देश की सुरक्षा की बात आने पर मंत्रियों के पीछे छिप जाते हैं प्रधानमंत्री: कांग्रेस

भारत की सुरक्षा, क्षेत्रीय अखंडता को खुलेआम चुनौती दे रहा है चीन, सरकार ‘मूकदर्शक’

नयी दिल्ली. कांग्रेस ने अरुणाचल प्रदेश के तवांग सेक्टर में भारत और चीन के सैनिकों की झड़प को लेकर मंगलवार को सरकार पर गुमराह करने का आरोप लगाया और दावा किया कि जब भी देश की सुरक्षा और अखंडता की बात आती है, तो प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी अपने मंत्रियों के पीछे छिप जाते हैं.

मुख्य विपक्षी दल ने यह सवाल भी किया कि चीन की आक्रामकता से निपटने के लिए सरकार के पास क्या कूटनीतिक रणनीति है? कांग्रेस ने इस विषय को मंगलवार को संसद के दोनों सदनों में उठाया. रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के बयान के बाद स्पष्टीकरण और चर्चा की मांग करते हुए राज्यसभा से पार्टी के सदस्यों ने वाकआउट भी किया.

पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने संसद परिसर में संवाददाताओं से कहा, ‘‘हम लगातार चीन के मुद्दे को सदन में उठाते रहे हैं. आज भी हम चर्चा करना चाहते थे, लेकिन रक्षा मंत्री ने जवाब दिया और चले गए. जब सदन में हमने सवाल पूछना चाहा तो हमारी बात नहीं सुनी गई, इसल­एि हमने वॉकआउट किया.’’ उनका कहना था, ‘‘यह सदन की परिपाटी रही है कि जब मंत्री कोई बयान देता है तो उस पर स्पष्टीकरण मांगा जाता है, लेकिन रक्षा मंत्री के बयान के बाद स्पष्टीकरण का मौका नहीं दिया गया. सरकार ने अपनी गलती छिपाने के लिए स्पष्टीकरण नहीं दिया.’’

लोकसभा में कांग्रेस के उप नेता गौरव गोगोई ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘प्रधानमंत्री संसद को लोकतंत्र का मंदिर कहते हैं. क्या लोकतंत्र के मंदिर में हमें सीमा की स्थिति के बारे में जानने का हक नहीं है? सरकार जवाब क्यों नहीं दे रही है? वह जनता की आंख में धूल क्यों झोंक रही है? ’’ उन्होंने दावा किया, ‘‘इस विषय पर सरकार का दोहरा रवैया है. यह दोहरा रवैया प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के निर्देश के कारण है. मोदी जी ने पिछली बार सर्वदलीय बैठक में चीन को क्लीनचिट दिया. उनकी बातों को सही साबित करने के लिए सरकार हमें गुमराह कर रही है.’’

गोगोई ने दावा किया, ‘‘ मोदी जी को अपनी छवि देश की अखंडता से ज्यादा प्यारी है. जब देश की सुरक्षा और अखंडता का सवाल आता है तो प्रधानमंत्री अपने मंत्रियों के पीछे छिपते हैं. कभी विदेश मंत्री के पीछे छिपते हैं, कभी रक्षा मंत्री और कभी गृह मंत्री के पीछे छिप जाते हैं.’’ गोगोई के अनुसार, ‘‘चीन के साथ 16 बार बैठकें हो चुकी हैं. इसके बाद चीन यह साहस दिखा रहा है कि वह लद्दाख को छोड़कर अब पूर्वोत्तर की ओर नजर गड़ा रहा है. भारत सरकार की बातचीत का कोई नतीजा नहीं दिख रहा है.’’ उन्होंने कहा, ‘‘सभी दलों को लेकर रणनीति बनानी चाहिए, लेकिन सरकार को सांप्रदायिक राजनीति के चक्कर में इसका समय कहां है?’’

गोगोई ने सवाल किया, ‘‘ये छोटे-छोटे ऐप को प्रतिबंधित करके किसको डरा रहे हैं? क्या हम यह संदेश दे रहे हैं कि सीमा पर चीन आक्रामकता दिखाएगा, तो हम उसके ऐप बंद कर देंगे? भारत सरकार की कूटनीतिक रणनीति क्या है? ’’ उन्होंने कहा, ‘‘दक्षिण एशिया में चीन का असर बढ़ता जा रहा है. आसियान के साथ हमारे पहले जैसे रिश्ते नहीं रहे. अगर चीन के दुस्साहस का जवाब देना है, तो विभिन्न देशों को साथ लेना पड़ेगा.

कांग्रेस नेता ने कहा, ‘‘राहुल गांधी जी कहते हैं कि मोदी जी, डरिए मत. चीन का नाम लीजिए और भारत की सेना और जनता को विश्वास दीजिए कि आपने पहले जो कहा था, वो गलत था.’’ गोगोई ने कहा, ‘‘एक तरफ देश के रक्षा मंत्री कहते हैं कि चीन ने हमारी सीमा के अंदर हजारों वर्ग किलोमीटर जमीन पर कब्जÞा कर लिया है और दूसरी तरफ गृहमंत्री कहते हैं कि एक इंच भी नहीं देंगे. इस प्रकार के दो संदेश क्यों? क्यों आप देश से सच्चाई छिपाना चाहते हैं? ’’

भारत की सुरक्षा, क्षेत्रीय अखंडता को खुलेआम चुनौती दे रहा है चीन, सरकार ‘मूकदर्शक’

कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने मंगलवार को आरोप लगाया कि चीन के अतिक्रमण से भारत की सुरक्षा और क्षेत्रीय अखंडता को खुलेआम चुनौती दी जा रही है क्योंकि केंद्र सरकार ‘‘मूकदर्शक’’ बनी हुई है. अरुणाचल प्रदेश के तवांग सेक्टर में भारत और चीन के सैनिकों के बीच झड़प के मुद्दे पर राज्यसभा में चर्चा कराने की मांग को लेकर अपनी बात रखते हुए उच्च सदन में नेता प्रतिपक्ष खरगे ने यह दावा किया.

उन्होंने यह भी कहा कि चीन जनवरी, 2020 में दिए गए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के उस बयान की आड़ ले रहा है, जिसमें उन्होंने कहा था कि ‘‘किसी ने भी भारतीय क्षेत्र में प्रवेश नहीं किया है या हमारी किसी भी जमीन पर कब्जा नहीं किया है.’’ खरगे ने कहा कि उन्होंने इस मुद्दे पर चर्चा के लिए नोटिस दिया है और वह चाहते हैं कि आज के कामकाज को स्थगित कर इस मुद्दे पर चर्चा की जाए.
इस नोटिस को पढ़ते हुए विपक्ष के नेता ने कहा, ‘‘हमारी राष्ट्रीय सुरक्षा और क्षेत्रीय अखंडता को चीन के खुलेआम उल्लंघनों द्वारा प्रभावित किया जा रहा है, क्योंकि सरकार मूकदर्शक बनी हुई है. लद्दाख के गलवान घाटी में हमारे सशस्त्र बलों की वीरता जगजाहिर है.’’

खरगे ने दावा किया कि देपसांग में वाई जंक्शन तक अवैध और अकारण चीनी अतिक्रमण आज तक जारी है तथा पूर्वी लद्दाख के गोगरा और हॉट स्प्रिंग्स क्षेत्र में चीनी अतिक्रमण की स्थिति भी ऐसी ही है. उन्होंने कहा, ‘‘इतना ही नहीं, पीएलए के डिवीजनल मुख्यालय, तोपखाने के लिए हथियार आश्रय, विमान-रोधी बंदूकें और बख्तरबंद वाहक सहित पैंगोंग त्सो झील क्षेत्र के बगल में चीनी निर्माण की हमारी सरकार द्वारा लगातार अनदेखी की जा रही है.’’ उन्होंने यह भी कहा कि इनके अलावा भी चीन सीमापर पर अन्य निर्माण कार्य कर रहा है.

खरगे ने कहा, ‘‘अप्रैल 2020 तक यथास्थिति सुनिश्चित करने की हमारी मांग के बावजूद, चीन ने हमारे क्षेत्र को खाली करने से इनकार कर दिया है और जानबूझकर हमारे प्रधानमंत्री के उस बयान की आड़ ले रहा है, जिसमें कहा गया था, ‘किसी ने भी हमारे क्षेत्र में प्रवेश नहीं किया है या हमारे किसी भी क्षेत्र पर कब्जा नहीं किया है’.’’ उन्होंने कहा कि यहां तक कि हमारे क्षेत्र से पीछे हटने के लिए चीन के साथ चल रही बातचीत में भी गतिरोध बना हुआ है और कोई नई तारीख तय नहीं की गई है.

उन्होंने कहा, ‘‘इन सबके बीच, चीन द्वारा एलएसी के पार तवांग सेक्टर में हमारे क्षेत्र में घुसपैठ के अकारण प्रयास की खबरें और चिंताएं पैदा करती हैं.’’ खरगे ने कहा कि डोकलाम क्षेत्र से भी चीनी अतिक्रमण की इसी तरह की अपुष्ट खबरें आ रही हैं. उन्होंने कहा, ‘‘यह भी सर्वविदित है कि जून 2017 में डोकलाम गतिरोध के बाद चीन ने बारहमासी सड़कों और बंकरों का निर्माण किया है, जो ‘चिकन्स नेक’ सेक्टर में हमारी सुरक्षा के लिए खतरा साबित हो सकते हैं.’’

उन्होंने कहा कि चीनी अतिक्रमणों और उसकी अवैध गतिविधियों पर सदन में तत्काल चर्चा की मांग करते हुए कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा, ‘‘सरकार को हमारी राष्ट्रीय सुरक्षा और क्षेत्रीय अखंडता के लिए बढ़ते चीनी खतरे के बारे में देश को अवगत कराना चाहिए.’’

Related Articles

Back to top button