
बेंगलुरु: कर्नाटक के मंत्री प्रियांक खरगे ने मंगलवार को दावा किया कि उन्हें और उनके परिवार को फोन कर ‘‘धमकियां दी जा रही हैं, डराया जा रहा है और गालीगलौज’’ की जा रही है क्योंकि उन्होंने सरकारी स्कूलों, कॉलेजों और सार्वजनिक संस्थानों में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की गतिविधियों पर सवाल उठाने और उन्हें रोकने का साहस किया है।
खरगे ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, ‘‘पिछले दो दिन से मेरे फोन की घंटी बजनी बंद नहीं हुई है। मुझे और मेरे परिवार को फोन कर धमकियां दी जा रही हैं, डराया-धमकाया जा रहा है और गालीगलौज की जा रही है, सिर्फ इसलिए कि मैंने सरकारी स्कूलों, कॉलेजों और सार्वजनिक संस्थानों में आरएसएस की गतिविधियों पर सवाल उठाने और उन्हें रोकने की हिम्मत की थी।’’ बहरहाल, उन्होंने कहा कि वह न तो विचलित हुए हैं और न ही आश्चर्यचकित हैं। वह कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे के पुत्र हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘जब आरएसएस ने महात्मा गांधी या बाबासाहेब आंबेडकर को नहीं बख्शा, तो वे मुझे क्यों छोड़ेंगे?’’ सूचना प्रौद्योगिकी एवं जैव प्रौद्योगिकी मंत्री खरगे ने संकल्प दोहराते हुए कहा, ‘‘अगर वे (आरएसएस) सोचते हैं कि वे धमकियां देकर और व्यक्तिगत ताने मारकर मुझे चुप करा देंगे, तो वे गलतफहमी में हैं। यह तो अभी शुरूआत है।’’ मंत्री ने हाल में मुख्यमंत्री सिद्धरमैया को पत्र लिखकर उनसे सरकारी स्कूलों, कॉलेजों और सार्वजनिक स्थानों पर आरएसएस की गतिविधियों पर प्रतिबंध लगाने का अनुरोध किया था।
उन्होंने अपने पत्र में लिखा, ‘‘राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) नामक एक संगठन सरकारी और सरकारी सहायता प्राप्त स्कूलों के साथ-साथ सार्वजनिक मैदानों में अपनी शाखाएं चला रहा है, जहां नारे लगाए जाते हैं और बच्चों व युवाओं के मन में नकारात्मक विचार भरे जाते हैं।’’



