पवार ने राष्ट्रपति चुनाव में विपक्ष की ओर से उम्मीदवार बनने से इनकार किया-येचुरी
नयी दिल्ली. पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और वामपंथी नेताओं ने मंगलवार को राकांपा प्रमुख शरद पवार से अलग-अलग मुलाकात की और उनसे राष्ट्रपति चुनाव के लिए विपक्षी दलों का संयुक्त उम्मीदवार बनने का अनुरोध किया. हालांकि, मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के महासचिव सीताराम येचुरी ने मंगलवार को कहा कि राकांपा प्रमुख शरद पवार ने राष्ट्रपति चुनाव के लिए विपक्षी दलों का उम्मीदवार बनने से इनकार कर दिया है.
राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के नेता पवार ने येचुरी, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा) के महासचिव डी. राजा और राकांपा नेताओं प्रफुल्ल पटेल और पी. सी. चाको से दिल्ली में मुलाकात की और उन्हें चुनाव नहीं लड़ने संबंधी अपने फैसले से अवगत कराया. येचुरी ने कहा, ‘‘मुझे बताया गया है कि पवार राष्ट्रपति चुनाव के लिए विपक्ष का चेहरा नहीं होंगे, अन्य नामों पर विचार किया जा रहा है.’’ विपक्षी सूत्रों ने कहा कि पवार एक ऐसा मुकाबला लड़ने के इच्छुक नहीं थे, जिसमें उनके राजनीतिक जीवन में इस समय हारना तय है.
बनर्जी गैर-भाजपा दलों के नेताओं के साथ बैठक के लिए दिल्ली पहुंची हैं. उन्होंने आगामी राष्ट्रपति चुनाव के लिए संयुक्त रणनीति बनाने के लिये यह बैठक बुलाई है. तृणमूल कांग्रेस अध्यक्ष बनर्जी ने राष्ट्रपति चुनाव के लिये विपक्षी दलों के संयुक्त उम्मीदवार को लेकर सहमति बनाने के वास्ते 15 जून को दिल्ली में एक बैठक बुलाई है. राष्ट्रपति पद के लिए चुनाव 18 जुलाई को होगा.
ममता की बैठक में शामिल होने के लिये सांसदों को भेजेंगे माकपा और भाकपा
राष्ट्रपति पद के लिए संयुक्त उम्मीदवार पर चर्चा के लिए बैठक बुलाने के तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) प्रमुख ममता बनर्जी के ‘‘एकतरफा’’ फैसले से नाराज मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) और भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा) ने मंगलवार को कहा कि वे अपने सांसदों को यहां 15 जून को होने वाली विपक्ष की बैठक में भेजेंगे. माकपा महासचिव सीताराम येचुरी और भाकपा महासचिव डी राजा ने कहा कि टीएमसी प्रमुख द्वारा बुलाई गई बैठक में शीर्ष नेतृत्व शामिल नहीं होगा.
बैठक में माकपा का प्रतिनिधित्व राज्यसभा में पार्टी के नेता ई. करीम करेंगे. दोनों वाम दलों ने इस तरह की बैठक बुलाने के बनर्जी के ‘‘एकतरफा’’ फैसले पर कड़ी आपत्ति व्यक्त की है. पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री बनर्जी ने 15 जून को राष्ट्रीय राजधानी के कॉन्स्टिट्यूशन क्लब में बैठक बुलाई है, जिसमें राष्ट्रपति चुनाव के लिए आम सहमति से विपक्षी उम्मीदवार को उतारने पर चर्चा की जाएगी. येचुरी ने बनर्जी को एक पत्र भी लिखा है, जिसमें उन्होंने बैठक बुलाने के तरीके पर अपनी आपत्ति दोहरायी है.
येचुरी ने अपने पत्र में कहा है कि विपक्षी दलों की इस तरह की बैठकों में हमेशा पूर्व पारस्परिक परामर्श की प्रक्रिया का पालन किया जाता है ताकि इसमें शामिल होने के इच्छुक लोगों की अधिकतम भागीदारी हो सके. येचुरी ने कहा, ‘‘हालांकि, इस मामले में, हमें तारीख, समय, स्थान और एजेंडा की जानकारी देने वाला एकतरफा पत्र प्राप्त हुआ. आपके पत्र में उल्लेख किया गया है कि विपक्षी आवाजों का एक उपयोगी संगम समय की जरूरत है. इसे बेहतर तरीके से हासिल किया जा सकता था यदि आपसी परामर्श होता और पार्टी नेताओं को ऐसी बैठक में भाग लेने के लिए अपनी पूर्व प्रतिबद्धताओं को पुर्निनर्धारित करने के लिए उचित समय मिलता. दुर्भाग्य से, आपके पत्र की प्राप्ति और बैठक की तारीख के बीच केवल तीन दिन हैं.’’
उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी ने भारतीय संविधान और भारतीय गणराज्य के धर्मनिरपेक्ष लोकतांत्रिक चरित्र की रक्षा के लिए सभी धर्मनिरपेक्ष ताकतों की व्यापक एकजुटता को मजबूत करने की आवश्यकता का लगातार समर्थन किया है. उन्होंने कहा, ‘‘इसके अनुरूप, चूंकि मुद्दा भारत के राष्ट्रपति के आगामी चुनाव पर चर्चा करने का है और इस तथ्य को देखते हुए कि राष्ट्रपति भारतीय संविधान का संरक्षक है, बैठक में माकपा का प्रतिनिधित्व राज्यसभा में हमारी पार्टी के नेता श्री ई. करीम द्वारा किया जाएगा.’’ सूत्रों ने कहा कि जिस तरह से यह बैठक बुलाई गई है, उस पर आपत्ति जताने के लिये कई विपक्षी नेताओं द्वारा इसी तरह के और पत्र भेजे जाएंगे. भारत के नये राष्ट्रपति को चुनने के लिए मतदान 18 जुलाई को होगा.