विपक्षी सदस्यों ने पेट्रोल, डीजल की मूल्यवृद्धि को वापस लेने, प्रधानमंत्री से बयान की मांग की

नयी दिल्ली. देश में पेट्रोल, डीजल और रसोई गैस की कीमतें बढ़ने के खिलाफ रोष प्रकट करते हुए विभिन्न विपक्षी दलों के सदस्यों ने सोमवार को लोकसभा में सरकार से इस विषय पर चर्चा कराने और प्रधानमंत्री से इस मुद्दे पर जवाब देने की मांग की . विपक्षी सदस्यों ने मूल्यवृद्धि को तुरंत वापस लेने का भी आग्रह किया.

तृणमूल कांग्रेस नेता सुदीप बंदोपाध्याय ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को बताना चाहिए कि पेट्रोल और डीजल की कीमतों में हो रही वृद्धि कब और किस सीमा पर जाकर रुकेगी? शून्यकाल में इस विषय को उठाते हुए सदन में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि महंगाई से देश की जनता बेहाल है इसलिए कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने पूरे देश में ‘महंगाई मुक्त भारत अभियान’ चलाने का निर्णय लिया है.

उन्होंने कहा कि इस तरह की खबरें हैं कि एक अप्रैल से 800 आवश्यक दवाएं भी महंगी हो जाएंगी. चौधरी ने कहा कि महंगाई के पीछे सरकार ‘रूस-यूक्रेन संकट का झूठा हवाला’ दे रही है जबकि हमारे देश में रूस से केवल आधा प्रतिशत तेल आयात किया जाता है. उन्होंने कहा कि सरकार को पेट्रोल, डीजल और रसोई गैस की हाल में बढ़ी कीमतों को वापस लेना चाहिए और इस सदन में इस मुद्दे पर चर्चा करानी चाहिए.

द्रमुक नेता टी आर बालू ने कहा कि पिछले कुछ दिन में ही पेट्रोल और डीजल के दाम में लगभग चार रुपये प्रति लीटर से ज्यादा वृद्धि हुई है जो सरकार की ओर से लिया गया गलत फैसला है. तृणमूल कांग्रेस के नेता सुदीप बंदोपाध्याय ने कहा कि पेट्रोल, डीजल और रसोई गैस में मूल्य वृद्धि पर पूरा सदन ंिचतित है.

उन्होंने कहा, ‘‘मुझे आशंका है कि देश में पेट्रोलियम पदार्थों पर मूल्य वृद्धि के मामले में भारत दुनिया में सबसे ऊपर पहुंच सकता है.’’ तृणमूल नेता ने कहा कि सरकार तर्क देती है कि तेल कंपनियां मूल्य बढ़ाती हैं और उसका हस्तक्षेप नहीं होता. उन्होंने कहा कि अगर यह बात सही है तो उत्तर प्रदेश समेत पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव के समय पेट्रोल और डीजल के दाम कैसे नहीं बढ़े.
उन्होंने कहा कि जनता को आशंका थी कि चुनाव परिणाम आते ही कुछ दिन में ये दाम बेतहाशा बढ़ेंगे और यह आशंका सच साबित हुई.

उन्होंने कहा कि इस विषय पर कम से कम एक बार सदन में चर्चा होनी चाहिए और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को बताना चाहिए कि पेट्रोल और डीजल की कीमतें किस सीमा तक बढ़ेंगी और कहां जाकर ठहरेंगी? उन्होंने कहा कि सरकार को प्राथमिकता के साथ इस विषय पर सदन में अपनी बात रखनी चाहिए.

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