पाकिस्तान की अदालत ने इमरान खान की गिरफ्तारी पर रोक 31 मई तक बढ़ाई

सैन्य प्रतिष्ठानों पर हमला करने वालों के खिलाफ सेना अधिनियम के तहत कार्रवाई का समर्थन

इस्लामाबाद. पाकिस्तान की एक अदालत ने पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान के खिलाफ नौ मई के बाद दर्ज किसी भी मामले में उनकी गिरफ्तारी पर रोक के अपने आदेश को बुधवार को 31 मई तक बढ़ा दिया. इस्लामाबाद उच्च न्यायालय (आईएचसी) खान द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) पार्टी के 70 वर्षीय अध्यक्ष ने सरकार द्वारा उनकी गिरफ्तारी का डर जताया था.

न्यायमूर्ति मियांगुल हसन औरंगजेब ने वकीलों की दलीलें सुनने के बाद खान के वकील बैरिस्टर गौहर खान की उस याचिका को स्वीकार कर लिया जिसमें पुलिस को खान को गिरफ्तार करने से रोकने के लिए अदालत के आदेश की अवधि को बढ़ाने का अनुरोध किया था. खान अदालत में मौजूद नहीं थे. अदालत खान के खिलाफ दर्ज सभी मामलों का ब्योरा मांगने की पीटीआई की अर्जी पर सुनवाई कर रही थी. खान की पार्टी का दावा है कि पीटीआई प्रमुख के खिलाफ देशभर में 100 से अधिक मामले दर्ज किये गये हैं.

न्यायालय ने खान की गिरफ्तारी पर रोक के अपने आदेश को 31 मई तक बढ़ा दिया. इसी दिन मामले की अगली सुनवाई भी होगी.
इस्लामाबाद उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को खान को बड़ी राहत देते हुए अल-कादिर ट्रस्ट भ्रष्टाचार मामले में उन्हें दो सप्ताह की सुरक्षात्मक जमानत दी थी और देश में कहीं भी दर्ज किसी भी मामले में पूर्व प्रधानमंत्री की 17 मई तक गिरफ्तारी पर रोक का आदेश दिया था.

पाकिस्तान के उच्चतम न्यायालय ने अदालत परिसर से नौ मई को खान की नाटकीय तरीके से गिरफ्तारी को ‘अवैध और गैरकानूनी’ करार दिया था. खबर के अनुसार इस्लामाबाद उच्च न्यायालय ने बुधवार को पीटीआई नेताओं मलीका बुखारी और अली मोहम्मद खान की गिरफ्तारी को गैरकानूनी घोषित करते हुए उनकी रिहाई का भी आदेश दिया.

खान की गिरफ्तारी के बाद देश में हिंसक विरोध प्रदर्शन के बाद पीटीआई नेताओं को सार्वजनिक व्यवस्था कायम रखने से जुड़े अध्यादेश, 1960 के तहत गिरफ्तार किया गया था. गौरतलब है कि इस्लामाबाद उच्च न्यायालय परिसर में अर्धसैनिक बल पाकिस्तान रेंजर्स द्वारा नौ मई को खान को गिरफ्तार कर लिया था जिसके बाद में पाकिस्तान में व्यापक स्तर पर विरोध प्रदर्शन हुए थे. पुलिस ने हिंसक झड़पों में मारे गये लोगों की संख्या 10 बताई थी जबकि खान की पार्टी ने सुरक्षा बलों की गोलीबारी में उसके 40 कार्यकर्ताओं के मारे जाने का दावा किया था.

सैन्य प्रतिष्ठानों पर हमला करने वालों के खिलाफ सेना अधिनियम के तहत कार्रवाई का समर्थन

पाकिस्तान के शीर्ष सुरक्षा निकाय ने नौ मई को पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान की गिरफ्तारी के बाद प्रमुख सैन्य प्रतिष्ठानों पर हमले में शामिल पाए गए लोगों के खिलाफ सेना अधिनियम और आधिकारिक गोपनीयता कानून के तहत कार्रवाई करने के शीर्ष सैन्य कमांडरों के फैसले का समर्थन किया है.

प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ की अध्यक्षता वाली राष्ट्रीय सुरक्षा समिति (एनएससी) ने मंगलवार को हिंसक हमलों में शामिल सभी लोगों, उनके मददगारों और उन नेताओं पर 72 घंटे के भीतर कार्रवाई करने का फैसला किया, जिनके उकसावे पर इन लोगों ने तोड़फोड़ की थी.
हालांकि, एमनेस्टी इंटरनेशनल और पाकिस्तान के राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग जैसे अधिकार समूहों ने दंगाइयों के खिलाफ सख्त सेना अधिनियम के तहत मुकदमा चलाने के प्रस्तावित कदम की कड़ी आलोचना की है.

एमनेस्टी इंटरनेशन की दक्षिण एशिया इकाई के उप क्षेत्रीय निदेशक दिनुशिका दिस्सानायाके ने कहा, ‘‘यह ध्यान देने वाली बात है कि पाकिस्तानी सेना ने संभवत: सैन्य अदालतों में सैन्य कानूनों के तहत आम नागरिकों पर मुकदमा चलाने की अपनी मंशा जाहिर की है. सैन्य अदालतों में नागरिकों पर मुकदमा चलाना अंतरराष्ट्रीय कानून के विपरीत है.’’ दिनुशिका ने एक बयान में इसे लोगों को ‘‘भयभीत करने की चाल’’ करार दिया.

वहीं, पाकिस्तान के राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने ट्वीट किया, ‘‘हम नागरिकों पर मुकदमा चलाने के लिए पाकिस्तानी सेना अधिनियम 1952 और आधिकारिक गोपनीयता अधिनियम 1923 का इस्तेमाल करने के कदम का पुरजोर विरोध करते हैं.’’ नौ मई को पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान को इस्लामाबाद उच्च न्यायालय के परिसर से भ्रष्टाचार के एक मामले में राष्ट्रीय जवाबदेही ब्यूरो (एनएबी) द्वारा गिरफ्तार किए जाने के बाद पूरे पाकिस्तान में हिंसा भड़क उठी थी. पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) पार्टी के समर्थकों ने कई इमारतों और वाहनों में आग लगा दी थी और पुलिस तथा सैन्य र्किमयों के साथ-साथ सैन्य प्रतिष्ठानों पर हमला किया था, जिसमें 10 लोग मारे गए थे.

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