प्रधानमंत्री मोदी को चार जून के बाद लंबी छुट्टी पर जाना पड़ेगा, यह जनता की गारंटी है: कांग्रेस

बिहार में भाजपा के शासन में बहुत से काम नहीं हुए: कांग्रेस

नयी दिल्ली. कांग्रेस ने रविवार को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर निशाना साधते हुए कहा कि वह पार्टी की गारंटियों से “घबराए” हुए हैं और “अपनी कुर्सी बचाने” की बौखलाहट में “बेबुनियाद” बातें कर रहे हैं. बिहार के नवादा जिले में रविवार को एक चुनावी सभा में प्रधानमंत्री मोदी ने कांग्रेस पर तीखा हमला बोलते हुए आरोप लगाया कि उसके चुनाव घोषणापत्र में मुस्लिम लीग की छाप है और उसके नेताओं के बयानों में राष्ट्रीय अखंडता व सनातन धर्म के प्रति शत्रुता दिखाई देती है.

कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने मोदी के बयान पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा, “भारत के लोग अब प्रधानमंत्री के झूठ से थक चुके हैं. चार जून के बाद उनको लंबी छुट्टी पर जाना पड़ेगा. यही भारत के लोगों की गारंटी है.” लोकसभा चुनाव की मतगणना चार जून को होगी. रमेश ने कहा कि कांग्रेस पार्टी की ‘पांच न्याय पचीस गारंटी’ 10 साल के “अन्याय-काल” के बाद भारत के लोगों में एक नयी उम्मीद जगा रही है.

उन्होंने ‘एक्स’ पर लिखा, “कांग्रेस पार्टी की पांच न्याय पच्चीस गारंटी भारत के लोगों में 10 साल के अन्याय-काल के बाद एक नयी उम्मीद जगा रही है. इस गारंटी कार्ड से घबराए हुए प्रधानमंत्री अपनी कुर्सी बचाने की बौखलाहट में बेबुनियाद बातें कर रहे हैं. भारत के लोग अब प्रधानमंत्री के झूठ से थक चुके हैं. चार जून के बाद उनको लंबी छुट्टी पर जाना पड़ेगा. यही भारत के लोगों की गारंटी है!”

बिहार में भाजपा के शासन में बहुत से काम नहीं हुए: कांग्रेस

कांग्रेस ने रविवार को कहा कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने ”सत्ता में अपनी जगह बनाने में भले ही महारत हासिल कर ली है, लेकिन बिहार में उसके शासन में बहुत से काम नहीं हुए. पार्टी ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से उन मुद्दों पर जवाब देने की अपील की जिन पर बिहार में ध्यान केंद्रित किया जाना चाहिए था. कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने नवादा में प्रधानमंत्री की रैली से पहले उनसे बिहार को लेकर सवाल पूछे.

रमेश ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर लिखा, ”आज प्रधानमंत्री बिहार के नवादा जा रहे हैं. बिहार भी उन राज्यों में शामिल है जहां भाजपा हाल में किसी तरह से सत्ता में आई थी. उन्होंने सत्ता में अपनी जगह बनाने में भले ही महारत हासिल कर ली है, लेकिन भाजपा के शासन में बहुत से काम अधूरे रह गए हैं.” उन्होंने उम्मीद जताई कि प्रधानमंत्री उन मुद्दों से संबंधित तीन सवालों के जवाब देंगे जिन पर उनकी सरकार को ध्यान केंद्रित करना चाहिए था. रमेश ने कहा कि 2014 के चुनाव से पहले प्रधानमंत्री ने जब नवादा का दौरा किया था, तो उन्होंने वारिसलीगंज चीनी मिल का मुद्दा उठाया था और पूछा था कि यह इतने सालों से बंद क्यों है.

उन्होंने कहा, ”इससे हजारों स्थानीय लोगों की उम्मीदें बढ़ गई थी, क्योंकि जब यह मिल चालू थी तब 1,200 लोगों को सीधे तौर पर रोजगार मिलता था. इसके अलावा सैकड़ों गन्ना किसानों को भी मदद मिलती थी. नवादा से दोनों भाजपा सांसदों- गिरिराज सिंह (2014) और चंदन सिंह (2019) ने भी अपने कार्यकाल के दौरान चीनी मिल शुरू करने का वादा किया था, लेकिन 10 साल बाद, वे सभी वादे खोखले साबित हुए.” उन्होंने कहा कि इस बार जब प्रधानमंत्री नवादा आएंगे तो उन्हें लोगों को जवाब देना होगा कि वारिसलीगंज चीनी मिल पिछले 10 साल से बंद क्यों है.

रमेश ने कहा, ” उन्होंने रेसकोर्स रोड का नाम भले ही बदल दिया हो, लेकिन भाजपा द्वारा खरीद-फरोख्त जारी है. हमारे संविधान में निहित लोकतांत्रिक मूल्यों के प्रति भाजपा के मन में कोई सम्मान नहीं है और इसके कारण कोई भी सरकार उनके राजनीतिक हथकंडों से सुरक्षित नहीं रही है.” कांग्रेस नेता ने आरोप लगाया कि भाजपा ”सत्ता से चिपके रहने के लिए सरकारों को गिराने या विधायकों को खरीदने एवं बेचने के लिए गलत तरीके से हासिल किए गए चुनावी बॉण्ड का इस्तेमाल करने से नहीं हिचकिचाती और ऐसा एक बार फिर हुआ जब इस साल नीतीश कुमार फिर से पलट गए.”

उन्होंने कहा, ”अब हम जानते हैं कि चुनावी बॉण्ड घोटाले के माध्यम से भारतीय नागरिकों पर चार लाख करोड़ रुपए की मार पड़ी है. सवाल यह है कि बिहार में सरकार बदलने से भारत की जनता को कितना नुकसान हुआ?” रमेश ने दावा किया कि बिहार में सार्वजनिक शिक्षा की स्थिति हाल के वर्षों में बद से बदतर हो गई है तथा हजारों शिक्षक एवं कॉलेज के सेवानिवृत्त कर्मचारी परेशान हैं क्योंकि उन्हें उनका बकाया भुगतान नहीं किया गया है.

उन्होंने कहा, ”शिक्षकों की नियुक्ति में देरी के कारण सक्रिय शिक्षकों की संख्या स्वीकृत संख्या से बेहद कम यानी 35 प्रतिशत रह गई है. हाल में, पटना में अतिथि शिक्षक अपनी अचानक बर्खास्तगी के विरोध में सड़कों पर उतरे लेकिन भाजपा-जदयू (जनता दल-यूनाइटेड) सरकार ने उनकी चिंताओं को सुनने के बजाय उन पर लाठीचार्ज करा दिया.”

रमेश ने कहा, ” ‘फेडरेशन ऑफ यूनिर्विसटी टीचर्स एसोसिएशन ऑफ बिहार’ (एफयूटीएबी) के कार्यकारी अध्यक्ष के बी सिन्हा ने कहा कि शिक्षा विभाग की मनमानी कार्रवाई के कारण विश्वविद्यालयों की समस्याएं बढ़ गई हैंङ्घ और यहां तक कि होली एवं ईद जैसे महत्वपूर्ण त्योहारों में भी, वेतन और पेंशन तीन-तीन महीने तक रुकी रहती है और किसी को कोई चिंता नहीं होती.” उन्होंने कहा, ” क्या प्रधानमंत्री बिहार में शिक्षा के खस्ता हालात पर कुछ कहेंगे?” उन्होंने सवाल किया कि बिहार के शिक्षकों की आजीविका सुरक्षित करने के लिए भाजपा-जदयू सरकार क्या कर रही है. रमेश ने प्रधानंमत्री मोदी से इन मुद्दों पर ”चुप्पी” तोड़ने का आग्रह किया.

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