बेटियों के जीवन की सुरक्षा के लिए स्थानीय अनुसंधान में निवेश करना प्राथमिकता: मोदी

प्रौद्योगिकी के जरिए महिलाओं को सशक्त किया जा रहा है: मोदी

नयी दिल्ली. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शुक्रवार को कहा कि उनकी सरकार न्यूनतम लागत पर टीके विकसित करने के लिए गर्भाशय ग्रीवा के कैंसर को लेकर स्थानीय अनुसंधान के लिए वैज्ञानिकों को धन आवंटित करना चाहती है ताकि टीकाकरण के जरिये इस गंभीर बीमारी से सभी लड़कियों का बचाव सुनिश्चित किया जा सके मोदी ने माइक्रोसॉफ्ट के सह-संस्थापक बिल गेट्स के साथ बातचीत के दौरान कहा कि राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) अगर सत्ता में वापस आता है तो उनकी प्राथमिकता भारत की बेटियों के जीवन की सुरक्षा के लिए इस अनुसंधान में निवेश करने की होगी.

उन्होंने कहा, ”आने वाले दिनों में, मैं लड़कियों को चपेट में लेने वाले सर्वाइकल कैंसर अनुसंधान के लिए हमारे वैज्ञानिकों को धन आवंटित करना चाहती हूं. मैं उन्हें बजट देना चाहता हूं और उन्हें टीके बनाने के लिए स्थानीय अनुसंधान करने के लिए प्रोत्साहित करना चाहता हूं. मेरा लक्ष्य देश में सभी लड़कियों का कम से कम लागत पर टीकाकरण है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि वे कैंसर से सुरक्षित हैं.” उन्होंने कहा, ”मैं इन दिनों इस दिशा में काम कर रहा हूं. जब मेरी नई सरकार बनेगी तो मेरी प्राथमिकता भारत की बेटियों के जीवन की रक्षा के लिए इस अनुसंधान में महत्वपूर्ण रूप से निवेश करने की होगी.”

भारत का कोविड टीकाकरण अभियान कैसे सफल हो गया और कैसे उन्होंने इस परिस्थिति में देश का नेतृत्व किया, इस बारे में मोदी ने विस्तार से बताया. उन्होंने कहा कि लोगों का विश्वास हासिल करने के लिए जरूरत के कदम उठाए और उन्हें आश्वस्त किया. उन्होंने कहा कि यही वजह थी कि भारत में लोगों ने टीकों का कोई विरोध नहीं किया, जबकि कई देशों में टीकाकरण का डर और यहां तक कि उनके बारे में अफवाहें भी एक समस्या बन गईं.

उन्होंने कहा, ”मैंने इस बात पर जोर दिया कि वायरस के खिलाफ लड़ाई में सभी शामिल हैं और यह वायरस बनाम सरकार नहीं है. मैंने शुरू से इसे जीवन बनाम वायरस की लड़ाई के रूप में देखा.” दूसरा, उन्होंने बताया कि कैसे उन्होंने पहले दिन से देश के साथ खुलकर संवाद करना शुरू किया और एक उदाहरण स्थापित करने के लिए व्यक्तिगत रूप से सभी सुरक्षा प्रोटोकॉल का पालन किया.

मोदी ने कहा, ”मैंने लोगों का विश्वास हासिल करने के लिए सार्वजनिक रूप से सभी कोविड-19 प्रोटोकॉल का पालन किया. मैंने कुछ उपहास के बावजूद ताली, थाली, दीपक जलाने के लिए स्पष्ट आह्वान किया. इस लड़ाई में सभी को एकजुट करना मेरे लिए महत्वपूर्ण था. एक बार जब खुद को और दूसरों को बचाने का इरादा तय किया गया तो यह एक जन आंदोलन में बदल गया.” उन्होंने कहा कि इससे यह सुनिश्चित हुआ कि नागरिकों ने पूछताछ किए बिना उनके अनुरोधों का पालन किया. उदाहरण के लिए, उन्होंने कहा कि जब उन्होंने मास्क पहनने की सलाह दी तो लोगों ने इसका अनुसरण किया.

उन्होंने कहा, ”यह जन आंदोलन में तब्दील हो गया. क्योंकि लोकतंत्र में बल का कोई स्थान नहीं है. लोकतंत्र में लोगों को समझाने, शिक्षित करने और साथ लेकर चलने की जरूरत है. लोकतंत्र में शिक्षा और सहयोग प्रगति को आगे बढ़ाता है.” मोदी ने कहा कि इस रणनीति ने टीकाकरण अभियान की सफलता में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई.

उन्होंने कहा, ”मैंने और मेरी 95 वर्षीय मां ने सार्वजनिक रूप से टीके लगवाए. ऐसा कर हमने लोगों का विश्वास हासिल किया. मैंने उदाहरण पेश किया और लोगों का विश्वास हासिल किया कि इससे (टीके से) उनकी जान बच सकती है.” उन्होंने 1930 के आसपास फैली महामारी का एक किस्सा सुनाया, जब सरदार वल्लभभाई पटेल अहमदाबाद नगर निगम के महापौर थे. उन्होंने बताया कि इस महामारी के कारण टीकाकरण की आवश्यकता पड़ी थी पर लोगों ने धार्मिक कारणों का हवाला देते हुए टीका लगवाने से इनकार कर दिया था. उन्होंने कहा कि सरदार पटेल दृढ़ थे और लोगों की जान बचाने के लिए टीकाकरण को अनिवार्य कर दिया था.

मोदी ने कहा कि टीकों का प्रतिरोध सदियों से दुनिया भर में एक चुनौती रहा है और चर्चा के माध्यम से हमें इससे उबरने में मदद मिल सकती है. प्रौद्योगिकी के उपयोग को लेकर स्वास्थ्य को उन तीन क्षेत्रों में शामिल करते हुए मोदी ने कहा कि उनकी सरकार ने गांवों में दो लाख आयुष्मान आरोग्य मंदिर स्वास्थ्य केंद्र बनाए हैं जो आधुनिक तकनीक के माध्यम से सीधे सर्वश्रेष्ठ अस्पतालों से जुड़े हैं.

उन्होंने कहा, ”प्रारंभ में, रोगियों ने सोचा कि डॉक्टर के बिना व शारीरिक रूप से उनकी जांच किए बगैर उनका सही निदान कैसे किया जा सकता है. लेकिन बाद में उन्हें समझ में आया कि सही तकनीकी उपकरणों से सैकड़ों किलोमीटर दूर बैठा डॉक्टर भी सही तरीके से निदान कर सही सलाह दे सकता है. इसलिए लोगों का विश्वास बढ़ रहा है.” उन्होंने कहा, ”जिस तरह से बड़े अस्पतालों में होता है, आयुष्मान आरोग्य मंदिर में चीजें हो रही हैं. तो यह डिजिटल प्लेटफॉर्म की ताकत है.”

उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि कैसे कोविड के दौरान, जब दुनिया वैक्सीन प्रमाण पत्र जारी करने के लिए संघर्ष कर रही थी, भारत में लोग आसानी से को-विन ऐप का उपयोग करके यह पता लगा रहे थे कि उन्हें वैक्सीन प्राप्त करने के लिए कितनी दूर यात्रा करने की आवश्यकता है. मोदी ने कहा कि इसी माध्यम से उन्हें एक उपयुक्त समय स्लॉट मिल जाता था और सेकेंड के भीतर अपना प्रमाण पत्र प्राप्त कर लेते थे. उन्होंने कहा, ”मेरे अनुभव में, डिजिटल प्रौद्योगिकी ने हमारे देश को काफी लाभान्वित किया है.”

प्रौद्योगिकी के जरिए महिलाओं को सशक्त किया जा रहा है: मोदी

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शुक्रवार को ग्रामीण क्षेत्रों में डिजिटल अंतर को पाटने के लिए अपनी प्रतिबद्धता दोहराई और विशेष रूप से ‘नमो ड्रोन दीदी’ जैसे अभिनव कार्यक्रमों के माध्यम से महिलाओं को सशक्त बनाने के महत्व पर जोर दिया. समाजसेवी और व्यवसायी बिल गेट्स के साथ एक संवाद के दौरान उन्होंने भारत में लैंगिक समानता और आर्थिक सशक्तीकरण को बढ़ावा देने में डिजिटल समावेशन की महत्वपूर्ण भूमिका को रेखांकित किया.

इस दौरान उन्होंने ग्रामीण महिलाओं को प्रौद्योगिकी और प्रशिक्षण तक पहुंच प्रदान करके उनके जीवन को बदलने के लिए अपने दृष्टिकोण को भी रेखांकित किया. उन्होंने कहा, ”मैं तकनीक उनके हाथों में देना चाहता हूं और मनोवैज्ञानिक बदलाव लाना चाहता हूं. गांव में हर किसी को यह महसूस होना चाहिए कि वे अपने गांव को बदल रहे हैं.” इसके जवाब में गेट्स ने प्रौद्योगिकी समावेशन को बढ़ावा देने और महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए भारत के सक्रिय प्रयासों की सराहना की.

उन्होंने पारंपरिक प्रथाओं को पुनर्जीवित करने और कृषि जैसे क्षेत्रों में महिलाओं की भागीदारी को बढ़ावा देने में सरकार और उनके फाउंडेशन जैसे संगठनों के बीच सफल सहयोगी पहलों पर प्रकाश डाला. गेट्स ने कहा कि भारत के पास तकनीक है जिसे सभी के लिए उपलब्ध कराया जा सकता है और इससे उन लोगों के उत्थान में मदद मिलती है जिन्हें इसकी सबसे ज्यादा जरूरत है. बातचीत में महिलाओं के लिए स्थायी आजीविका के अवसरों को बढ़ावा देने के लिए पारंपरिक प्रथाओं को पुनर्जीवित करने के महत्व पर चर्चा की गई.

प्रगति को मापने का मौजूदा पैमाना जलवायु विरोधी : प्रधानमंत्री मोदी
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शुक्रवार को प्रगति को मापने के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले मापदंड को जलवायु के लिए हानिकारक करार दिया और साथ ही हरित सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की अवधारणा विकसित करने का सुझाव दिया. समाजसेवी और माइक्रोसॉफ्ट के सह-संस्थापक बिल गेट्स के साथ बातचीत में उन्होंने कहा कि पिछले साल सितंबर में भारत में जी20 शिखर सम्मेलन के बाद से जलवायु कार्रवाई को गति मिली है.

जब गेट्स ने पूछा कि क्या आसानी से अपनाने के लिए हरित दृष्टिकोण को और अधिक किफायती बनाया जा सकता है, तो प्रधानमंत्री ने कहा कि दुनिया को दो-आयामी रणनीति अपनाने की जरूरत है: पहला, प्रकृति और जलवायु के अनुकूल नवाचार, और दूसरा, पर्यावरण के अनुकूल जीवन शैली.

प्रधानमंत्री ने कहा, ”हमारी वर्तमान चुनौती यह है कि हम प्रगति को किस नजरिए से देखते हैं. उदाहरण के लिए, किसी देश के विकास को अक्सर उसकी इस्पात खपत और ऊर्जा उपयोग से आंका जाता है. इन मानदंडों के आधार पर, हम देश की अर्थव्यवस्था की गणना करते हैं.”

उन्होंने कहा, ”अगर हम इन मापदंडों पर भरोसा करना जारी रखते हैं तो हम अधिक बिजली और स्टील का उपभोग करेंगे, जिसके परिणामस्वरूप कार्बन उत्सर्जन में वृद्धि होगी. इसका मतलब है कि हमें अपनी मानसिकता बदलने की जरूरत है. हमें जीवन शैली के विकल्प बनाने और जलवायु के अनुकूल तरीकों से प्रगति को मापने की आवश्यकता है. वर्तमान में, प्रगति के हमारे सभी उपाय जलवायु के लिए हानिकारक हैं.” उन्होंने सुझाव दिया कि दुनिया हरित जीडीपी की अवधारणा को अपनाए, जिसे समग्र सकल घरेलू उत्पाद में शामिल किया जा सकता है.

मोदी ने कहा, ”हमें वैश्विक शब्दावली को बदलने की जरूरत है.” प्रधानमंत्री ने कहा कि जलवायु परिवर्तन पर उनके और गेट्स के दृष्टिकोण निकटता से मेल खाते हैं. गेट्स ने 2015 पेरिस जलवायु बैठक में प्रधानमंत्री द्वारा सुझाए गए ‘मिशन इनोवेशन’ की प्रशंसा की.

‘मिशन इनोवेशन’ शब्द प्रधानमंत्री मोदी ने दिया था. मिशन इनोवेशन (एमआई) 23 देशों और यूरोपियन आयोग (यूरोपियन संघ की ओर से) की एक वैश्विक पहल है, जिसका उद्देश्य स्वच्छ ऊर्जा क्रांति में तेजी लाना और पेरिस समझौते के लक्ष्यों और नेट-जीरो उत्सर्जन की दिशा में प्रगति करना है. भारत मिशन इनोवेशन का संस्थापक सदस्य है.

मिशन इनोवेशन (एमआई) (2015-2020) के पहले चरण की घोषणा 30 नवंबर, 2015 को सीओपी21 में की गई थी. मिशन इनोवेशन के पहले चरण में, भारत ने तीन एमआई इनोवेशन चुनौतियों का नेतृत्व किया, जिसमें स्मार्ट ग्रिड, बिजली और सतत जैव ईंधन के लिए ऑफ ग्रिड पहुंच और कई कार्यशालाओं की मेजबानी करना शामिल है. प्रधानमंत्री ने याद किया कि उन्होंने, तत्कालीन अमेरिकी और फ्रांसीसी राष्ट्रपतियों तथा गेट्स ने उस दौरान इसकी रणनीति पर गहराई से चर्चा की थी लेकिन दुर्भाग्य से उनके प्रयासों में महत्वपूर्ण प्रगति नहीं हुई.

उन्होंने कहा, ”हालांकि जी20 के बाद ऐसा माहौल बना है जहां हर किसी ने जलवायु के प्रति अपनी जिम्मेदारियों को पूरा करने का संकल्प लिया है. आपकी भागीदारी के साथ हमने जो नींव रखी थी, वह महत्वपूर्ण है … मुझे उम्मीद है कि ये प्रयास बरगद के पेड़ की तरह फलेंगे-फूलेंगे.” गेट्स ने कहा कि उपभोक्ताओं को कार खरीदते समय या कोई उत्पाद खरीदते समय स्वच्छ उत्पादों को प्राथमिकता देनी चाहिए.

उन्होंने कहा, ”जैसे…अपने भोजन की आदत को बदलना…भले ही पूरी तरह शाकाहारी ना बनें लेकिन गोमांस का सेवन कम और मुर्गा अधिक खाया जा सकता है…या मुर्गा कम मछली अधिक खाया जा सकता है. ऐसा हो सकता है… और हम जानते हैं कि इसके कुछ स्वास्थ्य लाभ भी हैं.” इस पर प्रधानमंत्री ने कहा कि शाकाहारी भोजन में भी सुधार की जरूरत है और मोटे अनाज को शामिल करके ऐसा किया जा सकता है.

उन्होंने कहा, ”हमने संयुक्त राष्ट्र के साथ 2023 को ‘मोटे अनाज का वर्ष’ के रूप में मनाया. इसके बहुत फायदे हैं. वे बंजर भूमि में उगते हैं, उन्हें न्यूनतम पानी की आवश्यकता होती है. उर्वरकों की तो आवश्यकता ही नहीं होती है. वे एक सुपरफूड हैं. मोटे अनाज को बढ़ावा देना एक बड़ा कदम हो सकता है.” उन्होंने कहा कि शाकाहारी भोजन के विकल्प के रूप में आजमाए जाने वाले कुछ व्यंजन अधिक हानिकारक हैं.

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