालय जा रहे हैं. हम सभी संस्थानों से पाकिस्तान के संविधान की रक्षा करने, उसे बनाए रखने, बचाने और लागू करने का आ’’ान करते हैं.’’

पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज की नेता मरयम औरंगजेब ने कहा, ‘‘इमरान खान एक गद्दार हैं. उन्होंने एक असंवैधानिक कदम उठाया है और हम अब नेशनल असेंबली में प्रदर्शन कर रहे हैं और जब तक यह फैसला रद्द नहीं किया जाता तब तक हम कहीं नहीं जाएंगे.’’ संवैधानिक मामलों के विशेषज्ञ वकील सलमान अकरम राजा ने कहा कि उपाध्यक्ष की पूरी प्रक्रिया और प्रधानमंत्री की ओर से असेंबली को भंग करने की सलाह असंवैधानिक है.

उन्होंने कहा कि पूरे विवाद पर शीर्ष अदालत फैसला करेगी. उन्होंने कहा, ‘‘बुनियादी मुद्दा उपाध्यक्ष के फैसले की वैधता का निर्धारण करना है. अगर शीर्ष अदालत कहती है कि फैसला कानूनों के मुताबिक है, तो प्रधानमंत्री की सलाह भी कानून के मुताबिक होगी.’’ सुप्रीम कोर्ट बार के अध्यक्ष अहसान भून ने कहा कि प्रधानमंत्री और असेंबली के उपाध्यक्ष की कार्रवाई संविधान के खिलाफ है और ‘संविधान के अनुच्छेद छह के तहत उन पर देशद्रोह का मुकदमा चलाया जाना चाहिए.’ उन्होंने प्रधान न्यायाधीश से इस घोर अवैधता का स्वत: संज्ञान लेने की अपील की.

संयुक्त विपक्ष ने आठ मार्च को अविश्वास प्रस्ताव पेश किया था, जिसके बाद मतदान का दिन तय करने को लेकर कई घटनाएं हुईं और तनाव बढ़ा, क्योंकि खान ने दावा किया कि उन्हें विपक्ष के शीर्ष नेताओं के सहयोग से ‘विदेशी साजिश’ के तहत निशाना बनाया जा रहा है. पाकिस्तान के संसद भवन के आसपास सुरक्षा बढ़ा दी गई है और छह हजार से ज्यादा सुरक्षार्किमयों को तैनात किया गया है.

Related Articles

Back to top button